कुमाऊं के प्रमुख त्यौहार
कुमाऊं के त्यौहार न केवल धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को दर्शाते हैं, बल्कि ये यहां की लोक संस्कृति को भी जीवित रखते हैं। पर्वों के माध्यम से लोग अपनी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं को प्रकट करते हैं। इसके अलावा, इन त्यौहारों का आर्थिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बनते हैं, खासकर उन दूरस्थ क्षेत्रों में जहां संचार की व्यवस्था सीमित होती है। कुमाऊं में हर त्योहार की विशेषता और महत्व है, जो विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों का प्रतीक है। आइए जानते हैं कुमाऊं के कुछ प्रमुख त्यौहारों के बारे में:
1. विशुवती उर्फ बिखौती
यह त्यौहार विशेष रूप से संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इसे मेष संक्रांति कहा जाता है और यह विशेष रूप से ब्राह्मणों, क्षत्रियों और शिल्पकारों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन खास व्यंजन जैसे मक्खन, मिठाइयाँ और सुपारी पत्तियों से बने तले हुए व्यंजन खाए जाते हैं। पहाड़ी गीतों और ड्रम की धुन पर नृत्य भी किया जाता है। इस दिन मछली पकड़ने का कार्य भी किया जाता है और विशेष गोल केक बनाए जाते हैं।
2. वट सावित्री अमावस्या
यह दिन विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं उपवासी रहती हैं और सावित्री तथा सत्यवान की कथा सुनती हैं। महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटकर पूजा करती हैं और अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
3. हरेला
हरेला कर्क संक्रांति के समय मनाया जाता है। इस दिन बांस के बर्तनों में मिट्टी डालकर विभिन्न प्रकार के अनाज बोए जाते हैं, जैसे धान, मक्का, घोड़ा सेम आदि। इसे हरियाला कहा जाता है और यह त्यौहार सूर्य के प्रकाश से संबंधित होता है। इस दिन का महत्व खासकर कृषि आधारित जीवनशैली से जुड़ा होता है।
4. हरिशयनी एकादशी
यह एक प्रसिद्ध व्रत है, जो वर्षा ऋतु के प्रारंभ में मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियाँ चतुश्रमास्य का पालन करती हैं, जो 4 महीने तक चलता है। यह व्रत हरिबोधिनी से समाप्त होता है, जब देवता अपनी नींद से जागते हैं।
5. सिम्हा और घी संक्रांति
सिम्हा संक्रांति को ओलगिया भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से शिल्पकला के साथ दूध, दही, मिठाइयाँ और अन्य चीजों का आदान-प्रदान होता है। इसे घी संक्रांति भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन रोटियों में अधिक घी का प्रयोग किया जाता है।
6. सकट चतुर्थी
यह गणेश की पूजा का व्रत है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा कर भोजन को चंद्रमा की उपस्थिति में रखा जाता है।
7. हरिताली व्रत
यह व्रत अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है, जब महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु की कामना करती हैं। इस दिन वे उपवासी रहती हैं और व्रत का पालन करती हैं।
8. दूर्वाअष्टमी
यह व्रत अगस्त-सितंबर में मनाया जाता है और महिलाएं सोने, चांदी, रेशम की दूर्वा बनाकर उसकी पूजा करती हैं। यह पूजा समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। इस दिन आग में पकाए गए भोजन से परहेज किया जाता है।
9. नन्दा अष्टमी
यह व्रत कुमाऊं के आदिवासी समुदायों में विशेष रूप से मनाया जाता है। नंदा देवी की पूजा के दौरान भैंसों और बकरियों की बलि दी जाती है। इस दिन कुमाऊं के विभिन्न हिस्सों में मेले आयोजित किए जाते हैं और खासकर अल्मोड़ा में धूमधाम से नंदा अष्टमी पूजा की जाती है।
10. कोजागर
यह छोटी दिवाली के दिन मनाया जाता है, जो पूर्णिमा के दिन होता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखकर लक्ष्मी देवी की पूजा करती हैं। रात को दीप जलाए जाते हैं और घर में मिठाईयां बनाई जाती हैं।
11. घुघुतिया
यह त्यौहार मकर संक्रांति के आसपास मनाया जाता है, जब सूर्य मकर रेखा में प्रवेश करता है। इस दिन लोग घुघुति नामक मिठाई बनाते हैं और उसे कौवों को खिलाने की परंपरा है। यह एक पुराना और अद्भुत त्यौहार है।
12. उत्तरैनी उत्सव
उत्तराखंड का सबसे बड़ा मेला, जो जनवरी के महीने में बागेश्वर में आयोजित होता है। इस मेले में व्यापारी खच्चर, बकरियाँ, याक पूंछ और विभिन्न अन्य वस्तुएं विक्रय करते हैं। यह मेला व्यापारिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यहां वस्तु-विनिमय और ऋण लेन-देन होता है।
इन त्यौहारों के माध्यम से कुमाऊं की लोक संस्कृति और परंपराएं जीवित रहती हैं, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक जीवन में भी अहम भूमिका निभाती हैं।
FQCs (Frequently Asked Questions)
1. कुमाऊं के प्रमुख त्यौहार कौन से हैं?
