गढ़वाल की ब्राह्मण जातियाँ (Brahmin Castes of Garhwal)

गढ़वाल की ब्राह्मण जातियाँ

गढ़वाल में ब्राह्मण जातियाँ तीन प्रमुख हिस्सों में बाँटी गई हैं:

  1. सरोला
  2. गंगाड़ी
  3. नाना सरोला और गंगाड़ी

इन जातियों का आगमन 8वीं और 9वीं शताबदी के दौरान उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों से हुआ था। पंवार शासक के राजपुरोहित के रूप में सरोला यहाँ आए थे। गढ़वाल में आने के बाद सरोला और गंगाड़ी ने नाना गोत्र के ब्राह्मणों से विवाह किए। जहां सरोला ब्राह्मण द्वारा बनाए गए भोजन को सभी लोग ग्रहण करते हैं, वहीं गंगाड़ी जाति का अधिकार केवल उनके सगे-सम्बंधियों तक सीमित है।

1. नौटियाल
लगभग 700 साल पहले, टिहरी से आकर तली चांदपुर के नौटी गाँव में बसे। उनके आदि पुरुष नीलकंठ और देविदया थे, जो गौर ब्राह्मण थे। नौटियाल जाति का नाम नौटी गाँव से पड़ा, जहाँ इनके आदि पुरुष सम्वत 945 में बसे थे।

2. डोभाल
गंगाड़ी ब्राह्मणों की प्रमुख शाखा डोभाल सम्वत 945 में कर्नाटक से आई। इनके आदि पुरुष कर्णजीत थे, जिन्होंने डोभा गाँव में बसकर डोभाल जाति को प्रसिद्ध किया।

3. रतूड़ी
सरोला जाति की प्रमुख जाति रतूड़ी गौड़ देश से सम्वत 980 में आई थी। इनके आदि पुरुष सत्यानंद और राजबल थे, जिन्होंने रतुडा गाँव में बसकर इस जाति को प्रतिष्ठित किया।

4. गैरोला
गैरोला जाति के लोग चांदपुर तैल पट्टी के मूल निवासी हैं। उनके आदि पुरुष जयानंद और विजयानंद हैं, जो 972 में गैरोली गाँव में बसे थे।

5. डिमरी
यह जाति दक्षिण भारत से आकर पट्टी तली चांदपुर के दिमार (डिम्मर) गाँव में बसी। वे द्रविड़ ब्राह्मण हैं।

6. थपलियाल
थपलियाल जाति ने लगभग 1100 साल पहले पट्टी सीली चांदपुर के ग्राम थापली में आकर बसने की शुरुआत की। इनके आदि पुरुष जैचानंद, माईचंद और जैपाल थे, जो गौर ब्राह्मण थे।

7. बिजल्वाण
बिजल्वाण जाति के आदि पुरुष बीजोध् बिज्जू थे, जिनके नाम पर यह जाति प्रसिद्ध हुई। ये लोग गढ़वाल की सरोला जाति में प्रमुख माने जाते हैं और 1100 के आसपास चांदपुर परगने में बस गए थे।

8. लखेड़ा
लखेड़ा जाति के लोग लगभग 1000 साल पहले कोलकत्ता के वीरभूमि से आकर उत्तराखंड में बसे। इनके आदि पुरुष भानुवीर नारद जी थे, जो इनकी कुलदेवी माने जाते हैं।

9. बहुगुणा
गंगाड़ी ब्राह्मणों की प्रमुख शाखा बहुगुणा जाति सम्वत 980 में गौड़ बंगाल से आई थी। वे अद्यागौड़ जाति के थे।

10. कोठियाल
सरोला जाति की प्रमुख शाखा कोठियाल चांदपुर में कोटी गाँव में आकर बसी, और यहाँ बसने से ही कोठियाल जाति नाम से प्रसिद्ध हुई।

11. उनियाल
839 ई. पू. में जयानंद और विजयानंद नाम के दो चचेरे भाई दरभंगा से गढ़वाल आए और श्रीनगर में बसे। ये मैथली ब्राह्मण थे और इन्हें पाण्डित्य जागीरें दी गईं, जिससे ओझा और झा जातियाँ बनीं।

