नवरात्र व्रत: तीन प्रकार के व्रत और उनके नियम - Navratri Vrat: Three Types of Fasts and Their Rules

नवरात्र व्रत: तीन प्रकार के व्रत और उनके नियम

नवरात्रि के पावन पर्व पर श्रद्धालु भक्त विभिन्न प्रकार से व्रत रखते हैं। इन व्रतों का उद्देश्य माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करना और आत्मा की शुद्धि है। यहाँ नवरात्र में व्रत रखने के तीन प्रमुख प्रकार और उनके नियम दिए गए हैं:

1. एकभुक्त व्रत

इस प्रकार के व्रत में, भक्त दिन के आधे समय के बाद हविष्यान्न (साधारण अनाज) का भक्षण करते हैं। यह व्रत आंशिक होता है और इसमें भूख को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है।

2. नक्त व्रत

इस व्रत में, भक्त रात्रिकाल में एक समय हविष्यान्न का सेवन करते हैं। यह विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो व्रत के दौरान दिन में खाने का समय नहीं निकाल सकते।

3. उपवास व्रत

इस प्रकार के व्रत में, भक्त व्रत के दिन भोजन का पूर्णतः त्याग करते हैं। यह सबसे कठोर व्रत माना जाता है और इसमें केवल जल का सेवन किया जाता है।

व्रत के दौरान सामान्य नियम

  • आमिष वस्तुओं का त्याग: जो नवरात्र में एकभुक्त या नक्त व्रत रखते हैं, उन्हें हविष्यान्न का भक्षण करना चाहिए और आमिष वस्तुओं का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए।
  • द्विजों के लिए विशेष नियम: द्विजों के लिए भैंस का दूध और अन्य दूध उत्पाद निषिद्ध हैं।
  • सामान्य दिन: सामान्य दिनों में भी भक्तों को प्रयास करना चाहिए कि आमिष भक्षण ना हो।

व्रत करने के लिए नियम

  • सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि समाप्त करें और दिन में शयन न करें।
  • भूमि पर ही शयन करें।
  • प्यास लगने पर ही जल ग्रहण करें।
  • पुरुष और अविवाहित स्त्रियों को तेल, इत्र, शृंगार आदि का त्याग करना चाहिए।

विशेष उपाय

जो भक्त नौ दिनों का व्रत नहीं रख सकते, वे सप्तमी, अष्टमी, और नवमी के दिन व्रत रखकर भी फल प्राप्त कर सकते हैं। ये तीन दिन विशेष रूप से माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

निष्कर्ष

नवरात्रि का यह पावन पर्व न केवल माँ दुर्गा की पूजा का अवसर है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और संयम का भी समय है। व्रत रखने वाले भक्तों को इन नियमों का पालन करना चाहिए ताकि वे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। माँ दुर्गा की कृपा से सभी भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आए।

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