उत्तराखंड में कृषि, सिंचाई एवं पशुपालन (Agriculture, Irrigation and Animal Husbandry in Uttarakhand)

उत्तराखंड में कृषि, सिंचाई एवं पशुपालन

उत्तराखंड की बहुसंख्यक जनता की आजीविका का मुख्य साधन कृषि और पशुपालन है। यह राज्य एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहाँ की अधिकांश आबादी इन गतिविधियों पर निर्भर करती है।

भौगोलिक दृष्टि से कृषि क्षेत्र का वितरण

  • पर्वतीय भूमि: 86.07%

  • मैदानी भूमि: 18.93%

कृषि के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र मैदानी इलाका है। राज्य की कार्यशील जनसंख्या में से 33.38% लोग कृषि से जुड़े हुए हैं।

भूमि वितरण और बंदोबस्त

  • भूमि बंदोबस्त का आरंभ ब्रिटिश काल में 1812 ई. में हुआ था।

  • प्रमुख भूमि वर्ग: तलाऊँ, उपराऊँ अव्वल, उपराऊँ दोयम, इजरान, कटील।

  • स्वतंत्रता के बाद 1960-64 में भूमि बंदोबस्त पुनः किया गया।

सिंचाई और कृषि भूमि के प्रकार

उत्तराखंड में कृषि भूमि को तीन मुख्य वर्गों में बांटा गया है:

  1. तलाऊँ भूमि: घाटियों में उपजाऊ क्षेत्र। मुख्यतः सिंचाई के लिए उपयुक्त।

  2. उपराऊँ भूमि: ऊँचे क्षेत्रों में असिंचित भूमि। उपराऊँ अव्वल भूमि उपराऊँ दोयम से अधिक उपजाऊ मानी जाती है।

  3. इजरान भूमि: पथरीली और अपरिपक्व भूमि, जो वनों के समीप पाई जाती है।

कृषि के प्रकार

  1. समोच्च रेखीय कृषि: पहाड़ी ढालों पर मृदा अपरदन रोकने के लिए।

  2. सीढ़ीदार कृषि: ढालों को सीढ़ियों में बदलकर की जाने वाली खेती।

  3. स्थानांतरणशील कृषि: वनों को साफ करके अस्थायी खेती।

प्रमुख फसलें

रबी फसलें (अक्टूबर-दिसंबर बुआई, मार्च-अप्रैल कटाई):

  • गेहूँ, जौ, सरसों, मटर।

  • अधिक उपजाऊ जिलों में: देहरादून, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा।

खरीफ फसलें (मई-जुलाई बुआई):

  • धान, मक्का, मंडुआ।

  • मुख्य उत्पादक जिले: नैनीताल, ऊधमसिंह नगर।

विशेष फसलें:

  • गन्ना: भाबर और तराई क्षेत्रों में।

  • दालें: अरहर, मसूर, उड़द। प्रमुख जिलों में नैनीताल, देहरादून और अल्मोड़ा।

पशुपालन

उत्तराखंड में पशुपालन कृषि का एक अभिन्न हिस्सा है। राज्य में पिथौरागढ़ जिले में सबसे अधिक चरागाह भूमि उपलब्ध है। प्रमुख पशुधन में गाय, भैंस, बकरी, और भेड़ शामिल हैं। राज्य में दुग्ध उत्पादन और ऊन उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड की कृषि और पशुपालन प्रणाली राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उचित कृषि प्रबंधन, सिंचाई सुविधाओं के विकास और आधुनिक कृषि तकनीकों के उपयोग से इस क्षेत्र में और प्रगति की जा सकती है।

उत्तराखंड की कृषि, सिंचाई एवं पशुपालन से संबंधित सामान्य प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: उत्तराखंड में मुख्यतः कौन-कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?

उत्तर: उत्तराखंड में मुख्य फसलें रबी और खरीफ की होती हैं। रबी फसलों में गेहूँ, मण्डुआ, आलू और चना शामिल हैं। खरीफ फसलों में धान, मक्का और जौ उगाई जाती हैं।

प्रश्न 2: उत्तराखंड में कृषि के कौन-कौन से प्रकार प्रचलित हैं?

