सूर्य पूजन और सूर्य साधना:
सूर्य देवता की पूजा और साधना को विशेष रूप से रविवार के दिन किया जाता है, जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यंत लाभकारी है। सूर्य पूजन से न केवल व्यक्ति की सेहत में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है। इस दिन सूर्य देव की आराधना करके जीवन में हर तरह के विघ्न और कष्टों को दूर किया जा सकता है।
सूर्य पूजन की विधि:
- साधना का समय: सूर्य साधना का उत्तम समय प्रातःकाल है। प्रातः उठकर सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए।
- पुष्प और दान: सूर्य पूजन में लाल चावल, लाल पुष्प, केसर, लाल चंदन, गुड़, तांबा, माणिक आदि का दान किया जाता है।
- सूर्य उपवास: सूर्य उपवास करने वाले को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। मीठा भोजन दोपहर बाद ही किया जा सकता है। विशेष रूप से सोमवार को सूर्योदय के बाद व्रत की समाप्ति होती है।
सूर्य मंत्र:
सूर्य देव की पूजा में निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
“ॐ आ कृष्णोनरजसा र म्यच । हिरण्येन. संविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।"
ॐ जपाल्मुसुमसंकाश काश्यपेयं महाद्युतिम । तमोअरि सर्वपापध्नं
ॐ विश्वानिदेय सवितदुरितानि परासुव यद्भद्रं तनन आसुव ॥
सूर्य तान्त्रिक मंत्र:
सूर्य के तान्त्रिक मंत्र का उच्चारण भी विशेष महत्व रखता है:
"ॐ सू सूर्याय नमः"
या
"ॐ ही धरणिः सूर्याय नमः"
जाप संख्या: 7,000 बार
सूर्य यंत्र:
सूर्य यंत्र को विशेष रूप से भोजपत्र पर अंकित करके पूजा के समय स्थापित किया जाता है। रविवार के दिन जब सूर्य सिंह राशि में होते हैं, तब सूर्य साधना का प्रभाव अत्यधिक होता है। सूर्य यंत्र का जाप तांबे या सोने के यंत्र में किया जाता है। इसे सात हजार पांच सौ बार जाप करके विशेष रूप से शुभ परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।
सूर्य दान:
सूर्य देवता को दान सामग्री का विशेष महत्व है। दान में निम्नलिखित वस्तुएं शामिल की जाती हैं:
- गेहूं
- गुड़
- देशी घी
- लाल चंदन
- लाल पुष्प
- लाल वस्त्र
- केसर
- तांबा
- मुंगा
यह दान सामग्री विशेष रूप से रविवार के दिन दक्षिणा के साथ दी जाती है, जो सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम तरीका है।
सारांश:
सूर्य पूजन और साधना का उद्देश्य न केवल व्यक्ति की शारीरिक सेहत सुधारना है, बल्कि मानसिक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करना भी है। सूर्य के उपासक के लिए यह एक शक्तिशाली साधना है, जो जीवन को समृद्ध और संतुलित बनाती है।
Frequently Asked Questions (FQCs)
1. सूर्य पूजन का महत्व क्या है?
सूर्य पूजन जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति, और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति के जीवन से कष्ट और विघ्नों को दूर करने में मदद करता है।
2. सूर्य पूजन करने का सर्वोत्तम समय क्या है?
सूर्य पूजन का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल है। सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्य देव की आराधना करना चाहिए।
3. सूर्य पूजन के दौरान किन सामग्री का दान किया जाता है?
सूर्य पूजन के दौरान लाल चावल, लाल पुष्प, गुड़, तांबा, माणिक, लाल चंदन, और केसर जैसी सामग्री का दान किया जाता है।
4. क्या सूर्य उपवास जरूरी है?
सूर्य उपवास विशेष रूप से रविवार को किया जाता है। सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए, और मीठा भोजन दोपहर बाद किया जा सकता है। यह उपवास मानसिक और शारीरिक लाभ प्रदान करता है।
5. सूर्य मंत्र कौन सा है?
सूर्य देव की पूजा में निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण किया जाता है: "ॐ आ कृष्णोनरजसा र म्यच । हिरण्येन. संविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।"
6. सूर्य तान्त्रिक मंत्र क्या है?
सूर्य तान्त्रिक मंत्र में "ॐ सू सूर्याय नमः" या "ॐ ही धरणिः सूर्याय नमः" का जाप किया जाता है। इसे 7,000 बार जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।
7. सूर्य यंत्र का क्या महत्व है?
सूर्य यंत्र भोजपत्र पर अंकित करके पूजा के समय स्थापित किया जाता है। यह तांबे या सोने के यंत्र में किया जाता है और इसे 7,500 बार जाप करने से विशेष शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
8. सूर्य देवता को दान में क्या सामग्री दी जाती है?
सूर्य देवता को दान में गेहूं, गुड़, देशी घी, लाल चंदन, लाल वस्त्र, केसर, तांबा, और मुंगा जैसी वस्तुएं दी जाती हैं। इनका दान विशेष रूप से रविवार के दिन किया जाता है।
9. सूर्य पूजा से क्या लाभ होते हैं?
सूर्य पूजा से शारीरिक सेहत में सुधार, मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, और जीवन में हर प्रकार की समृद्धि प्राप्त होती है।
10. सूर्य पूजन से मानसिक संतुलन कैसे प्राप्त होता है?
सूर्य पूजन मानसिक संतुलन में मदद करता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक शांति को उत्पन्न करता है, जिससे व्यक्ति का मानसिक तनाव कम होता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें