उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मेले और त्योहार पीडीएफ के साथ - With the main fairs and festivals of Uttarkashi district, along with the PDF.
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मेले और त्योहार
उत्तरकाशी, जो गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है, अपनी सांस्कृतिक धरोहर और अद्भुत त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के मेलों को स्थानीय भाषा में "थोलू" कहा जाता है। आइए, जानते हैं जिले के प्रमुख मेलों और त्योहारों के बारे में:
प्रमुख मेले/त्यौहार
- पंचकोसी मेला/वारुणी यात्रा: चैत्र मास में मनाया जाता है।
- घोल्डिया संक्रांति: जेठ प्रारंभ होने पर आटे का घ्वैल्ड बनाकर गुड़ और तेल में पकाया जाता है।
- सत्वातीज: बैशाख में नए अनाज (जौ, गेहूँ) को भूनकर सत्तू बनाया जाता है।
- हड़तालिका तीज: भाद्रपद में पत्नियां पति की दीर्घ आयु के लिए व्रत धारण करती हैं।
- मकर संक्रांति का थोलू: इसे खिचड़ी संक्रांति भी कहते हैं।
- बैशाखी का थोलू: 14 अप्रैल को हनोल में आयोजित किया जाता है।
- सेलकू: समेश्वर देवता को समर्पित मेला।
- हारदूध का मेला: 20 श्रावण को मनाग देवता समेश्वर के लिए आयोजित होता है।
- लोसर: नववर्ष आगमन पर डुंडा में मनाया जाता है।
- कुटैटी देवी का थोलू: ऐरावत पर्वत पर मां कुटेटी देवी मंदिर पर आयोजित।
- द्य़ारा का अंडूड त्यौहार: रैथल गांव में भाद्रपद में आयोजित। इसे माखन की होली भी कहते हैं।
- मोरी मेला: तमलाग गांव में प्रति 12 वर्ष में आयोजित।
- श्रावणी मेला: नौगांव में मनाया जाता है।
- समसू: हर की दून बुग्याल पर दुर्याधन की पूजा से संबंधित।
- बेठल मेला: अगस्त-सितम्बर में बकरी पालकों की घर वापसी पर आयोजित।
- अठोड़ मेला: चार साल में एक बार पाली गांव, नौगांव में आयोजित।
- गेंदुवा उत्सव: पुरोला की सिंगवुर पट्टी में आयोजित।
प्रमुख तीर्थ स्थल
गंगोत्री घाटी
- गंगोत्री: 3140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित। यहां भगीरथ ने गंगा को भूमि पर अवतरित करने हेतु तप किया था।
- समीपवर्ती तीर्थ:
- भगीरथ शिला
- गौरीकुण्ड
- ब्रह्म कुण्ड
- विष्णु कुण्ड
यमुनोत्री
- यमुनोत्री: 3230 मीटर की ऊंचाई पर स्थित। यहां कालिन्दी पर्वत है और 1850 में लकड़ी का मंदिर सुदर्शन शाह ने बनवाया।
प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं
- गढ़ रैबार: 1974 में शुरू हुआ। जनपद बनने के बाद का पहला समाचार पत्र।
- पर्वतवाणी: 1974 में पीताम्बर जोशी द्वारा शुरू किया गया।
- उत्तरीय आवाज: 1988 में दिनेश नौटियाल द्वारा शुरू किया गया।
- रवाई मेल: 1998 में जनजाति क्षेत्र रवाई से छपने वाला पहला समाचार पत्र।
- भूख: 1986 में उत्तरकाशी की युवा साहित्य कला संगम द्वारा शुरू किया गया।
- वीर गढ़वाल: 1982 में बर्फिया लाल जुवांठा ने शुरू किया।
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मेले, त्योहार और तीर्थ स्थल
उत्तरकाशी जिले का परिचय: उत्तरकाशी उत्तराखंड का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जिला है, जहाँ के मेले और त्योहार यहाँ की जीवंतता और समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं। यहाँ के लोग अपनी परंपराओं को मनाने में गर्व महसूस करते हैं।
प्रमुख मेले और त्योहार:
पंचकोसी मेला/वारुणी यात्रा
- समय: चैत्र मास में
- विवरण: यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जहाँ भक्तजन भाग लेते हैं।
घोल्डिया संक्रान्ति
- समय: जेठ प्रारंभ
- विवरण: इस दिन आटे का घ्वैल्ड (मृग) बनाकर गुड़ और तेल में पकाया जाता है।
सत्वातीज
- समय: बैशाख में
