खुमाड़ का शहीद मेला: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण पीडीएफ - Shaheed Mela of Khumad: A Historical Perspective PDF
खुमाड़ का शहीद मेला: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण
परिचय
खुमाड़ का शहीद मेला कुमाऊं क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मेला है, जो प्रतिवर्ष आयोजित होता है। इस मेले का संबंध 5 सितम्बर, 1942 को हुई एक दुखद घटना से है, जब ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ उठे आवाज को दबाने के लिए गोलीबारी का आदेश दिया गया था।
शहीदों की शहादत
इस घटना में खीमदेव, गंगाराम, और गंगा सिंह चूडामणी जैसे बहादुर लोग शहीद हुए थे। यह घटना कुमाऊं के इतिहास में एक काले दिन के रूप में जानी जाती है, और इसे "कुमाऊं का जलियावाला" भी कहा जाता है। यह मेला उन शहीदों की याद में आयोजित किया जाता है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी।
चौखुटिया: कुमाऊं का कश्मीर
चौखुटिया, जिसे गेवाड़ घाटी के नाम से भी जाना जाता है, कुमाऊं क्षेत्र में स्थित एक सुंदर तहसील है। इसे नवरंगी गेवाड़ या रंगीलो गेवाड़ भी कहा जाता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली इसे "कुमाऊं का कश्मीर" का उपाधि देती है। चौखुटिया का क्षेत्र विविधताओं से भरा हुआ है, जहाँ पर्यटक हर साल आते हैं।
जिले के प्रमुख मेले
अल्मोड़ा का नन्दादेवी मेला
- यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का है और हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
जागेश्वर का श्रावणी मेला
- यह मेला पूरे श्रावण मास में आयोजित होता है और यहाँ भक्तों की भारी भीड़ जुटती है।
सोमनाथ मेला
- यह मेला रामगंगा तट पर मई माह में आयोजित होता है, जिसमें बैलों का क्रय-विक्रय होता है। यह कुमाऊं का एकमात्र ऐसा मेला है।
तुल कौतिक
- पहली रात्रि को सल्टिया मेला लगता है, जो देखने योग्य होता है।
नैथड़ा का मेला
- यह मेला गेवाड़ घाटी, चौखुटिया में नैथाना मंदिर में प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की पहली गते को लगता है।
देघाट का मेला
- स्याल्दे स्थित देघाट में प्रतिवर्ष चैत्राष्टमी को मेला लगता है, जो विनोदा नदी के तट पर आयोजित होता है।
अग्नेरी का मेला
- यह मेला चौखुटिया बाजार के पास मां अग्नेरी के मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्राष्टमी को लगता है।
दूनागिरी का मेला
- दूनागिरी पर्वत के निकट स्थित यह मेला भी भव्यता से मनाया जाता है।
सैण की शिवरात
- यह मेला धार्मिक महत्व रखता है और भक्तों के लिए विशेष होता है।
मानिला का मेला
- यह मेला क्षेत्रीय सांस्कृतिक उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
निष्कर्ष
खुमाड़ का शहीद मेला और अन्य मेले कुमाऊं क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। ये मेले न केवल धार्मिक महत्व के होते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन मेलों के माध्यम से हम अपने इतिहास और परंपराओं को संजोए रखते हैं और आने वाली पीढ़ियों को उनके बारे में जानकारी देते हैं।
FQCs (Frequently Asked Questions)
1. खुमाड़ का शहीद मेला कब मनाया जाता है?
- उत्तर: खुमाड़ का शहीद मेला प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है।
2. खुमाड़ के शहीद मेला का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
- उत्तर: इस मेले का संबंध 5 सितम्बर, 1942 को हुई गोलीबारी से है, जिसमें खीमदेव, गंगाराम, और गंगा सिंह चूडामणी शहीद हुए थे। इसे "कुमाऊं का जलियावाला" भी कहा जाता है।
3. चौखुटिया क्षेत्र को "कुमाऊं का कश्मीर" क्यों कहा जाता है?
- उत्तर: चौखुटिया क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली के कारण इसे "कुमाऊं का कश्मीर" कहा जाता है।
4. चौखुटिया में कौन-कौन से प्रमुख धार्मिक स्थल हैं?
- उत्तर: चौखुटिया में नैथाना मंदिर, गेवाड़ घाटी और कई अन्य छोटे मंदिर हैं जो भक्तों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
5. अल्मोड़ा का नन्दादेवी मेला कब और कैसे मनाया जाता है?
- उत्तर: अल्मोड़ा का नन्दादेवी मेला हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भव्य जुलूस होते हैं।
6. सोमनाथ मेला की विशेषताएँ क्या हैं?
- उत्तर: सोमनाथ मेला रामगंगा तट पर मई माह में आयोजित होता है, जिसमें बैलों का क्रय-विक्रय किया जाता है। यह कुमाऊं का एकमात्र ऐसा मेला है।
7. नैथड़ा का मेला कब आयोजित होता है?
- उत्तर: नैथड़ा का मेला प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की पहली गते को गेवाड़ घाटी, चौखुटिया में आयोजित होता है।
8. देघाट का मेला कब और कहाँ लगता है?
- उत्तर: देघाट का मेला प्रतिवर्ष चैत्राष्टमी को स्याल्दे स्थित देघाट में विनोदा नदी के तट पर आयोजित होता है।
9. अग्नेरी का मेला कब मनाया जाता है?
- उत्तर: अग्नेरी का मेला चौखुटिया बाजार के पास मां अग्नेरी के मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्राष्टमी को मनाया जाता है।
10. दूनागिरी का मेला किस कारण से प्रसिद्ध है?
- उत्तर: दूनागिरी का मेला धार्मिक महत्व रखता है और इसे क्षेत्रीय भक्तों के लिए विशेष माना जाता है।
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