श्री कालरात्री महामन्त्र जप विधि: विधि, ध्यान और पञ्चपूजा की सम्पूर्ण जानकारी - Shri Kalratri Mahamantra chanting method: Complete information on the method, meditation, and Panchapuja.

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श्री कालरात्री महामन्त्र जप विधि

मन्त्र परिचय:

अत्यंत शक्तिशाली और पूजनीय माँ कालरात्रि का महामन्त्र शत्रु नाश, मनोबल और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। इस महामन्त्र के जाप से साधक को माँ कालरात्रि की कृपा प्राप्त होती है।

अस्य श्री कालरात्री महामन्त्रस्य:

  • ऋषिः: भैरव
  • छन्दः: अनुष्टुप्
  • देवता: श्री चन्द्रघण्टा
  • बीजं: श्रीं
  • शक्तिः: ह्रीं
  • कीलकं: ॐ
  • दिग्बन्धनं: श्रीं क्लीं

जप का विनियोग: इस महामन्त्र का विनियोग श्री कालरात्री के प्रसाद और सिद्धि प्राप्ति के लिए होता है।

कर न्यास विधि (हाथों में मन्त्र स्थापना)

  1. श्रीं ह्रां अनुष्ठाभ्यां नमः
  2. श्रीं ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः
  3. श्रीं हूं मध्यमाभ्यां नमः
  4. श्रीं हैं अनामिकाभ्यां नमः
  5. श्रीं ह्रौं कनिष्ठिभ्यां नमः
  6. श्रीं ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः

अङ्ग न्यास विधि (शरीर के अंगों में मन्त्र स्थापना)

  1. श्रीं ह्रां हृदयाय नमः (हृदय पर)
  2. श्रीं ह्रीं शिरसे स्वाहा (सिर पर)
  3. श्रीं हूं शिखायै वषट् (शिखा पर)
  4. श्रीं हैं कवचाय हूं (कवच पर)
  5. श्रीं ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् (तीनों नेत्रों पर)
  6. श्रीं ह्रः अस्त्राय फट् (अस्त्र पर)

दिग्बन्ध: ॐ भूर्भुवः सुवरों इति दिग्बन्धः

ध्यानम् (ध्यान करने का मन्त्र)

नवां वुदाभां मुहिरेंदुवह्रिनेत्रां
गदांभोजकरां हसन्तीम्।
पीतांबरां मुक्तकच्चोज्ज्वलाङ्गीम्
श्रीकालरात्री हृदये भजामि॥

अर्थ: "मैं हृदय में श्री कालरात्री देवी का ध्यान करता हूं, जो नवां काले बादलों जैसी, तीन नेत्रों वाली, पीतांबर धारण करने वाली और मुक्तामणियों से शोभित हैं।"

पञ्चपूजा (पांच प्रकार की पूजा)

  1. लं पृथिव्यात्मिकायै गन्धं कल्पयामि (पृथ्वी की देवी को गंध अर्पित करता हूं)
  2. हं आकाशात्मिकायै पुष्पाणि कल्पयामि (आकाश की देवी को पुष्प अर्पित करता हूं)
  3. यं वाय्वात्मिकायै धूपं कल्पयामि (वायु की देवी को धूप अर्पित करता हूं)
  4. रं अग्न्यात्मिकायै दीपं कल्पयामि (अग्नि की देवी को दीप अर्पित करता हूं)
  5. वं अमृतात्मिकायै अमृतं महानैवेद्यं कल्पयामि (अमृत की देवी को नैवेद्य अर्पित करता हूं)
  6. सं सर्वात्मिकायै ताम्बूलादि समस्तोपचारान् कल्पयामि (सर्वात्मिका देवी को ताम्बूल और अन्य सभी उपचारे अर्पित करता हूं)

महामन्त्र:

मूल मन्त्र:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा

अङ्ग न्यास (मन्त्र का शरीर के अंगों में प्रयोग)

  1. श्रीं ह्रां हृदयाय नमः
  2. श्रीं ह्रीं शिरसे स्वाहा
  3. श्रीं हूं शिखायै वषट्
  4. श्रीं हैं कवचाय हूं
  5. श्रीं ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
  6. श्रीं ह्रः अस्त्राय फट्

ध्यान मन्त्र:

नवां वुदाभां मुहिरेंदुवह्रिनेत्रां
गदांभोजकरां हसन्तीम्।
पीतांबरां मुक्तकच्चोज्ज्वलाङ्गीम्
श्रीकालरात्री हृदये भजामि॥

पञ्चपूजा (पांच प्रकार की पूजा पुनः):

  1. लं पृथिव्यात्मिकायै गन्धं कल्पयामि
  2. हं आकाशात्मिकायै पुष्पाणि कल्पयामि
  3. यं वाय्वात्मिकायै धूपं कल्पयामि
  4. रं अग्न्यात्मिकायै दीपं कल्पयामि
  5. वं अमृतात्मिकायै अमृतं महानैवेद्यं कल्पयामि
  6. सं सर्वात्मिकायै ताम्बूलादि समस्तोपचारान् कल्पयामि

निष्कर्ष:

श्री कालरात्री का महामन्त्र अत्यंत शक्तिशाली है, जिसे विधि-विधान से जाप करने पर साधक को माँ की कृपा और सिद्धि प्राप्त होती है। इस जप में ध्यान, न्यास और पंचपूजा के नियमों का पालन आवश्यक है।

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