दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास विकास योजना (Deen Dayal Upadhyay Housing Development Scheme)

दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास विकास योजना: उत्तराखंड में पर्यटन और आर्थिक सशक्तिकरण का नया कदम

उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने "दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना" की शुरुआत की है। यह योजना घरेलू और विदेशी पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव देने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराती है। इसके तहत स्थानीय निवासी अपने घर को होम स्टे के रूप में विकसित करके अपनी आर्थिक स्थिति को सशक्त बना सकते हैं।

योजना की विशेषताएं

  • सुखद अनुभव: पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति, रहन-सहन और परंपराओं के करीब रहने का अवसर मिलता है।
  • आर्थिक सशक्तिकरण: स्थानीय लोगों को अपने घरों का उपयोग करते हुए आय के स्रोत को बढ़ाने का अवसर मिलता है।
  • पर्यटन को बढ़ावा: ग्रामीण इलाकों में होम स्टे के जरिए पर्यटन का विस्तार होता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

राजकीय सहायता की धनराशि

इस योजना के अंतर्गत, उत्तराखंड सरकार लाभार्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इसे दो हिस्सों में बांटा गया है: मूल सब्सिडी और ब्याज पर सब्सिडी

मैदानी क्षेत्रों के लिए:

  • मूल सब्सिडी: पूंजी संकर्म लागत का 25% या अधिकतम ₹7.50 लाख (जो भी कम हो) प्रदान किया जाएगा।
  • ब्याज पर सब्सिडी: प्रथम पाँच वर्षों तक ऋण के ब्याज का 50% अधिकतम ₹1 लाख प्रतिवर्ष तक देय होगा।

पर्वतीय क्षेत्रों के लिए:

  • मूल सब्सिडी: पूंजी संकर्म लागत का 33% या अधिकतम ₹10 लाख (जो भी कम हो) प्रदान किया जाएगा।
  • ब्याज पर सब्सिडी: प्रथम पाँच वर्षों तक ऋण के ब्याज का 50% अधिकतम ₹1.50 लाख प्रतिवर्ष तक देय होगा।

श्रेणियाँ एवं क्षेत्र का निर्धारण

पर्वतीय क्षेत्रों के लाभार्थियों के लिए ये श्रेणियाँ और क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं:

  • पर्वतीय क्षेत्र: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति 2015 के अनुसार श्रेणी A, B, B+ एवं C में आने वाले क्षेत्रों को पर्वतीय माना गया है।
  • मैदानी क्षेत्र: श्रेणी D में आने वाले क्षेत्रों को मैदानी माना गया है।

योजना के लाभ

  1. स्थानीय संस्कृति का प्रसार: इस योजना के तहत पर्यटक स्थानीय संस्कृति, भोजन, रीति-रिवाज और पर्वतीय जीवनशैली को करीब से अनुभव कर सकते हैं।
  2. पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन: होम स्टे योजना के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
  3. रोजगार सृजन: स्थानीय लोगों को होम स्टे के रूप में रोजगार के नए साधन मिलते हैं, जिससे उनके जीवन में सुधार आता है।

योजना का उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि पर्यटन के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों के लिए आर्थिक समृद्धि लाई जा सके। यह उत्तराखंड के लोगों को उनके स्वयं के संसाधनों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करता है, और पर्यटकों को भी भारतीय संस्कृति के विविध रंगों से परिचित कराता है।

निष्कर्ष: "दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास विकास योजना" एक प्रभावी कदम है जो पर्यटन को एक नए स्तर पर ले जाता है और स्थानीय जनता को लाभान्वित करता है।

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दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास विकास योजना: उत्तराखंड में पर्यटन और आर्थिक सशक्तिकरण का नया कदम

Q1: दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A1: इस योजना का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण में सहायता करना है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराती है और पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति का अनुभव प्रदान करती है।

Q2: इस योजना से पर्यटकों को क्या लाभ मिलता है?
A2: इस योजना के तहत पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति, रहन-सहन और परंपराओं के करीब रहने का अवसर मिलता है, जिससे वे उत्तराखंड की पारंपरिक जीवनशैली को समझ सकते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों का वास्तविक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

Q3: योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता का क्या प्रावधान है?
A3: योजना के तहत राज्य सरकार मैदानी क्षेत्रों में लाभार्थियों को पूंजी लागत का 25% या अधिकतम ₹7.50 लाख, और पर्वतीय क्षेत्रों में 33% या अधिकतम ₹10 लाख की सब्सिडी प्रदान करती है। इसके अलावा, ऋण के ब्याज का 50% प्रथम पाँच वर्षों तक, अधिकतम ₹1 लाख (मैदानी) और ₹1.50 लाख (पर्वतीय) प्रतिवर्ष तक देय होगा।

Q4: पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में लाभार्थियों के लिए श्रेणियाँ कैसे निर्धारित की गई हैं?
A4: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति 2015 के अनुसार, श्रेणी A, B, B+ एवं C में आने वाले क्षेत्रों को पर्वतीय माना गया है, जबकि श्रेणी D में आने वाले क्षेत्रों को मैदानी क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

Q5: इस योजना के अंतर्गत स्थानीय संस्कृति के प्रसार में किस प्रकार की भूमिका निभाई जाती है?
A5: यह योजना स्थानीय संस्कृति, भोजन, रीति-रिवाज और पर्वतीय जीवनशैली को पर्यटकों के बीच प्रसारित करने में सहायक है। पर्यटक स्थानीय रहन-सहन को करीब से अनुभव कर सकते हैं, जिससे उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का संवर्धन होता है।

Q6: इस योजना के माध्यम से पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन कैसे संभव है?
A6: होम स्टे योजना के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित किया जाता है, जिससे पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है।

Q7: दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास विकास योजना के तहत रोजगार सृजन में क्या योगदान है?
A7: यह योजना स्थानीय लोगों को होम स्टे के रूप में रोजगार के नए साधन प्रदान करती है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होता है और आर्थिक स्थिति सशक्त होती है।

Q8: इस योजना का उत्तराखंड के पर्यटन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
A8: यह योजना उत्तराखंड के पर्यटन को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का माध्यम बन सकती है, क्योंकि होम स्टे के माध्यम से अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

Q9: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इस योजना के अंतर्गत सब्सिडी का कितना लाभ दिया जाता है?
A9: पर्वतीय क्षेत्रों में लाभार्थियों को पूंजी लागत का 33% या अधिकतम ₹10 लाख तक की सब्सिडी मिलती है। इसके अतिरिक्त, पाँच वर्षों तक ऋण के ब्याज का 50% अधिकतम ₹1.50 लाख प्रतिवर्ष तक दिया जाता है।

Q10: योजना का निष्कर्ष क्या है?
A10: "दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास विकास योजना" उत्तराखंड के पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल स्थानीय जनता के लिए आर्थिक लाभ का स्रोत है, बल्कि पर्यटकों के लिए एक अनूठा सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है।

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