दीपावली विशेष: मां लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण प्रामाणिक विधि - जानिए कैसे करें तैयारी - Deepawali Special: Complete authentic method of Maa Lakshmi Pujan - Know how to prepare

दीपावली विशेष: मां लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण प्रामाणिक विधि - जानिए कैसे करें तैयारी

दीपावली का पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास और श्रद्धा से मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य आकर्षण मां लक्ष्मी का पूजन होता है, जो सुख, समृद्धि और धन की देवी मानी जाती हैं। लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण विधि जानना और उसे सही तरीके से करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है ताकि मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके। इस लेख में हम लक्ष्मी पूजन की सरल और प्रामाणिक विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

लक्ष्मी पूजन के लिए आवश्यक सामग्री:

  • वस्त्र: मां लक्ष्मी को लाल, गुलाबी, या पीले रंग के रेशमी वस्त्र प्रिय होते हैं।
  • पुष्प: कमल और गुलाब के फूल चढ़ाना विशेष शुभ माना जाता है।
  • फल: श्रीफल (नारियल), सीताफल, बेर, अनार और सिंघाड़े लक्ष्मीजी को प्रिय हैं।
  • सुगंध: पूजा में केवड़ा, गुलाब और चंदन के इत्र का प्रयोग अवश्य करें।
  • अनाज: चावल को लक्ष्मी पूजा में विशेष रूप से उपयोग करें।
  • मिठाई: घर में बनी केसर की मिठाई या हलवा-शिरा का नैवेद्य उपयुक्त होता है।
  • दीपक: गाय के घी या मूंगफली के तेल से दीपक जलाना शुभ होता है।
  • अन्य सामग्री: गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, रत्न आभूषण, और गाय का गोबर।

लक्ष्मी पूजन विधि:

1. पूजन स्थल की तैयारी:

सबसे पहले, जिस जगह पर पूजा करनी है वहां की साफ-सफाई करें। उस स्थान पर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी की मूर्तियों को ऐसे रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर हो। लक्ष्मी जी की मूर्ति भगवान गणेश की दाहिनी ओर होनी चाहिए।

2. कलश की स्थापना:

चावल के ढेर पर कलश रखें और नारियल को लाल वस्त्र में लपेटकर कलश पर रखें। यह कलश वरुण देवता का प्रतीक होता है। इसे लक्ष्मी जी के पास रखें।

3. दीपों की व्यवस्था:

पूजा स्थल पर दो बड़े दीपक रखें। एक में घी और दूसरे में तेल भरें। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें और दूसरा मां लक्ष्मी की मूर्ति के चरणों में रखें।

4. नवग्रह और षोडश मातृका पूजन:

लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों के सामने एक छोटी चौकी रखें। उस पर लाल कपड़ा बिछाकर चावल से नवग्रह और षोडश मातृका (16 मातृकाएं) के प्रतीक बनाएं। नवग्रह के बीच में स्वस्तिक का चिह्न बनाकर सुपारी रखें और उसके चारों ओर चावल की ढेरी बनाएं।

5. सामग्री की थालियां तैयार करें:

तीन थालियां पूजा के लिए रखें:

  1. दीपक, खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण।
  2. चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित धूप, अगरबत्ती।
  3. फूल, दुर्वा, चावल और जल का पात्र।

6. पवित्रीकरण:

पूजा की शुरुआत पवित्रीकरण से करें। हाथ में थोड़ा जल लेकर मूर्तियों, पूजा सामग्री और स्वयं को पवित्र करें। इसके बाद आचमन करें और प्राणायाम करें।

7. संकल्प:

पूजा का संकल्प लें। हाथ में पुष्प, अक्षत, जल और कुछ धन लेकर संकल्प मंत्र का उच्चारण करें कि आप अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहे हैं।

8. पूजा की शुरुआत:

सबसे पहले भगवान गणेश और गौरी माता का पूजन करें। फिर वरुण पूजा (कलश पूजन) करें। नवग्रह और षोडश मातृकाओं का पूजन कर, अंत में मां लक्ष्मी का पूजन करें।

9. आरती:

लक्ष्मी जी की पूजा के बाद घी और तेल के दीपक जलाएं और आरती करें। आरती के बाद दीपक को घर के आंगन और मुख्य द्वार पर रखें।

दिवाली पूजन विधि:

  1. पवित्रीकरण मंत्र: पूजा की शुद्धि के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें:

    • "ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥"
  2. संकल्प मंत्र: पूजा के प्रारंभ में संकल्प लें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें:

    • "ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य..."
  3. गणेश पूजन: गणेश जी की पूजा से आरंभ करें। मंत्र:

    • "ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।"
    • पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन:
      • "ऊं गं गणपतये नम:। इदम् रक्त चंदनम्।"
    • प्रसाद अर्पण: "इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।"
  4. लक्ष्मी पूजन: लक्ष्मी माता की पूजा करें और इस मंत्र का उच्चारण करें:

    • "ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी..."
    • अंग पूजन मंत्र: "ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि, ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि..."
  5. अष्टसिद्धि पूजन मंत्र:

    • "ऊं अणिम्ने नम:, ऊं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:..."
  6. अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र:

    • "ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:..."
  7. प्रसाद अर्पण: अंत में मिठाई और फल अर्पित करें। मंत्र:

    • "इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि।"

विशेष उपाय:

यदि आप लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो कमल के फूल चढ़ाना सबसे उत्तम माना गया है। अगर कमल के फूल उपलब्ध न हों तो गुड़ चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। पूजा के दौरान लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करें:

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद।
श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥

निष्कर्ष:

दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का सही विधि-विधान से पूजन करने से सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। पूजा के दौरान ध्यान रखें कि मन और वातावरण दोनों पवित्र और शांत हों ताकि मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहे।

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