सर्दियों में भट्ट की दाल के अलग-अलग जायके
सर्दियों के मौसम में ऐसा भोजन मिल जाए, जो तन को गर्माहट और मन को संतुष्टि दे, तो उससे बेहतर क्या हो सकता है। उत्तराखंड की पारंपरिक रसोई में भट्ट की दाल से बनने वाले कुछ खास व्यंजन जैसे भट्वाणी (चुड़कानी), डुबका, भटुला, और जौला का सेवन किया जाता है। ये व्यंजन स्वादिष्ट होने के साथ-साथ बेहद पौष्टिक भी होते हैं। खासकर सर्दियों में इनका सेवन शरीर को जरूरी पोषण और गर्माहट देता है।
आइए आपको इन जायकों से रूबरू कराते हैं:
1. भट्वाणी (चुड़कानी)
भट्वाणी गढ़वाल के लोगों के लिए शीतकालीन मौसम का सबसे पसंदीदा व्यंजन है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले भट्ट की दाल को बिना तेल या घी के हल्का सा भून लें। भूनने से भट्ट के दाने अच्छी तरह फूल जाते हैं। इसके बाद घी या तेल में प्याज, लहसुन, जख्या, और जम्बू का तड़का दें। इसके साथ चेरी टमाटर, नमक, मिर्च और मसाले मिलाएं। भुने हुए भट्ट के दानों को इस ग्रेवी में डालकर थोड़ी देर तक पकाएं। लगभग आधे घंटे में यह तैयार हो जाता है। इसे चावल या झंगोरा के साथ गर्मागर्म परोसा जा सकता है। भट्वाणी न सिर्फ सर्दियों में, बल्कि पूरे साल खाई जा सकती है।
2. भट्ट का डुबका (एक)
डुबका एक और पौष्टिक व्यंजन है जो सर्दियों में खासतौर पर खाया जाता है। इसे बनाने के लिए भट्ट की दाल को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसे दरदरा पीसकर मसीटा तैयार करें। इसके बाद कढ़ाई में घी या सरसों का तेल डालकर उसमें लहसुन, प्याज, जख्या, गंदरैण (कढ़ी पत्ता) और जम्बू का तड़का लगाएं। इसमें नमक, मिर्च, और मसाले डालकर भट्ट के मसीटे का छौंक लगा दें। लगातार करछी चलाते रहें ताकि यह तले में न चिपके। जब इसका रंग गहरा हो जाए और महक फैलने लगे, तो समझिए आपका डुबका तैयार है।
3. भट्ट का डुबका (दो)
डुबके की यह विधि भी खास है। इसके लिए भट्ट की दाल को पीसकर मोटा आटा बना लें। फिर इसे हल्की आंच पर घी में भून लें। इसमें नमक, मिर्च, धनिया, और जीरा मिलाएं। गाढ़ापन लाने के लिए आप थोड़ा गेहूं का आटा भी मिला सकते हैं। पानी डालकर इसे पकाते रहें और बीच-बीच में करछी चलाते रहें ताकि यह कढ़ाई के तले में न चिपके। यह व्यंजन सर्दियों में ठंड को भगाने में मदद करता है।
4. भटुला
भटुला डुबके जैसा ही एक और व्यंजन है, लेकिन इसे बनाने का तरीका थोड़ा अलग होता है। भट्ट के आटे को पानी में घोलकर लोहे की कढ़ाई में छौंके के लिए घी या तेल में प्याज, लहसुन और जख्या का तड़का लगाकर पकाएं। फिर इसमें नमक, मिर्च और अन्य मसाले डालकर भट्ट के आटे के घोल का छौंक लगाएं। लगभग 15-20 मिनट में यह तैयार हो जाता है।
5. भट्ट का जौला
भट्ट का जौला एक विशेष और पारंपरिक उत्तराखंडी व्यंजन है। यह पीलिया जैसी बीमारियों के लिए रामबाण औषधि माना जाता है। इसे बनाने के लिए रात को भट्ट की दाल भिगोकर रख दें और सुबह इसे पीसकर मसीटा तैयार करें। बिना तड़के के इस मसीटे को लोहे की कढ़ाई में पकाएं और साथ में चावल डालकर पकने दें। जब यह पककर लसपसा हो जाए, तो इसे लहसुन वाले हरे नमक के साथ खाएं। पीलिया के रोगियों के लिए यह एक बेहद फायदेमंद व्यंजन है।
निष्कर्ष
भट्ट की दाल के ये विभिन्न व्यंजन न केवल स्वाद में अनूठे हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में लोग इन्हें खासतौर पर सर्दियों में खाते हैं, ताकि शरीर को पोषण और गर्माहट मिल सके। भट्ट की दाल के ये जायके उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर का हिस्सा हैं, जिन्हें हर उत्तराखंडी को अपनी रसोई में जरूर शामिल करना चाहिए।
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