- विवरण: नये अनाज (जौ, गेहूँ) को भूनकर सत्तू बनाया जाता है।
हड़तालिका तीज
- समय: भाद्रपद में
- विवरण: पत्नियां अपने पति की दीर्घ आयु के लिए व्रत रखती हैं।
मकर संक्रान्ति का थोलू
- विवरण: इसे खिचड़ी संक्रांति भी कहा जाता है।
बैशाखी का थोलू
- समय: 14 अप्रैल को
- स्थान: हनोल में आयोजित।
सेलकू
- विवरण: समेश्वर देवता को समर्पित मेला।
हारदूध का मेला
- समय: 20 श्रावण
- विवरण: मनाग देवता समेश्वर को आयोजित होता है।
लोसर
- विवरण: नववर्ष आगमन पर डुंडा में मनाया जाता है।
कुटैटी देवी का थोलू
- स्थान: ऐरावत पर्वत पर आयोजित।
- द्य़ारा का अंडूड त्यौहार
- स्थान: रैथल गांव, भटवाडी (भाद्रपद मास)। इसे माखन की होली भी कहा जाता है।
- मोरी मेला
- विवरण: प्रति 12 वर्ष में तमलाग गांव में आयोजित।
- श्रावणी मेला
- स्थान: नौगांव।
- समसू
- विवरण: हर की दून बुग्याल पर दुर्याधन की पूजा से सम्बन्धित।
- बेठल मेला
- समय: अगस्त-सितम्बर में।
- विवरण: बकरी पालकों की घर वापसी पर आयोजित।
- अठोड़ मेला
- समय: चार साल में एक बार।
- स्थान: पाली गांव, नौगांव में आयोजित।
- गेंदुवा उत्सव
- स्थान: पुरोला की सिंगवुर पट्टी में आयोजित।
प्रमुख तीर्थ स्थल:
गंगोत्री घाटी
- 3140 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, जहाँ भगीरथ ने गंगा को भूमि पर अवतरित करने हेतु तप किया था।
यमुनोत्री
- 3230 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, यहाँ 1850 में लकड़ी का मंदिर सुदर्शन शाह ने बनवाया था।
मुखवा
- गंगोत्री से 20 किलोमीटर पहले भागीरथी के दाएं तट पर स्थित, इसे भागीरथी का मायका कहा जाता है।
प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं:
गढ़ रैबार
- स्थापना वर्ष: 1974
पर्वतवाणी
- स्थापना वर्ष: 1974
उत्तरीय आवाज
- स्थापना वर्ष: 1988
रवाई मेल
- स्थापना वर्ष: 1998
भूख
- स्थापना वर्ष: 1986
वीर गढ़वाल
- स्थापना वर्ष: 1982
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मेलों और त्योहारों से संबंधित FQCs:
1. पंचकोसी मेला/वारुणी यात्रा
- समय: चैत्र मास
- विवरण: यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। इस यात्रा में भाग लेने वाले भक्तजन पांच प्रमुख स्थानों की परिक्रमा करते हैं।
2. घोल्डिया संक्रांति
- समय: जेठ प्रारंभ
- विवरण: इस दिन आटे का घ्वैल्ड (मृग) बनाकर गुड़ और तेल में पकाया जाता है, और यह एक स्थानीय परंपरा का हिस्सा है।
3. सत्वातीज
- समय: बैशाख
- विवरण: इस अवसर पर नये अनाज (जौ और गेहूँ) को भूनकर सत्तू बनाया जाता है। यह नई फसल की खुशी में मनाया जाता है।
4. हड़तालिका तीज
- समय: भाद्रपद
- विवरण: पत्नियां अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह त्योहार विशेष रूप से महिलाएं मनाती हैं।
5. मकर संक्रांति का थोलू (खिचड़ी संक्रांति)
- विवरण: मकर संक्रांति के अवसर पर यह मेला मनाया जाता है। लोग इस दिन खिचड़ी का भोग लगाते हैं और इसे साझा करते हैं।
6. बैशाखी का थोलू
- समय: 14 अप्रैल
- स्थान: हनोल
- विवरण: इस मेले का आयोजन बैशाखी के दिन किया जाता है, जो कृषि के नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।
7. सेलकू
- विवरण: यह मेला समेश्वर देवता को समर्पित है और स्थानीय लोगों द्वारा श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
8. हारदूध का मेला
- समय: 20 श्रावण
- विवरण: इस मेले का आयोजन मनाग देवता समेश्वर के लिए किया जाता है। इसमें लोग सामूहिक रूप से भाग लेते हैं।
9. लोसर
- विवरण: यह नववर्ष का स्वागत करने का मेला है, जिसे डुंडा में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह खासतौर पर तिब्बती संस्कृति से प्रभावित है।
