त्रैलोक्यमंगलम् - सूर्य कवच
श्री सूर्य उवाच
साम्ब साम्ब महावाहो श्रुणु मे कवचं शुभम्।
त्रैलोक्यमंगलं नाम फलदं परमाद्भुतम्॥ 1॥
हे साम्ब! हे महावाहो! तुम मेरे इस अद्भुत और श्रेष्ठ फल देने वाले कवच को सुनो, जिसका नाम त्रैलोक्यमंगल है। यह कवच तुम्हारे लिए सर्वोत्तम फल देने वाला है और परम अद्भुत है।
यद्ध्यात्वा मन्त्रवित्सम्यक्फलमाप्नोति निश्चितम्।
यद्धृत्वा च महादेवो गणानामधिपोऽभवत्॥ 2॥
जिसे ध्यानपूर्वक जपने से निश्चित रूप से फल प्राप्त होता है और जिसे धारण करने से महादेव गणों के स्वामी बन गए।
पठनाद्वारणादिष्णुः सर्वेषां पालकोऽभवत्।
एवमिन्द्रादयः सर्वे सर्वैश्वर्य्यमवाप्नुयुः॥ 3॥
इस कवच के पाठ और वाचन से विष्णु सभी का पालनकर्ता बन गए, और इन्द्र सहित सभी देवताओं ने सम्पूर्ण ऐश्वर्य को प्राप्त किया।
इस कवच के ऋषि ब्रह्मा हैं, और इसका छन्द अनुष्टुप है। श्री सूर्य देवता इस कवच के देवता हैं, और यह सभी देवताओं द्वारा नमस्कृत है।
यशआरोग्यमोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः।
प्रणवो मे शिरः पातु घृणिर्मे पातु भालकम्॥ 5॥
यह कवच स्वास्थ्य, मोक्ष और सुख-शांति देने वाला है। ओंकार मेरे सिर का पालन करे, और घृणि मेरे माथे का पालन करे।
ूर्योऽव्यान्नयनद्न्दमादित्यः कर्णयुग्मकम्।
हीं बीजं मे मुखं पातु हदयं भुवनेश्वरी॥ 6॥
सूर्य देवता मेरे दोनों नेत्रों की रक्षा करें, और आदित्य मेरे दोनों कानों का पालन करें। हीं बीज मेरे मुँह की रक्षा करें, और देवी मेरे हृदय का पालन करें।
चन्द्रबीजं विसर्ग च पातु मे गुह्यदेशकम्।
अष्टाक्षरो महामन्त्रः सर्वाभीष्टफलप्रदः॥ 7॥
चन्द्रबीज मेरे गुप्त स्थान की रक्षा करें। यह आठ अक्षरों वाला महामंत्र सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला और इच्छित फल देने वाला है।
अक्षरो$सो महामन्त्रः सर्वतन्त्रेषु गोपितः।
शिवो वहिसमायुक्तो वामाक्षीबिन्दुभूषितः॥ 8॥
यह अक्षर रहित महामंत्र है और सभी तंत्रों में गुप्त रूप से रक्षित है। यह शिव के साथ समायुक्त है और वामाक्षी बिन्दु से युक्त है।
एकाक्षरो महामन्त्रः श्रीसूर्यस्य प्रकीर्तितः।
गुह्याट्गुह्यतरो मन्त्रो वाञ्छाचिन्तामणिः स्मृतः॥ 6॥
यह एकाक्षर वाला महामंत्र है, जिसे सूर्य देवता ने प्रकट किया है। यह मंत्र अत्यन्त गुप्त और वांछित इच्छाओं को पूर्ण करने वाला है।
शीर्षादिपादपर्यन्तं सदा पातु त्वमुत्तम।
इति ते कथितं दिव्यं त्रिषु लोकेषु दुर्लभम्॥ 10॥
यह कवच सिर से लेकर पैर तक मेरे सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करे। इस प्रकार यह दिव्य कवच तीनों लोकों में दुर्लभ है।
श्रीप्रदं कीर्तिदं नित्यं धनारोग्यविवर्द्धनम्।
कुष्ठादिरोगशमनं महाव्याधिविनाशनम्॥ 11॥
यह कवच श्री और कीर्ति देने वाला, धन और स्वास्थ्य को बढ़ाने वाला, कुष्ठ और अन्य रोगों को नष्ट करने वाला है।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यमारोग्यं बलवान् भवेत्।
बहुना किमिहीक्तेने यद्यन्मनसि वर्त्तते॥ 12॥
जो मनुष्य इस कवच का पाठ तीनों समय करता है, वह निश्चित रूप से निरोगी और बलवान होगा। और जो भी उसका मन चाहेगा, वह सब प्राप्त करेगा।
त्तत्सर्वं भवत्येव कवचस्यास्य धारणात्।
भूतप्रेतपिशाचाश्च यक्षगन्धर्वराक्षसाः॥ 13॥
इस कवच को धारण करने से भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष, गन्धर्व, राक्षस सभी दूर भाग जाते हैं। यह कवच उन्हें दूर से भी देखने नहीं देता।
ब्रहराक्षसवैताला नेवद्रष्टुमपि तं क्षमाः।
दूरादेव पलायंते तस्य संकीर्त्तनादपि॥ 14॥
यह कवच ब्रह्मराक्षस, वैताल और अन्य राक्षसों को भी दूर से ही हरा देता है। केवल इसके संकीर्तन से ये शत्रु भाग जाते हैं।
भूर्जपत्रे समालिख्य रोचनागुरुकुकुमैः।
रविवारे च संक्रान्त्यां सप्तम्यां च विषेशतः॥ 15॥
साधक इस कवच को भोजपत्र पर रोली, धूप, केसर और कुंकुम से लिखकर, रविवार और संक्रांति के दिन विशेष रूप से पहन सकता है।
घारयेत्साधकः श्रेषटस्त्रैलोक्ये विजयी भवेत्।
त्रिलोहमध्यगं कृत्वा धारयेद्दक्षिणे भुजे॥ 16॥
जो साधक इसे दाहिनी भुजा में धारित करता है, वह तीनों लोकों में विजयी होता है। इसे सिर से लेकर पाँव तक हर अंग पर धारण किया जा सकता है।
शिखायामथवा कण्ठे सोऽपि सूर्यो न संशय:।
इति ते कथितं साम्ब त्रैलोक्यमंगलादिकम्॥ 17॥
जो इसे शिखा या गले में पहनता है, वह सूर्य के समान तेजस्वी बन जाता है। यह कवच साम्ब द्वारा त्रैलोक्यमंगल की तरह बताया गया है।
