भैरव चालीसा: भय और संकटों को दूर करने वाली आराधना (Bhairav Chalisa: The Worship That Removes Fears and Woes)

भैरव चालीसा: भय और संकटों को दूर करने वाली आराधना

परिचय
भैरव जी भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली रूप हैं, जो भय, संकट और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करते हैं। उनकी आराधना से जीवन में शांति, सुरक्षा और सुख की प्राप्ति होती है। भैरव चालीसा का पाठ भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। इसमें भैरव जी के अद्भुत गुणों, शक्तियों और कृपा का वर्णन है।


भैरव चालीसा का पाठ

दोहा

श्री गणपति गुरु गौरि पद प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वन्दन करौं श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

चालीसा

जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी-कुतवाला॥
जयति बटुक-भैरव भय हारी। जयति काल-भैरव बलकारी॥

जयति नाथ-भैरव विख्याता। जयति सर्व-भैरव सुखदाता॥
भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥

भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी-कोतवाल कहलायो॥

जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥
कटि करधनी घूँघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥

जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥
वसि रसना बनि सारद-काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥

धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥

जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
रूप विशाल कठिन दु:ख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुँ लोचन॥

अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥

बटुक नाथ हो काल गँभीरा। श्‍वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
करत नीनहूँ रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहँ शुभ आशा॥

रत्‍न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहँ दर्शन पावहिं॥

जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥

महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥
अश्‍वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥

निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥

श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥

करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥

देयँ काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥
जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥

श्री भैरव भूतोंके राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलादी के दुःख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥

सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥

दोहा

जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥


भैरव चालीसा का महत्व

  1. भय और संकट से मुक्ति: भैरव चालीसा का पाठ सभी प्रकार के भय और बाधाओं को समाप्त करता है।
  2. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: भैरव जी की कृपा से साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है।
  4. नकारात्मक शक्तियों का नाश: प्रेत, भूत और अन्य नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

भैरव चालीसा पाठ के नियम

  1. स्वच्छ और पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  2. तेल का दीपक और काले तिल का भोग लगाएं।
  3. मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से पाठ करें।

भैरव चालीसा से जुड़ी कुछ खास बातें

  • भैरव जी को काशी का कोतवाल कहा जाता है।
  • उनकी पूजा में स्वान (कुत्ता) का विशेष महत्व है।
  • उनकी कृपा से असंभव कार्य भी पूर्ण हो जाते हैं।

आप भी भैरव चालीसा का पाठ कर उनकी कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को भयमुक्त व मंगलमय बनाएं। जय भैरव बाबा!

भैरव चालीसा के लिए सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

1. भैरव चालीसा क्या है?

भैरव चालीसा भगवान भैरव के गुणगान और महिमा का वर्णन करने वाला चालीसा है। इसे भक्तों द्वारा संकटों से मुक्ति पाने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।

2. भैरव जी कौन हैं?

भैरव भगवान शिव का एक उग्र और रक्षक स्वरूप हैं। वे काशी के कोतवाल और न्याय के देवता माने जाते हैं।

3. भैरव चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?

भैरव चालीसा का पाठ करने से:

  • जीवन में आने वाली बाधाएं और संकट दूर होते हैं।
  • नकारात्मक ऊर्जा और भय का नाश होता है।
  • आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

4. भैरव चालीसा कब पढ़नी चाहिए?

भैरव चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है। लेकिन मंगलवार, शनिवार, और अष्टमी के दिन इसे पढ़ना विशेष फलदायी माना जाता है।

5. भैरव चालीसा का पाठ कैसे करें?

  • स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  • भैरव जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • पूरे समर्पण और विश्वास के साथ चालीसा का पाठ करें।

6. भैरव चालीसा किस भाषा में उपलब्ध है?

भैरव चालीसा संस्कृत, हिंदी, और अन्य भाषाओं में उपलब्ध है।

7. भैरव जी की पूजा में क्या चढ़ाया जाता है?

  • गुड़ और तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
  • भैरव जी को दही-बड़े, काले तिल, और शराब चढ़ाने का भी विधान है।

8. क्या भैरव चालीसा का पाठ रात में किया जा सकता है?

हाँ, भैरव चालीसा का पाठ रात में भी किया जा सकता है। विशेषकर रात में भैरव जी की पूजा का विशेष महत्व है।

9. क्या भैरव चालीसा का पाठ सभी कर सकते हैं?

हाँ, भैरव चालीसा का पाठ कोई भी कर सकता है, बशर्ते पाठ श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए।

10. भैरव चालीसा पढ़ने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

  • भय, शत्रु, और रोगों से मुक्ति।
  • धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति।
  • मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति।

11. भैरव चालीसा को कितनी बार पढ़ा जाना चाहिए?

भैरव चालीसा को कम से कम एक बार पढ़ना चाहिए। यदि विशेष फल की इच्छा हो, तो इसे 11 बार या 108 बार जप करना शुभ माना जाता है।

12. भैरव चालीसा का संबंध कौन से मंदिरों से है?

भैरव चालीसा का संबंध मुख्यतः काशी के काल भैरव मंदिर, भैरवगढ़, और अन्य भैरव मंदिरों से है।

13. क्या भैरव चालीसा के पाठ के लिए कोई विशेष नियम हैं?

  • स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखें।
  • ध्यान और श्रद्धा से पाठ करें।
  • संभव हो तो भैरव जी के नाम का भोग लगाएं।

14. भैरव चालीसा का पाठ बच्चों के लिए भी उपयुक्त है?

हाँ, यदि बच्चे इसे श्रद्धा और सही उच्चारण के साथ पढ़ सकें, तो यह उनके लिए भी उपयुक्त है।

15. क्या भैरव चालीसा का पाठ नकारात्मक शक्तियों से बचाता है?

हाँ, यह चालीसा नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत, और किसी भी अशुभ ऊर्जा से बचाने में सहायक होती है।

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