भवानी सिंह रावत: गढ़वाल के महान क्रांतिकारी (Bhawani Singh Rawat: The great revolutionary of Garhwal)
भवानी सिंह रावत: गढ़वाल के महान क्रांतिकारी
जन्म और प्रारंभिक जीवन
भवानी सिंह रावत का जन्म ग्राम पंचूर, जिला पौड़ी गढ़वाल में एक फौजी कप्तान के घर हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लैंसडौन छावनी में हुई। शिक्षा के दौरान ही उनके विचारों में अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीतियों के प्रति गहरी नाराज़गी उत्पन्न हुई।
आगे की शिक्षा उन्होंने मुरादाबाद, चंदौसी, और सराय रोहिला की संस्थाओं में प्राप्त की। जवाहरलाल नेहरू के भाषणों से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी का निर्णय लिया।
क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत
चंद्रशेखर आज़ाद से संपर्क
दिल्ली असेम्बली बम कांड के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान उन्हें चंद्रशेखर आज़ाद से पत्र पहुंचाने की ज़िम्मेदारी दी गई। कानपुर जाकर आज़ाद से मिलना उनके जीवन का महत्वपूर्ण क्षण था। इसी दौरान 8 अप्रैल 1926 को दिल्ली असेम्बली में बम फेंका गया।
भवानी सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर पिस्तौल चलाने का प्रशिक्षण गढ़वाल में दिया। क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन की आवश्यकता के चलते उन्होंने चांदनी चौक स्थित गड़ोदिया स्टोर से तेरह हजार रुपये लूटने का साहसिक कार्य किया।
गिरफ्तारी और संघर्ष
भवानी सिंह को एक बार दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद भी उन्होंने अपने क्रांतिकारी प्रयास जारी रखे। स्वतंत्रता संग्राम के बाद भवानी सिंह ने पंचायत निरीक्षक के रूप में 14 वर्षों तक सेवा दी।
चंद्रशेखर आज़ाद स्मारक की स्थापना
भवानी सिंह ने अपने प्रयासों से गढ़वाल के डोंगड़ा में चंद्रशेखर आज़ाद स्मारक बनवाने में योगदान दिया। 1973 में सरकार ने इस स्मारक की स्थापना की।
समर्पण और योगदान
भवानी सिंह ने अखिल भारतीय क्रांतिकारी दल के सदस्य के रूप में उत्तराखंड का नाम गौरवान्वित किया। हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में अमूल्य है।
भवानी सिंह रावत को श्रद्धांजलि
उनका जीवन त्याग, बलिदान, और प्रेरणा का प्रतीक है। उनका संघर्ष हमें बताता है कि ऊंचे आदर्शों की रक्षा के लिए साहस और निष्ठा आवश्यक है।
“स्वतंत्रता संग्राम में भवानी सिंह रावत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।”
भवानी सिंह रावत: गढ़वाल के महान क्रांतिकारी
नीचे भवानी सिंह रावत के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं:
प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: भवानी सिंह रावत का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर: भवानी सिंह रावत का जन्म ग्राम पंचूर, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ था।
प्रश्न 2: भवानी सिंह रावत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कहां पूरी की?
उत्तर: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लैंसडौन छावनी में पूरी की।
प्रश्न 3: भवानी सिंह रावत को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की प्रेरणा कहां से मिली?
उत्तर: उन्हें जवाहरलाल नेहरू के भाषणों और क्रांतिकारी कैलाशपति व जयदेव कपूर के संपर्क में आने से प्रेरणा मिली।
प्रश्न 4: भवानी सिंह ने किस संगठन में सदस्यता ग्रहण की?
उत्तर: उन्होंने हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ (HSRA) में सदस्यता ली।
प्रश्न 5: भवानी सिंह का चंद्रशेखर आज़ाद से क्या संबंध था?
उत्तर: भवानी सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद से मुलाकात की और उनके साथ मिलकर गढ़वाल में पिस्तौल चलाने का प्रशिक्षण दिया।
प्रश्न 6: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भवानी सिंह ने कौन-सा प्रमुख कार्य किया?
उत्तर: उन्होंने चांदनी चौक स्थित गड़ोदिया स्टोर से ₹13,000 लूटकर क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन जुटाया।
प्रश्न 7: भवानी सिंह रावत को दिल्ली पुलिस ने कब और क्यों गिरफ्तार किया था?
उत्तर: उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण रिहा कर दिया।
प्रश्न 8: स्वतंत्रता संग्राम के बाद भवानी सिंह ने कौन-सा सरकारी पद संभाला?
उत्तर: स्वतंत्रता संग्राम के बाद उन्होंने पंचायत निरीक्षक के रूप में 14 वर्षों तक सेवा दी।
प्रश्न 9: चंद्रशेखर आज़ाद स्मारक कहां स्थित है, और इसे स्थापित करने में भवानी सिंह का क्या योगदान था?
उत्तर: चंद्रशेखर आज़ाद स्मारक गढ़वाल के डोंगड़ा में स्थित है। भवानी सिंह ने इसे स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न 10: भवानी सिंह रावत का जीवन किस प्रकार प्रेरणादायक है?
उत्तर: उनका जीवन बलिदान, त्याग और साहस का प्रतीक है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए न केवल अपना जीवन समर्पित किया, बल्कि समाज में जागरूकता लाने के लिए भी अमूल्य योगदान दिया।
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Poem:
जो त्याग में समर्पित थे, जो बलिदान में अग्रणी।
भवानी के हृदय में बसा, हर जन का स्वप्न यज्ञिनी।
गौरव की मूरत, साहस की पहचान।
उनके जीवन की गाथा, आजादी की शान।
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