कटारमल सूर्य मन्दिर अल्मोड़ा (कटारमल)उत्तराखण्ड। - Katarmal Sun Temple Almora (Katarmal) Uttarakhand.

कटारमल सूर्य मंदिर, अल्मोड़ा: उत्तराखंड का अद्भुत धरोहर

कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है और यह प्राचीन काल से ही अपनी अद्वितीय वास्तुकला, धार्मिक महत्व, और ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को सूर्य देवता की उपासना के लिए बनाया गया था और इसे भारत के कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण सूर्य मंदिर माना जाता है। आइए, इस मंदिर के इतिहास, विशेषताओं और पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।



मंदिर का इतिहास और निर्माणकाल

कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में किया गया था। विद्वानों के अनुसार, यह मंदिर 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच कटारमल नामक एक शासक द्वारा बनवाया गया था। कत्यूरी राजवंश, जो उस समय कुमाऊं क्षेत्र पर शासन करता था, ने इस मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मंदिर की संरचना और दीवारों पर अंकित अभिलेख बताते हैं कि यह स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण था।


मंदिर की अद्वितीय विशेषताएं

  1. लकड़ी से बनी सूर्य देव की मूर्ति
    कटारमल सूर्य मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यहां भगवान सूर्य की मूर्ति बड़ (बरगद) की लकड़ी से बनाई गई है। इसे 'बड़ आदित्य' या 'बड़ादित्य' मंदिर भी कहा जाता है।
  2. पूर्वमुखी संरचना
    यह मंदिर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बनाया गया है। हर सुबह, सूरज की पहली किरणें गर्भगृह में प्रवेश करती हैं और सूर्य नारायण को आलोकित करती हैं।
  3. नागर शैली की वास्तुकला
    यह मंदिर नागर शैली में बना हुआ है। इसका त्रिरथ आकार और ऊंचा शिखर इसकी स्थापत्य कला की उत्कृष्टता को दर्शाता है।
  4. छोटे-बड़े 45 मंदिरों का समूह
    मुख्य मंदिर के आसपास लगभग 45 छोटे-बड़े मंदिर मौजूद हैं, जो अन्य देवी-देवताओं जैसे गणेश, शिव, पार्वती, लक्ष्मीनारायण, नृसिंह, और कार्तिकेय को समर्पित हैं।

पौराणिक कथा

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में द्रोणागिरी, कषाय पर्वत, और कंजार पर्वत पर तपस्या कर रहे ऋषि-मुनियों को एक असुर ने परेशान किया। ऋषि भागकर कौशिकी (कोसी) नदी के तट पर पहुंचे और भगवान सूर्य की उपासना की।
भगवान सूर्य ने प्रसन्न होकर अपने तेज को एक वटशिला में स्थापित किया। इस तेज के प्रभाव से असुर का नाश हुआ, और ऋषि अपनी साधना में निर्बाध हो सके। बाद में राजा कटारमल ने इसी वटशिला पर इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया।


संरक्षण और पुरातात्त्विक महत्व

भारतीय पुरातत्व विभाग ने कटारमल सूर्य मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है।
मंदिर की लकड़ी की उत्कृष्ट काष्ठकला और प्राचीन स्थापत्य अवशेष, जैसे गर्भगृह का प्रवेश द्वार, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षित हैं।


कैसे पहुंचें कटारमल सूर्य मंदिर?

सड़क मार्ग

  • अल्मोड़ा से मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है।
  • अंतिम 3 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।

रेल मार्ग

  • निकटतम रेलवे स्टेशन:
    • काठगोदाम (100 किमी)
    • रामनगर (130 किमी)

वायु मार्ग

  • निकटतम हवाई अड्डा:
    • पंतनगर एयरपोर्ट (132 किमी)

मंदिर दर्शन का अनुभव

कटारमल सूर्य मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और इतिहास के प्रति रुचि रखने वालों के लिए भी एक अद्वितीय स्थान है। पहाड़ों की गोद में स्थित यह मंदिर शांति, भक्ति, और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।


निष्कर्ष

कटारमल सूर्य मंदिर एक प्राचीन धरोहर है, जो सनातन संस्कृति, वास्तुकला, और आध्यात्मिकता का अनमोल उदाहरण है। यहां आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक इस स्थान की दिव्यता और अद्वितीयता का अनुभव करते हैं।

जय भगवान सूर्यनारायण!


