औषधीय संजीवनी: कंडाली पौधा (नेटल)
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| Medicinal Sanjeevani: Kandali plant (Nettle) |
कंडाली, जिसे अंग्रेज़ी में नेटल कहा जाता है, औषधीय गुणों से भरपूर एक जलनकारक वनस्पति है। यह पौधा उत्तराखंड, नेपाल, हिमालय, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका में पाया जाता है। इसका संबंध अर्टिकाकेई वनस्पति परिवार से है। कंडाली के पत्तों पर मौजूद रोम जैसे पतले कांटे फर्मिक अम्ल के कारण जलन और खुजली पैदा करते हैं, परंतु इसे उबालने के बाद यह प्रभाव समाप्त हो जाता है। प्राचीन समय में इसके इन्हीं गुणों के कारण इसका इस्तेमाल यातना देने के लिए भी किया जाता था।
कंडाली: बिच्छू घास की पहचान
इस पौधे का वानस्पतिक नाम "अर्टिका पर्वीफ्लोरा" है, और इसे उत्तराखंड के गढ़वाल में कंडाली और कुमाऊंनी में सिसोण के नाम से जाना जाता है। इसके पत्तों पर छोटे-छोटे कांटे होते हैं, जो शरीर के किसी हिस्से में लगते ही झनझनाहट शुरू कर देते हैं, जिसे बिच्छू के डंक जैसा महसूस होता है। यही कारण है कि इसे बिच्छू घास भी कहा जाता है।
पोषक तत्वों का खजाना
कंडाली में विटामिन ए, बी, सी, डी, लौहतत्व, पोटासियम, मैग्नीज़, और कैल्शियम जैसे पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें 25% प्रोटीन होता है, जो इसे शाकाहारियों के लिए एक उत्तम भोजन बनाता है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी कोमल पत्तियों से साग, रस, खिचड़ी, धबड़ी, और चावल जैसे स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं।
कंडाली का औषधीय महत्व
कंडाली को संजीवनी पौधा कहा जाता है, क्योंकि इसके औषधीय गुण कई बीमारियों को ठीक करने में सहायक होते हैं। यह पित्त दोष, मोच, जकड़न, और मलेरिया के इलाज में सहायक है। इसके बीजों का उपयोग पेट साफ करने की दवा के रूप में किया जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन होता है, जो इसे एनीमिया और अन्य रक्त संबंधित विकारों के लिए लाभकारी बनाता है। इसके अलावा, यह कैंसर रोधी है और इससे एलर्जी खत्म करने में मदद मिलती है।
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स्वास्थ्य लाभ
घाव भरने में सहायक: कंडाली में मौजूद हाइड्रोएल्कोहलिक एक्सट्रैक्ट कटने-जलने और घाव को जल्दी भरने में मदद करता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण घावों को तेजी से ठीक करते हैं।
उच्च रक्तचाप नियंत्रित करता है: कंडाली का नियमित सेवन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है। इसमें मौजूद एंटी-हाइपरटेंसिव गुण इस रोग को कम करते हैं।
हृदय और यकृत के लिए फायदेमंद: कंडाली में मौजूद इथेनॉलिक एक्सट्रैक्ट हृदय की धमनियों से जुड़ी समस्याओं से बचाव करता है, और हेपाटोप्रोटेक्टिव गुण यकृत की सेहत को बनाए रखने में मदद करते हैं।
कामशक्ति संवर्धक: कंडाली में शक्तिशाली यौन उत्तेजक गुण होते हैं। इसका नियमित सेवन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ावा देता है और यौन समस्याओं की रोकथाम में सहायक होता है।
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कंडाली घास का उपयोग अब कपड़े, जैकेट, शॉल, स्टॉल, और बैग बनाने में भी किया जाता है। उत्तराखंड के कई गांवों में बिच्छू घास से रेशा निकाल कर हस्तशिल्प उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिनकी विदेशों में भारी मांग है। इन उत्पादों को अमेरिका, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, और रूस जैसे देशों में निर्यात किया जा रहा है। उत्तराखंड की कंडाली से बने उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
कंडाली चाय: विटामिन का पावर हाउस
कंडाली की चाय को यूरोप में विटामिन और खनिजों का पावर हाउस माना जाता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है और इसकी चाय की कीमत प्रति 100 ग्राम 150 से 290 रुपये तक होती है। भारत सरकार के एनपीओपी (जैविक उत्पादन का राष्ट्रीय कार्यक्रम) ने इस चाय को प्रमाणित किया है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
निष्कर्ष
कंडाली सिर्फ एक पौधा नहीं, बल्कि औषधीय संजीवनी है। इसके औषधीय गुण और व्यावसायिक उपयोग इसे खास बनाते हैं। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में कंडाली के इस्तेमाल से न सिर्फ स्वास्थ्य लाभ मिल रहे हैं, बल्कि इसका उपयोग आजीविका के साधन के रूप में भी बढ़ रहा है।
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