कवचं दुर्लभं लोके तव स्नेहात्प्रकाशितम्।
अज्ञात्वा कवचं दिव्यं यो जपेत्ूर्यमुत्तमम्॥ 18॥
यह कवच दुर्लभ है और केवल आपके स्नेह से ही इसका प्रकाश होता है। जो इस दिव्य कवच को बिना जाने जपता है, उसे कोई सिद्धि प्राप्त नहीं होती।
सिद्धिर्न जायते तस्य कल्पकोटिशतेरपि।
इत्यस्मात्सर्वैरेव धार्यं त्रैलोक्यमंगलम्॥ 16
इसलिए सभी को यह त्रैलोक्यमंगल कवच धारण करना चाहिए, क्योंकि केवल इस कवच के धारण से ही मनुष्य का जीवन सफल और श्रेष्ठ होता है।
समाप्त
यह कवच विशेष रूप से सूर्य देवता की आराधना करने वाले व्यक्तियों के लिए अत्यन्त प्रभावशाली और फलदायी है। इसके द्वारा न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी सहायक होता है।
Frequently Asked Questions (FAQ)
1. त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच क्या है?
त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच एक शक्तिशाली और अद्भुत कवच है जो सूर्य देवता की आराधना करने से प्राप्त होता है। यह कवच शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी है और जीवन को सुखमय बनाने के लिए अत्यधिक प्रभावी है।
2. त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच के लाभ क्या हैं?
- यह कवच स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि बढ़ाने में मदद करता है।
- यह कवच कुष्ठ और अन्य रोगों से मुक्ति दिलाने वाला है।
- त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में शांति और संतुलन आता है।
- यह कवच भूत-प्रेत, पिशाच और अन्य नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
- यह व्यक्ति को विजय, सफलता और ऐश्वर्य प्रदान करता है।
3. त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
इस कवच का पाठ प्रतिदिन तीनों समय (सुबह, दोपहर, और रात) करना चाहिए। इसे शुद्ध मानसिकता और ध्यान के साथ पढ़ना चाहिए। विशेष रूप से रविवार और संक्रांति के दिन इसका पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
4. त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच को किस प्रकार पहनना चाहिए?
इस कवच को भोजपत्र पर लिखकर दाहिनी भुजा, गले, या शिखा में पहना जा सकता है। इसे पहनने से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है, और वह सूर्य के समान तेजस्वी बनता है।
5. क्या त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच से शत्रु दूर होते हैं?
हां, यह कवच विशेष रूप से नकारात्मक शक्तियों, शत्रुओं और राक्षसों को दूर करने में सक्षम है। इसके वाचन और धारण से भूत-प्रेत, पिशाच, और राक्षसों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
6. त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच को किस दिन पढ़ना चाहिए?
इसे विशेष रूप से रविवार और संक्रांति के दिन पढ़ने से अधिक लाभ मिलता है। इन दिनों सूर्य देवता की विशेष पूजा और आराधना की जाती है, जो इस कवच के प्रभाव को और भी बढ़ा देती है।
7. क्या यह कवच केवल पुरुषों के लिए है?
नहीं, त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच का पाठ और धारण दोनों ही पुरुष और महिलाएं कर सकते हैं। यह कवच सभी के लिए लाभकारी है जो सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।
8. त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच का प्रभाव कितना समय बाद दिखता है?
त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच का प्रभाव तुरंत दिखाई देता है, लेकिन नियमित रूप से इसका जाप और ध्यान करने से इसके परिणाम अधिक प्रभावी और स्थायी होते हैं। कुछ लोगों को तत्काल लाभ मिल सकता है, जबकि दूसरों को थोड़ा समय लग सकता है।
9. क्या त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच से मोक्ष प्राप्त होता है?
यह कवच मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को आसान बनाता है क्योंकि यह व्यक्ति के कर्मों को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मदद करता है।
10. क्या त्रैलोक्यमंगल सूर्य कवच का जप किसी विशेष विधि से करना चाहिए?
हां, यह कवच पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ पढ़ना चाहिए। सही विधि से इसका जप करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। विशेष मंत्रों का उच्चारण करते समय मानसिक शांति और एकाग्रता बनाए रखें।
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