काल भैरव अष्टमी: दुनिया का एकलौता शहर, जहां अष्ट भैरव करते हैं निवास - हरिद्वार में मनाई गई भैरव अष्टमी
कुमाऊं के सबसे प्राचीन शहर अल्मोड़ा का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत खास है। काषाय पर्वत की चोटी पर स्थित यह शहर अपनी दैवीय शक्तियों और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर चारों ओर से अष्ट भैरव और नव दुर्गा मंदिरों से घिरा हुआ है, जो इस नगर की रक्षा करते हैं। यहां के लोग मानते हैं कि यह मंदिर ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।
अल्मोड़ा में विराजमान अष्ट भैरव
अल्मोड़ा का ऐतिहासिक महत्व उसकी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर से जुड़ा हुआ है। इसे नव दुर्गा और अष्ट भैरव की नगरी कहा जाता है। यह नगर अष्ट भैरव के मंदिरों की वजह से विशिष्ट है, जो चारों दिशाओं में स्थित हैं। इन मंदिरों के जरिए नगरवासी अपनी सुरक्षा और शांति की कामना करते हैं।
- खुटकुणी भैरव - नगर के उत्तर दिशा के प्रवेश द्वार पर स्थित इस मंदिर की ऐतिहासिक महिमा है।
- जाखनदेवी भैरव - यह मंदिर अष्ट भैरवों में एक है, जो नगर के बीचों-बीच स्थित है।
- शै भैरव मंदिर - यह मंदिर चंदवंशीय राजा उद्योत चंद द्वारा स्थापित किया गया था।
- बाल भैरव - चौघानपाटा के पास स्थित यह मंदिर चंद राजाओं के काल का एक प्रमुख मंदिर है।
- शंकर भैरव - बद्रेश्वर मंदिर के पास स्थित यह भैरव भी अष्ट भैरवों में शामिल है।
इन मंदिरों के अस्तित्व ने अल्मोड़ा को धार्मिक दृष्टि से एक अद्वितीय स्थान बना दिया है। अष्ट भैरव और नव दुर्गा की उपस्थिति इस शहर की सुरक्षा और समृद्धि की प्रतीक मानी जाती है।
भैरव अष्टमी का महत्व
भैरव अष्टमी विशेष रूप से मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान काल भैरव के रौद्र रूप के अवतरण का दिन माना जाता है। भैरव अष्टमी के दिन, अल्मोड़ा के सभी भैरव मंदिरों में पूजा और अर्चना की जाती है। श्रद्धालु अपने दुखों और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भैरव बाबा के चरणों में सिर झुकाते हैं। इस दिन का महत्व इतना अधिक है कि यह मंदिरों में भंडारा आयोजित किया जाता है और श्रद्धालु भक्तिभाव से भैरव बाबा का पूजन करते हैं।
अल्मोड़ा: अष्ट भैरव की नगरी
अल्मोड़ा एकमात्र ऐसा शहर है जहां अष्ट भैरव निवास करते हैं। यहां के लोग मानते हैं कि भैरव बाबा इस नगर की सुरक्षा करते हैं और शहर में आने वाली आपदाओं से उसे बचाते हैं। अष्ट भैरव और नव दुर्गा के मंदिर इस नगर के चारों कोनों में स्थापित हैं, जो शहरवासियों को हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन दैवीय शक्तियों की उपस्थिति ने इस नगर को सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से विशिष्ट बना दिया है।
हर साल भैरव अष्टमी के दिन, इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस दिन पूजा, अर्चना और भंडारे का आयोजन किया जाता है। स्थानीय लोग इसे एक आस्थावान पर्व मानते हैं और इस दिन भैरव बाबा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिरों में जाते हैं।
हरिद्वार में भैरव अष्टमी
हरिद्वार में भी भैरव अष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है, हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते यह पर्व सूक्ष्म रूप से मनाया गया। हरिद्वार के जूना अखाड़ा स्थित भैरव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई और हवन यज्ञ का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं ने भगवान भैरव से कोरोना महामारी से मुक्ति की प्रार्थना की।
हरिद्वार में भी भैरव अष्टमी के दिन जागरण और भंडारे की परंपरा है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण यह आयोजन सीमित रूप से हुआ।
निष्कर्ष
अल्मोड़ा में भैरव अष्टमी का विशेष महत्व है और यह शहर अपने अष्ट भैरव और नव दुर्गा मंदिरों के कारण न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अद्वितीय है। इस दिन की पूजा से न केवल भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि आती है, बल्कि यह नगर की सुरक्षा और खुशहाली का प्रतीक भी है।
Frequently Asked Questions (FQCs) – काल भैरव अष्टमी:
अल्मोड़ा में भैरव अष्टमी क्यों विशेष मानी जाती है?
- अल्मोड़ा को अष्ट भैरव और नव दुर्गा की नगरी माना जाता है, जहां 8 भैरव मंदिर हैं। यहाँ भैरव बाबा की पूजा और अर्चना का आयोजन विशेष रूप से भैरव अष्टमी के दिन होता है, जो इस शहर को दैवीय सुरक्षा प्रदान करती है।
भैरव अष्टमी का आयोजन कब होता है?
- भैरव अष्टमी का पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव के अवतरण दिवस के रूप में जाना जाता है।
अल्मोड़ा में अष्ट भैरव के मंदिर कहां स्थित हैं?
- अल्मोड़ा में 8 भैरव मंदिर स्थित हैं, जिनमें प्रमुख मंदिर खुटकुनिया भैरव, काल भैरव, बटुक भैरव, शंकर भैरव, बाल भैरव, शै भैरव, वन भैरव और लाल भैरव के हैं। ये मंदिर अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं और सभी का अपना ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है।
क्या भैरव अष्टमी के दिन विशेष पूजा होती है?
- हां, भैरव अष्टमी के दिन अल्मोड़ा के सभी भैरव मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना होती है। भक्त मंदिरों में आकर भैरव बाबा की पूजा करते हैं और भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।
क्यों माना जाता है कि भैरव बाबा अल्मोड़ा की रक्षा करते हैं?
- मान्यता है कि अष्ट भैरव और नव दुर्गा के मंदिरों की उपस्थिति से अल्मोड़ा नगर को दैवीय सुरक्षा प्राप्त होती है। इन देवताओं के आशीर्वाद से नगरवासियों को विपदाओं से बचाया जाता है।
भैरव अष्टमी के दिन पूजा करने से क्या लाभ होते हैं?
- भैरव अष्टमी के दिन पूजा करने से भूत-प्रेत, ऊपरी बाधाओं और अन्य संकटों से मुक्ति मिलती है। यह दिन खासतौर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा का महत्व रखता है।
क्या कोरोना के दौरान भैरव अष्टमी की पूजा प्रभावित हुई थी?
- हां, कोरोना के कारण इस बार हरिद्वार के जूना अखाड़ा स्थित भैरव मंदिर में भैरव अष्टमी का पर्व सीमित रूप से मनाया गया। मंदिर में कम श्रद्धालु आए और कोई सार्वजनिक भंडारा या जागरण का आयोजन नहीं किया गया।
अल्मोड़ा में भैरव अष्टमी क्यों मनाई जाती है?
- अल्मोड़ा के लोगों का विश्वास है कि भैरव अष्टमी के दिन पूजा करने से भैरव बाबा का आशीर्वाद मिलता है और नगरवासियों को हर संकट से रक्षा प्राप्त होती है। यहाँ के भैरव मंदिरों में भूत-प्रेत और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति की विशेष मान्यता है।
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