भैरव मन्त्र रहस्य
भैरव मन्त्र, विशेष रूप से 'ॐ भं भैरवाय नमः', तंत्र शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण और रहस्यमय माना जाता है। यह भैरव का बीज मन्त्र है, जिसका शक्ति स्रोत और उपयोग साधक के लिए दिव्य अनुभव का मार्ग प्रशस्त करता है। आइए, जानते हैं भैरव मन्त्र और इसके गूढ़ रहस्यों के बारे में।
1. 'भं' बीज मन्त्र का महत्व
‘भं’ बीज, जिसे भयराशि का नाशक माना जाता है, भैरव के मंत्रों का आधार है। यह बीज शुद्ध रूप से डर और भय को समाप्त करने की शक्ति रखता है। इसमें छिपा हुआ तत्त्व साधक के अंदर की छिपी हुई शक्तियों को जागृत करता है। ‘भं’ बीज का प्रभाव व्यक्ति की चेतना को उच्चतम स्तर पर ले जाता है, जिससे उसे अपने अस्तित्व के वास्तविक रूप का अहसास होता है।
2. 'भं' बीज का स्थान और प्रभाव
इस बीज मंत्र की ऊर्जा कुण्डलिनी में उच्च स्थान पर स्थित होती है। जब इस बीज को सही तरीके से जाप किया जाता है, तब यह ध्यान और साधना के माध्यम से मनुष्य की चेतना को जाग्रत करता है। यह ‘भं’ चक्र के माध्यम से शुद्धता और समृद्धि का संचार करता है।
3. सम्पूर्ण सृष्टि को जानने का तरीका
'भं' मंत्र के माध्यम से साधक को सम्पूर्ण सृष्टि का ज्ञान प्राप्त होता है। यह संसार माया से रचित है, और इस बीज के जाप से साधक को इस माया से पार पाने की शक्ति मिलती है। ‘भं’ का जाप करते हुए साधक ब्रह्मा और परम शक्ति से जुड़कर आत्मज्ञान प्राप्त करता है, जिससे उसे न केवल संसार की कूटनीतियाँ समझ में आती हैं, बल्कि वह आत्म-निर्भर और निर्भय बनता है।
4. भैरव का तत्त्व
भैरव तत्त्व केवल गुरु से प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए भैरव मण्डल की उपासना और ध्यान की विधि का पालन करना आवश्यक होता है। भैरव के साथ संबंध स्थापित करने के लिए उनके उच्चतम गुणों का ध्यान करना, और उन्हें अपने जीवन में उतारने की प्रार्थना करना जरूरी है। इस साधना के माध्यम से साधक स्वयं में भैरव की प्रखरता और दिव्य शक्तियों का अनुभव करता है।
5. सिद्धि प्राप्ति और आत्मज्ञान
भैरव मन्त्र से साधक न केवल आत्मज्ञान प्राप्त करता है, बल्कि वह स्वयं में उच्च शिखरों तक पहुँचता है। वह भैरव के दिव्य गुणों का अनुभव करते हुए अपने जीवन की वास्तविकता को समझता है। भैरव सर्वदा निर्भय और प्रचंड होते हैं, और केवल वही भैरव है जो संसार के सभी प्रपंचों को पार करके मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
निष्कर्ष
'ॐ भं भैरवाय नमः' मन्त्र केवल एक साधना नहीं, बल्कि यह एक दिव्य ऊर्जा का स्रोत है, जो साधक को भयमुक्त और शक्तिशाली बनाता है। भैरव के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए तंत्र साधना का अभ्यास और गुरु की कृपा अनिवार्य है। साधक जब इस मन्त्र को ध्यानपूर्वक और नियमित रूप से जाप करता है, तो वह अपनी दिव्यता को जाग्रत करता है और आत्म-निर्भरता की ओर अग्रसर होता है।
भैरव मन्त्र की साधना न केवल एक रहस्यमय और दिव्य प्रक्रिया है, बल्कि यह व्यक्ति को जीवन की वास्तविकता और उच्चतम चेतना से जोड़ने का मार्ग भी है।
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