इगास बग्वाल (कणसी दीपावली): एक विशेष पर्व की कहानी - Igas Bagwal (Kansi Deepawali): The story of a special festival
इगास बग्वाल (कणसी दीपावली): एक विशेष पर्व की कहानी
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में दीपावली के 11 दिन बाद एक और दिवाली मनाई जाती है, जिसे "इगास बग्वाल" या "कणसी दीपावली" कहा जाता है। यह त्योहार स्थानीय परंपराओं और गाथाओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें वीरता और त्याग की प्रेरणादायक कहानियाँ शामिल हैं।
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माधो सिंह भंडारी और इगास की कहानी
इगास के साथ माधो सिंह भंडारी का एक गहरा संबंध है। लगभग 400 साल पहले, टिहरी के राजा महीपति शाह ने अपने सेनापति माधो सिंह भंडारी को तिब्बत के खिलाफ युद्ध में भेजा। इस दौरान, बग्वाल (दीपावली) का पर्व आ गया, लेकिन युद्ध के कारण कोई भी सैनिक वापस नहीं लौट सका। लोग मानने लगे कि माधो सिंह और उनकी सेना युद्ध में शहीद हो गई है।
बग्वाल के 11 दिन बाद, जब माधो सिंह भंडारी तिब्बत से विजयी होकर लौटे, तो लोगों ने उनकी वापसी की खुशी में पुनः बग्वाल मनाई। इस पुनः मनाई गई बग्वाल को ही "इगास" कहा जाने लगा।
प्रभु श्रीराम की विजय और इगास
इगास को लेकर एक और मान्यता है कि जब प्रभु श्रीराम ने 14 वर्षों के वनवास के बाद लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापसी की, तो हिमालय की दूरस्थ पहाड़ियों में स्थित उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों को इसकी जानकारी 11 दिन बाद प्राप्त हुई। इसलिए उन्होंने 11 दिन बाद दीपावली मनाई, और इसी प्रथा का पालन करते हुए इगास बग्वाल मनाई जाती है।
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इगास की परंपराएं और रीति-रिवाज
इगास के दिन उत्तराखंड के घरों में विशेष परंपराएँ निभाई जाती हैं:
- घरों की लिपाई-पुताई की जाती है और पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।
- विशेष रूप से गाय-बैलों की पूजा की जाती है, जो ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग हैं।
- रात के समय गाँव के लोग एकत्र होकर "भैलो" खेलते हैं, जहाँ लकड़ियों में आग जलाकर गीत गाते हैं।
- माधो सिंह भंडारी और अन्य वीर योद्धाओं को याद करते हुए गीत गाए जाते हैं, जो हमें उनके त्याग और वीरता की याद दिलाते हैं।
इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है, और इसे देवउठनी एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है, जब भगवान विष्णु चिरनिद्रा से जागते हैं।
इगास बग्वाल: पर्वतीय जीवन की विरासत
इगास केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यह हमें हमारे वीर योद्धाओं की याद दिलाता है और हमें गर्वित करता है। इगास बग्वाल की हार्दिक शुभकामनाएँ! आइए, इस पर्व पर अपने पुरखों की कहानियों को संजोएं और उनके अदम्य साहस को सलाम करें।
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