12. पैनुली(पैन्यूली)
पैनुली जाति गौड़ ब्राह्मण है, जो दक्षिण भारत से 1207 में ब्रह्मनाथ के नेतृत्व में पन्याला गाँव में बसे थे।

13. ढौंडियाल
गढ़वाल नरेश महिपत शाह द्वारा 14 और 15वीं सदी में चौथोकी वर्ग में वृद्धि के दौरान ढौंडियाल जाति गढ़वाल आई।

14. नौडियाल
नौडियाल जाति के लोग गढ़वाली गंगाड़ी ब्राह्मण हैं, जिनकी पूर्व जाति गौड़ थी।

15. पोखरियाल
पोखरियाल जाति की पूर्व जाति गौड़ ब्राह्मण थी, जो संवत 1678 में विल्हित से आई।

16. सकलानी
गढ़वाल नरेशों द्वारा मुआफी के हकदार यह शाखा सम्वत 1700 के आसपास अवध से सकलाना गाँव में बसी थी।

17. चमोली
यह जाति द्रविड़ ब्राह्मणों की प्रमुख जाति है, जो 924 ई. में रामनाथ विल्हित से गढ़वाल आई थी।

18. काला
यह जाति आज़ादी के बाद सबसे अधिक प्रगति करने वाली जाति मानी जाती है और उन्हें प्रथम श्रेणी के अधिकार प्राप्त हैं।

19. पांथरी
यह जाति सारस्वत ब्राह्मणों की शाखा है, जो सम्वत 1543 में जालन्धर से आकर गढ़वाल के पंथर गाँव में बसे।

यह लेख गढ़वाल की विभिन्न ब्राह्मण जातियों का विस्तृत वर्णन करता है, जो समय के साथ गढ़वाल के इतिहास और संस्कृति का अहम हिस्सा बने।

20. खंडूरी(खंडूड़ी)
सरोलाओ की बारह थोकी जातियों में से एक खंडूरी मूलतः गौड़ ब्राह्मण है, जिनका आगमन सम्वत 945 में वीरभूमि बंगाल से हुआ। इनके मूल पुरुष सारन्धर एवं महेश्वर खंडूड़ी गाँव में बसे और खंडूड़ी जाति नाम से प्रसिद्ध हुए। इस जाति के अनेक वंशज गढ़वाल राज्य में दीवान एवं कानूनगो के पदों पर भी रहे। बाद में राजा द्वारा इन्हें थोकदारी दे कर गढ़वाल के विभिन्न गाँवों को इन्हें जागीर में दे दिया था।

21. सती
गढ़वाल की सरोला जाति में से एक सती, गुजरात से आई ब्राह्मण जाति है, जो चांदपुर गढ़ी के शासकों के निमंत्रण पर चांदपुर और कपीरी पट्टी में बसी थी। इस जाति की एक शाखा नौनी (नवानी) भी है। इस जाति नाम के ब्राह्मण गढ़वाल के कई कोनों में फैले हैं, यहाँ तक कि इस जात के कुछ ब्राह्मण कुमाऊं में भी हैं।

22. कंडवाल
मूलतः सरोला जाति है, जो कांडा गाँव में बसने से कंडवाल कहलाई है। गढ़वाल के इतिहास में क्रमांक 19 से 26 तक की कुल आठ जातियाँ सरोला सूची में शामिल की गयी हैं, जिनमें कंडवाल जाति भी है। कंडवाल जाति मूलतः कुमाऊनी जाति है, जो कांडई नामक गाँव से यहाँ चांदपुर में सबसे पहले आकर बसी थी, जिनके मूलपुरुष का नाम आग्मानंद था।

23. ममगाईं
मूलतः गौड़ ब्राह्मण है जो उज्जैन से आकर मामा के गाँव में बसने से ममगाईं कहलाये थे। ये जाति मूलतः पौड़ी जिले की है लेकिन टिहरी और उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले में भी इस जाति के गाँव बसे हैं। महाराष्ट्र मूल के होने से वहां भी इस जाति के कुछ लोग रहते हैं।