कटारमल सूर्य मंदिर FAQs

Q1: कटारमल सूर्य मंदिर कहाँ स्थित है?

उत्तर:
कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में अधेली-सुनार नामक गांव में स्थित है।

Q2: कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण कब हुआ था?

उत्तर:
मंदिर का निर्माण 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच माना जाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार, यह 11वीं शताब्दी में राजा कटारमल द्वारा बनवाया गया था।

Q3: कटारमल सूर्य मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?

उत्तर:
इस मंदिर में भगवान सूर्य की मूर्ति बरगद की लकड़ी (बड़ की लकड़ी) से बनी है। यह विशेषता इसे अन्य सूर्य मंदिरों से अलग बनाती है।

Q4: इस मंदिर को किस नाम से भी जाना जाता है?

उत्तर:
कटारमल सूर्य मंदिर को 'बड़ आदित्य मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।

Q5: कटारमल सूर्य मंदिर की वास्तुकला किस शैली में बनी है?

उत्तर:
यह नागर शैली में निर्मित है, जिसकी संरचना त्रिरथ है।

Q6: कटारमल सूर्य मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर:
यह भारत का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण सूर्य मंदिर माना जाता है। इसका पूर्वमुखी निर्माण, लकड़ी से बनी सूर्य की मूर्ति, और प्राचीन इतिहास इसे खास बनाते हैं।

Q7: इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?

उत्तर:
कथा के अनुसार, ऋषि-मुनियों ने कौशिकी (कोसी) नदी के किनारे भगवान सूर्य की उपासना की थी। भगवान सूर्य ने अपनी ऊर्जा वटशिला में स्थापित की, जिसके बाद असुरों का नाश हुआ।

Q8: कटारमल सूर्य मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?

उत्तर:

  • हवाई मार्ग: पंतनगर एयरपोर्ट से 132 किमी।
  • रेल मार्ग: काठगोदाम (100 किमी) और रामनगर (130 किमी)।
  • सड़क मार्ग: अल्मोड़ा से 18 किमी की दूरी पर है।

Q9: मंदिर के आसपास क्या अन्य आकर्षण हैं?

उत्तर:
मुख्य मंदिर के आसपास भगवान गणेश, शिव, पार्वती, लक्ष्मीनारायण, और अन्य देवी-देवताओं से संबंधित लगभग 45 छोटे-बड़े मंदिर हैं।

Q10: क्या कटारमल सूर्य मंदिर संरक्षित स्मारक है?

उत्तर:
हां, भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया है।

Q11: सूर्य की पहली किरण मंदिर पर कैसे पड़ती है?

उत्तर:
मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर है, जिससे सूरज की पहली किरण गर्भगृह में स्थापित सूर्य नारायण की मूर्ति पर पड़ती है।

Q12: मंदिर को कोणार्क सूर्य मंदिर से तुलना क्यों की जाती है?

उत्तर:
यह भारत का दूसरा सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर है और कोणार्क मंदिर के बाद इसे स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

Q13: मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार अब कहाँ है?

उत्तर:
मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार, जो उत्कृष्ट काष्ठकला का उदाहरण है, अब नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षित है।

Q14: मंदिर की धार्मिक मान्यता क्या है?

उत्तर:
यह मंदिर भगवान सूर्य की उपासना के लिए प्रसिद्ध है और इसे कलयुग में दृश्य देवता की आराधना का केंद्र माना जाता है।

Q15: कटारमल सूर्य मंदिर किस नदी के पास स्थित है?

उत्तर:
यह मंदिर कोसी (कौशिकी) नदी के पास स्थित है।

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