उत्तर: यहाँ तीन प्रमुख कृषि विधियाँ प्रचलित हैं:

  • समोच्च रेखीय कृषि: पर्वतीय ढालों पर की जाती है।

  • सीढ़ीदार कृषि: ढालदार क्षेत्रों में सीढ़ियाँ बनाकर खेती की जाती है।

  • स्थानांतरणशील कृषि: वनों को साफ कर अस्थायी खेती की जाती है।

प्रश्न 3: उत्तराखंड में सबसे अधिक और सबसे कम शुद्ध बोया क्षेत्र किस जिले में है?

उत्तर: सबसे अधिक शुद्ध बोया क्षेत्र ऊधमसिंह नगर जिले में और सबसे कम चंपावत जिले में है।

प्रश्न 4: उत्तराखंड में कृषि भूमि के कौन-कौन से प्रकार पाए जाते हैं?

उत्तर: उत्तराखंड में पाँच प्रकार की कृषि भूमि पाई जाती है:

  • तलाऊँ भूमि: घाटियों में पाई जाने वाली उपजाऊ भूमि।

  • उपराऊँ अव्वल: पहाड़ी ढलानों की बेहतर कृषि भूमि।

  • उपराऊँ दोयम: कम उपजाऊ ऊपरी भागों की भूमि।

  • इजरान भूमि: वनों के पास की पथरीली भूमि।

  • कटील भूमि: अत्यंत पथरीली और कम उपजाऊ भूमि।

प्रश्न 5: उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त कब और किसके द्वारा शुरू हुआ?

उत्तर: उत्तराखंड में पहला भूमि बंदोबस्त 1812 में ब्रिटिश अधिकारी टेल द्वारा कराया गया था।

प्रश्न 6: उत्तराखंड में पशुपालन का क्या महत्व है?

उत्तर: उत्तराखंड में पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा है। गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और घोड़े यहाँ के प्रमुख पशुधन हैं, जिनसे दूध, ऊन और खाद प्राप्त होती है। सबसे अधिक चरागाह भूमि पिथौरागढ़ में और सबसे कम ऊधमसिंह नगर में है।

प्रश्न 7: उत्तराखंड में कौन-कौन से जिले किस फसल के लिए प्रसिद्ध हैं?

उत्तर:

  • गेहूँ: देहरादून, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल।

  • धान: ऊधमसिंह नगर।

  • मण्डुआ: अल्मोड़ा, नैनीताल।

  • दालें: नैनीताल, देहरादून, उत्तरकाशी।

प्रश्न 8: उत्तराखंड में सीढ़ीदार खेती क्यों की जाती है?

उत्तर: पहाड़ी ढालों के कारण यहाँ की जमीन समतल नहीं है, जिससे पानी और मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए सीढ़ीदार खेती की जाती है। इससे जल संरक्षण और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बनी रहती है।

प्रश्न 9: उत्तराखंड में खेती के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र कौन सा है?

उत्तर: राज्य के मैदानी भाग, विशेषकर ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले, खेती के लिए सबसे उपयुक्त हैं क्योंकि यहाँ की भूमि उपजाऊ है और सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है।

प्रश्न 10: उत्तराखंड में कौन-कौन सी रबी और खरीफ फसलें उगाई जाती हैं?

उत्तर:

  • रबी फसलें: गेहूँ, मण्डुआ, आलू, चना।

  • खरीफ फसलें: धान, मक्का, जौ।

निष्कर्ष:

उत्तराखंड में कृषि, सिंचाई और पशुपालन की प्रथाएँ भौगोलिक और पर्यावरणीय स्थितियों के अनुसार विकसित हुई हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था में इनका अत्यधिक महत्व है, जो आज भी लोगों की आजीविका और सांस्कृतिक पहचान का मुख्य आधार हैं।

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