10. कुटैटी देवी का थोलू
- स्थान: ऐरावत पर्वत
- विवरण: यह मेला कुटैटी देवी को समर्पित है, जहाँ भक्तजन देवी के मंदिर में जाकर पूजा करते हैं।
11. द्य़ारा का अंडूड त्यौहार
- स्थान: रैथल गांव (भाद्रपद)
- विवरण: इसे माखन की होली भी कहा जाता है, जहाँ मक्खन से होली खेली जाती है और स्थानीय परंपराएं निभाई जाती हैं।
12. मोरी मेला
- समय: प्रति 12 वर्ष
- स्थान: तमलाग गांव
- विवरण: इस मेले का आयोजन हर बारह साल में किया जाता है, और यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।
13. श्रावणी मेला
- स्थान: नौगांव
- विवरण: यह मेला श्रावण मास में मनाया जाता है और कृषि से जुड़े अनुष्ठानों और उत्सवों का हिस्सा है।
14. समसू
- विवरण: यह मेला हर की दून बुग्याल में दुर्योधन की पूजा के संदर्भ में मनाया जाता है।
15. बेठल मेला
- समय: अगस्त-सितम्बर
- विवरण: यह मेला बकरी पालकों की घर वापसी पर आयोजित होता है और ग्रामीण समुदायों में एक महत्वपूर्ण घटना है।
16. अठोड़ मेला
- समय: हर चार साल में एक बार
- स्थान: पाली गांव, नौगांव
- विवरण: इस मेले का आयोजन चार साल में एक बार होता है, जो स्थानीय देवताओं की पूजा से संबंधित है।
17. गेंदुवा उत्सव
- स्थान: पुरोला की सिंगवुर पट्टी
- विवरण: इस उत्सव में स्थानीय खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख तीर्थ स्थलों से संबंधित FQCs:
1. गंगोत्री घाटी
- स्थान: 3140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित
- विवरण: यहाँ भगीरथ ने गंगा को भूमि पर अवतरित करने के लिए तप किया था। यह गंगा नदी के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
2. यमुनोत्री
- स्थान: 3230 मीटर की ऊंचाई पर स्थित
- विवरण: यह यमुनोत्री नदी का उद्गम स्थल है और यहाँ कालिन्दी पर्वत स्थित है। यमुनोत्री धाम के मंदिर का निर्माण 1850 में सुदर्शन शाह द्वारा किया गया था।
3. मुखवा
- स्थान: गंगोत्री से 20 किलोमीटर पहले
- विवरण: इसे भागीरथी का मायका कहा जाता है, और यहाँ गंगा का शीतकालीन प्रवास होता है।
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख समाचार पत्र और पत्रिकाओं से संबंधित FQCs:
1. गढ़ रैबार
- स्थापना वर्ष: 1974
- विवरण: यह जनपद बनने के बाद का पहला समाचार पत्र है, जो उत्तरकाशी जिले की खबरों को कवर करता है।
2. पर्वतवाणी
- स्थापना वर्ष: 1974
- विवरण: पीताम्बर जोशी द्वारा शुरू किया गया यह समाचार पत्र जिले में व्यापक रूप से पढ़ा जाता है।
3. उत्तरीय आवाज
- स्थापना वर्ष: 1988
- विवरण: दिनेश नौटियाल द्वारा शुरू किया गया यह समाचार पत्र उत्तरकाशी की आवाज को बुलंद करता है।
4. रवाई मेल
- स्थापना वर्ष: 1998
- विवरण: यह रवाई जनजाति क्षेत्र से प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र है।
5. भूख
- स्थापना वर्ष: 1986
- विवरण: उत्तरकाशी की युवा साहित्य कला संगम द्वारा शुरू किया गया यह पत्रिका स्थानीय साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को कवर करता है।
6. वीर गढ़वाल
- स्थापना वर्ष: 1982
- विवरण: बर्फिया लाल जुवांठा द्वारा शुरू किया गया यह समाचार पत्र जिले के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मेले, त्योहार, और तीर्थ स्थल जिले की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। ये सभी मेलों और उत्सवों से जुड़ी परंपराएं न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करती हैं बल्कि स्थानीय लोगों की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं।
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