बागेश्वर जिले का इतिहास (History of Bageshwar District)

बागेश्वर जिले का इतिहास

बागेश्वर, उत्तर भारत के उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख जिला है। यह जिला मुख्यालय के रूप में बागेश्वर शहर को समर्पित है, जो उत्तराखंड के पूर्वी कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है। बागेश्वर जिला 1997 में अलग जिला के रूप में स्थापित हुआ था। इससे पहले, यह अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है, और यह विभिन्न कालखंडों में महत्वपूर्ण बदलावों से गुजरा है।

प्रारंभिक इतिहास

बागेश्वर का ऐतिहासिक नाम दानपुर था, जो कत्युर वंश के शासनकाल से जुड़ा हुआ है। 7वीं शताब्दी में, कत्युर वंश के शासकों का इस क्षेत्र पर शासन था। कत्युरी शासकों ने इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य किए और इसे सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध किया। हालांकि, 13वीं शताब्दी में कत्युर साम्राज्य का पतन हो गया, और यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से अस्थिर हो गया।

कुमाऊं में कत्युर वंश का योगदान

13वीं शताब्दी के बाद कत्युरी साम्राज्य का विघटन हुआ, और इस क्षेत्र की राजनीति में बदलाव आ गया। 1565 में राजा बलू कल्याण चंद ने दानपुर को कुमाऊं से जोड़ने के लिए पाली, बरहमंदल और मानकोट के क्षेत्रों को शामिल किया। यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी, जिसने बागेश्वर को कुमाऊं के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में स्थापित किया।

नेपाल के गोरखाओं का शासन

1791 में नेपाल के गोरखाओं ने इस क्षेत्र पर हमला किया और इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। गोरखाओं ने बागेश्वर पर 24 वर्षों तक शासन किया, जो उनके लिए इस क्षेत्र में शासन स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण समय था। हालांकि, 1814 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखाओं को पराजित किया, और 1816 में सुगौली संधि के तहत कुमाऊं को ब्रिटिशों को सौंप दिया गया।

ब्रिटिश शासन के दौरान

ब्रिटिश शासन के दौरान, बागेश्वर का महत्व बढ़ा, और यह एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बन गया। बागेश्वर को 1974 में एक अलग तहसील के रूप में बनाया गया और 1976 में इसे परगना घोषित किया गया। इससे इस क्षेत्र का प्रशासनिक ढांचा मजबूत हुआ और यह औपचारिक रूप से एक बड़े प्रशासनिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ।

आधुनिक इतिहास और जिला गठन

1985 में, बागेश्वर को एक स्वतंत्र जिले के रूप में बनाने की मांग उठी, जो विभिन्न राजनीतिक दलों और क्षेत्रीय नेताओं द्वारा उठाई गई थी। बागेश्वर जिले के गठन की आवश्यकता को देखते हुए, सितंबर 1997 में इसे उत्तर प्रदेश का एक नया जिला घोषित किया गया। इसके बाद बागेश्वर का प्रशासन और विकास तेजी से बढ़ा, और यह उत्तराखंड राज्य के एक महत्वपूर्ण जिले के रूप में स्थापित हो गया।

निष्कर्ष

बागेश्वर का इतिहास समृद्ध और विविधताओं से भरा हुआ है। कत्युर वंश, गोरखा शासन, और ब्रिटिश काल ने इस क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर प्रदान की है। आज, यह जिला उत्तराखंड के प्रमुख जिलों में से एक है और अपनी सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।


Frequently Asked Questions (FQCs)

1. बागेश्वर जिला कहां स्थित है?

उत्तर: बागेश्वर जिला उत्तराखंड राज्य के पूर्वी कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है। यह जिले के पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में चमोली जिला, पूर्वोत्तर और पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, और दक्षिण में अल्मोड़ा जिला से घिरा हुआ है।

2. बागेश्वर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

उत्तर: बागेश्वर का ऐतिहासिक महत्व कत्युर वंश के शासन से जुड़ा हुआ है। 7वीं शताब्दी में कत्युर वंश ने इस क्षेत्र पर शासन किया था और इसे दानपुर के रूप में जाना जाता था। 1565 में राजा बलू कल्याण चंद ने इसे कुमाऊं से जोड़ने का कार्य किया था।

3. बागेश्वर को एक अलग जिला कब बनाया गया?

उत्तर: बागेश्वर को 1997 में उत्तर प्रदेश का एक नया जिला घोषित किया गया था। इससे पहले, यह अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था।

4. क्या बागेश्वर पर कभी गोरखा शासन था?

उत्तर: हां, 1791 में नेपाल के गोरखाओं ने बागेश्वर पर आक्रमण किया था और 24 वर्षों तक इस पर शासन किया। बाद में 1814 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखाओं को पराजित किया और 1816 में सुगौली संधि के तहत कुमाऊं को ब्रिटिशों के हवाले कर दिया गया।

5. बागेश्वर जिले की सीमाएं कहां हैं?

उत्तर: बागेश्वर जिले की पश्चिमी सीमा चमोली जिले से, उत्तर-पश्चिमी सीमा भी चमोली जिले से, और दक्षिणी सीमा अल्मोड़ा जिले से लगती है। इसके अलावा, पिथौरागढ़ जिला इसकी पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमा बनाता है।

6. बागेश्वर का नाम कैसे पड़ा?

उत्तर: बागेश्वर का नाम भगवान शिव और भगवान गणेश से जुड़ा हुआ है। बागेश्वर मंदिर का मंदिर क्षेत्र पवित्र है, जहां भक्तों का ध्यान केंद्रित होता है। बागेश्वर शब्द का अर्थ "बाग" (गणेश) और "ेश्वर" (ईश्वर) से जुड़ा हुआ है।

7. बागेश्वर जिले का प्रशासनिक इतिहास क्या है?

उत्तर: बागेश्वर 1974 में एक अलग तहसील बना था, और 1976 में इसे परगना घोषित किया गया। इसके बाद 1985 में इसे एक अलग जिले के रूप में बनाने की मांग उठी और 1997 में यह औपचारिक रूप से एक नया जिला बना।

8. बागेश्वर जिले में किस प्रकार की संस्कृति और परंपराएं हैं?

उत्तर: बागेश्वर जिले की संस्कृति उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति का हिस्सा है, जिसमें लोक संगीत, लोक नृत्य, और धार्मिक उत्सव प्रमुख हैं। यहाँ के प्रमुख त्योहारों में फूलदेई, हिलजात्रा, और नवदुर्गा जैसे उत्सव विशेष रूप से मनाए जाते हैं।

9. बागेश्वर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल कौन से हैं?

उत्तर: बागेश्वर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल में बागेश्वर मंदिर, नंदनघाट, काफलीगैर, बैरात मंदिर, और भीमताल शामिल हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

10. बागेश्वर का सबसे बड़ा ऐतिहासिक स्थल कौन सा है?

उत्तर: बागेश्वर मंदिर को बागेश्वर का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव और भगवान गणेश को समर्पित है और इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में पूजा जाता है।



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