24. भट्ट
भट्ट सामान्यतः एक विशेष जाति संज्ञा है, जिसका आशय प्रसिद्धि और विद्वता से है। सामान्यतः ये एक प्रकार की उपाधि थी जो राजाओं द्वारा प्रदत्त होती थी। गढ़वाल की अन्य जाति संज्ञाओं के अनुरूप ये उपाधि भी बाद में जातिनाम में बदल गयी, कुछ लोग इनका मूल भट्ट ही मानते हैं।

25. पन्त
भारद्वाज गोत्रीय ब्राह्मण है, जिनके मूल पुरुष जयदेव पन्त का कोकण महाराष्ट्र से 10वीं सदी में चंद राजाओं के साथ कुमाऊं में आगमन हुआ। उनके वंशज शर्मा श्रीनाथ नाथू एवं भावदास के नाम भी चार थोको में विभाजित हुए, ये ही बाद में मूल कुमाउनी ब्राह्मण जाति पन्त हुई।

26. बर्थवाल(बड़थ्वाल)
मूलतः सारस्वत ब्राह्मण है, जो संवत 1543 में गुजरात से आकर गढ़वाल में बसे। इस जाति के मूल पुरुष पंडित सूर्य कमल मुरारी, बेड़ेथ नामक गाँव में बसे और बाद में जिनके वंशज बर्थवाल(बड़थ्वाल) जाति नाम से प्रसिद्ध हुए।

27. कुकरेती
मूलतः द्रविड़ ब्राह्मण है, जो विल्हित नामक स्थान से आकर संवत 1352 में गढ़वाल में आये थे। इनके मूलपुरुष गुरुपति कुकरकाटा गाँव में बसे थे, यही से कुकरेती नाम से प्रसिद्ध हुए।

28. अन्थ्वाल
मूलतः सारस्वत ब्राह्मण हैं। संवत 1555 में पंजाब से गढ़वाल में आगमन हुआ। मूल पुरुष पंडित रामदेव अणेथ गाँव पौड़ी जिले में बसे, यही से इनकी जाति संज्ञा अन्थ्वाल(अणथ्वाल) हुई। इसी जाति के भै-बंध वर्तमान में श्री ज्वाल्पा धाम में भी ब्राह्मण हैं।

29. बेंजवाल
जनपद रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि कस्बे से लगभग 3 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद यह बेंजी गाँव आता है। बेंजी शब्द विजयजित का अपभ्रंश है, जिसका आशय विजय से था। बीजमठ महाराष्ट्र से आये मूलतः कान्यकुब्ज ब्राह्मणों का यह गाँव 11वीं सदी के आस-पास बसा था, जिनके मूल पुरुष का नाम पंडित देवसपति था।

30. पुरोहित
पुरोहितों का आगमन 1663 में जम्मू कश्मीर से हुआ था। ये जम्मू कश्मीर राजपरिवार के कुल पुरोहित थे। राजा के यहाँ पोरोहित्य कार्य करने से पुरोहित नाम से प्रसिद्ध हुए। इनके पहले गाँव दसोली कोठा बधाण बसे, जहाँ से बाद में 1750 में ये नागपुर पट्टी में भी बसे।

31. नैथानी
मूलरूप से कान्यकुब्ज ब्राह्मण है जो संवत 1200 कन्नौज से गढ़वाल में आये। इनके मूलपुरुष कर्णदेव, इंद्रपाल नैथाना गाँव, गढ़वाल में आकर बसे। श्री भुवनेश्वरी सिद्धपीठ (मंदिर) का प्रबंधन एवं व्यवस्था नैथानी जाति के लोग देखते हैं।

32. सेमवाल
इनके मूलपुरुष प्रभाकर, निरंजन सेमगांव में बसे थे। इनकी पूर्व जाति आद्य गौड़ है। ये वीरभूम से हैं जो कि 980 में सेमगांव आकर बसे थे।

