नवरात्रि के नौंवे दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना - Worship of Goddess Siddhidatri on the ninth day of Navratri.

नवरात्रि के नौंवे दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना

नवरात्रि के नौवे दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माँ सिद्धिदात्री को चंपा या गुड़हल का पुष्प अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस दिन इन्हें अवश्य अर्पित करें। हरा रंग का वस्त्र पहनना भी शुभ माना जाता है। सिद्धिदात्री नाम का शाब्दिक अर्थ है—"सभी प्रकार की सिद्धि और मोक्ष देने वाली।" माता लक्ष्मी की तरह कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और उनकी चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें शंख, गदा, कमल और चक्र धारण किया गया है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने कठिन तपस्या के बाद आठ सिद्धियाँ प्राप्त की थीं, और सिद्धिदात्री माता के आशीर्वाद से ही शिव जी का शरीर अर्द्धनारीश्वर कहलाया। माता सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्रि का समापन होता है।

माता सिद्धिदात्री की पूजा के लाभ

माँ सिद्धिदात्री का प्रचंड स्वरूप शत्रुओं का नाश करने की अनंत ऊर्जा समाहित करता है। यदि माता प्रसन्न हो जाएं, तो जीवन में शत्रुओं का भय नहीं रहता। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माता सिद्धिदात्री का शासन जातक की कुंडली के छठे और एकादश भाव पर होता है। उनकी पूजा से अत्यधिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है, जो कुंडली के तृतीय भाव को सूचित करती है। कोर्ट-कचहरी से संबंधित परेशानियों का समाधान करने के लिए सिद्धिदात्री माता की आराधना करनी चाहिए। माता की उपासना से सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सिद्धिदात्री माता की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और गंगाजल छिड़ककर स्वयं को शुद्ध करें।
  2. पूजा सामग्री: नौ प्रकार के पुष्प, फल, भोग, और नवरस युक्त भोजन तैयार करें।
  3. मंत्र जाप: माता का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करें।
  4. अर्पण: माता को फल, भोग, मिष्ठान, पंच मेवा, नारियल आदि अर्पित करें।
  5. दुर्गा सप्तशती पाठ: भोग अर्पित करने के बाद माता का ध्यान करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  6. आरती: अंत में माता की आरती करें।
  7. कन्या पूजन: विधिपूर्वक कन्या पूजन करें और माता से आशीर्वाद मांगे।

नवमी तिथि पर कन्या पूजन विधि

  • कन्या पूजन अष्टमी और नवमी तिथि पर किया जाता है।
  • कन्याओं को निमंत्रण दें और उन्हें साफ आसन पर बैठने के लिए कहें।
  • कन्याओं को लाल चुनरी भेंट करें और पंचोपचार विधि से उनकी पूजा करें।
  • भोजन में मिठाई अवश्य शामिल करें।

मंत्र और स्तुति

मंत्र:
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः ॥

प्रार्थना मंत्र:
सिद्ध या सावरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥

स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

कन्या पूजन का महत्व

कन्या पूजन का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। जिन कन्याओं का पूजन किया जाता है, उन्हें माता का दिव्य स्वरूप माना जाता है। यह पूजा भक्तों के घर में सुख-समृद्धि और दरिद्रता का नाश करती है।

महानवमी के दिन अचूक उपाय

  • दुर्गा सप्तशती के 12 वें अध्याय का 21 पाठ करें।
  • आम की संविद से हवन करें और आहुति दें।

सिद्धिदात्री माता की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पूरे ब्रह्माण्ड में अंधकार छा गया, तब एक ऊर्जा की किरण प्रकट हुई और माता सिद्धिदात्री का स्वरूप धारण किया। माता ने ब्रह्मा, विष्णु, और महेश को जन्म दिया और महिषासुर के अत्याचारों से सभी की रक्षा की।

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