उत्तर: कुमाऊं में कई प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें विशुवती, वट सावित्री अमावस्या, हरेला, हरिशयनी एकादशी, सिम्हा संक्रांति, सकट चतुर्थी, दूर्वाअष्टमी, नन्दा अष्टमी, कोजागर, घुघुतिया और उत्तरायणी उत्सव प्रमुख हैं। इन त्यौहारों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
2. विशुवती त्यौहार किस दिन मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: विशुवती या बिखौती त्यौहार संक्रांति के दिन मनाया जाता है, जो मेष संक्रांति के रूप में होता है। इस दिन लोग मक्खन, मिठाइयाँ, सुपारी पत्तियाँ, और तले हुए व्यंजन खाते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं। यह पहाड़ी समुदाय का एक पुराना त्यौहार है और मछली पकड़ने की परंपरा भी इस दिन निभाई जाती है।
3. वट सावित्री अमावस्या क्या है और महिलाएं इस दिन क्या करती हैं?
उत्तर: वट सावित्री अमावस्या का त्यौहार पवित्र सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ा हुआ है। इस दिन महिलाएं उपवास करती हैं, वट वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटकर उसकी पूजा करती हैं और अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
4. हरेला त्यौहार किस दिन मनाया जाता है?
उत्तर: हरेला त्यौहार कर्क संक्रांति के आसपास मनाया जाता है। इसे श्रावण (जुलाई-अगस्त) के महीने में मनाया जाता है, जिसमें बांस के बर्तनों में विभिन्न अनाजों की बुआई की जाती है और इन्हें हरियाला कहा जाता है। यह त्यौहार कृषि आधारित है और प्राकृतिक उन्नति की कामना करने के लिए मनाया जाता है।
5. उत्तरायणी उत्सव कहाँ मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: उत्तरायणी उत्सव उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में जनवरी महीने के दौरान आयोजित किया जाता है। यह कुमाऊं का सबसे बड़ा मेला है, जिसमें व्यापारी और लोग वस्तु-विनिमय के लिए जुटते हैं। यहाँ पर मुख्य रूप से खच्चर, बकरियां, भेड़, खाल, नमक, किताबें आदि वस्तुओं का व्यापार होता है।
6. नन्दा अष्टमी किस महीने में मनाई जाती है और इसका धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: नन्दा अष्टमी अगस्त-सितंबर के महीने में मनाई जाती है, और यह कुमाऊं के आदिवासी त्यौहारों में से एक है। इस दिन नंदा देवी की पूजा की जाती है, और भैंसों तथा बकरियों की बलि दी जाती है। यह त्यौहार विशेष रूप से चंद वंश के राजपरिवार से जुड़ा हुआ है।
7. सकट चतुर्थी किसे मनाई जाती है?
उत्तर: सकट चतुर्थी गणेश पूजा का उपवास होता है, जो भाद्रपद माह (अगस्त-सितंबर) में चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं गणेश जी की पूजा करती हैं और चंद्रमा को देखकर भोजन करती हैं। यह त्यौहार विशेष रूप से महिलाओं के लिए होता है।
8. कोजागर त्यौहार कब मनाया जाता है?
उत्तर: कोजागर त्यौहार दिवाली के आसपास सितंबर या अक्टूबर में मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं और रात में लक्ष्मी जी की पूजा करती हैं, साथ ही मिठाई बनती है और दीप जलाए जाते हैं।
9. घुघुतिया त्यौहार का क्या महत्व है?
उत्तर: घुघुतिया त्यौहार सूर्य के मकर राशी में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन कुमाऊं के विभिन्न हिस्सों में लोग पवित्र डुबकी लगाते हैं और ‘घुघुति’ (आटे और गुड़ से बनी एक आकृति) बनाकर उसे कौवों को खिलाते हैं। यह पुराने समय का एक आदिवासी त्यौहार है।
10. दूर्वाअष्टमी किस दिन मनाई जाती है?
उत्तर: दूर्वाअष्टमी अगस्त-सितंबर में मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं सोने, चांदी और रेशम की दूर्वा बना कर पूजा करती हैं। दूर्वा देवी से समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना की जाती है।
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