33. ड्योडी
इनके मूलपुरुष ड्योडगांव में बसे थे।

34. घिल्‍़डियाल
इनकी पूर्व जाति आद्यगौड़ है। ये गौड़ देश से 1100 संवत में आये। इनके मूलपुरुष लुत्थमदेव, गंगदेव घिल्डी गांव में बसे थे।

35. जुयाल
इनकी पूर्व जाति महाराष्ट्र से है। ये कन्नौज से 1700 संवत में आये थे। इनके मूलपुरुष बसुदेव, विजयानंद जूया गाँव में बसे थे।

36. जोशी
इनकी पूर्व जाति द्रविड़ है। ये कुमांऊ से संवत 1700 में आये थे।

37. चंदोलाः
इनकी पूर्व जाति सारस्वत है। ये चंदोसी से संवत 1633 में आए। इनके मूलपुरुष लूथराज पंजाब से चंदोसी में बसे, वहां से गढ़वाल में बसे।

38. धस्माणाः
इनकी पूर्व जाति गौड़ है। ये उज्जैन से 1723 में आये। इनके मूलपुरुष हरदेव, वीरदेव, माधोदास धस्मण गांव में बसे थे।

39. कैंथोलाः
इनकी पूर्व जाति गुजराती भट्ट है। ये गुजरात से 1669 संवत में आये। इनके मूलपुरुष राम कैंथोली गाँव में बसे थे।

maintained:

  1. कोटनालाः इनकी पूर्व जाति गौड़ है। ये बंगाल से सम्वत 1725 में आए। कोटी गांव में बसे।
  2. बडोनीः इनकी पूर्व जाति गौड़ है। ये बंगाल से सम्वत 1500 में आए। ये बडोन गांव में बसे।
  3. कुडियालः इनकी पूर्व जाति गौड़ है। ये सम्वत 1600 में बंगाल से आए और कूड़ी गांव में बसे।
  4. बौड़ाईः ये गौड़ वंश के हैं और सम्वत 1500 में आए व बौधर या बौर गांव में बस गए।
  5. सिलवालः ये द्रविड़ वंश के हैं और सम्वत 1600 में बनारस से आकर यहां सिल्ला गांव में बसे।
  6. गोदुड़ाः इनकी पूर्व जाति भट्ट थी, ये सम्वत 1718 में दक्षिण से आकर यहां बसे, इनके मूलपुरुष गोदू हैं।
  7. बिंजोलाः इनकी पूर्व जाति द्राविड़ है।
  8. मैकोटीः ये कान्यकुब्ज वंश के हैं। सम्वत 1622 में कन्नौज से आकर मैकोटी गांव में बसे।
  9. कौंस्वालः ये सम्वत 1722 में यहां आए और कंस्याली गांव में बसे।
  10. मलासीः ये गौड़ वंश के हैं और मलासू गांव में आकर बसे।
  11. सुयालः इनके मूलपुरुष दजल हैं, ये बाज नारायण सूई गांव में बसे थे।
  12. बंगवालः ये गौड़ वंश के हैं। सम्वत 1725 में ये मध्यप्रदेश से आए। ये यहां बांगा गांव में बसे।
  13. देवराणीः इनकी पूर्व जाति भट्ट है। ये गुजरात से सम्वत 1500 में यहां आए।
  14. मडवालः ये द्वाराहाट कुमांऊ से सम्वत 1700 में यहां आए। इनके मूलपुरुष राजदास महड़ गांव में आकर बसे थे।
  15. बौखंडीः ये महाराष्ट्र विलहित से सम्वत 1700 में यहां आए। यह अपने को भुकुण्ड कवि के वंशज बतलाते हैं।
  16. घणसालाः इनकी पूर्व जाति गौड़ है। ये सम्वत 1600 में गुजरात से आए। ये मूल से मग्नदेव घणसाली गांव में बसे थे।
  17. पोखरियालः इनकी पूर्व जाति विल्वल है। ये सम्वत 1678 में विलहित से यहां आए। इनके मूलपुरुष गुरुसेन पोखरी गांव में आकर बसे थे।
  18. बलोदीः ये दविड़ वंश के हैं। ये सम्वत 1400 में दक्षिण से आए। ये यहां बलोद गांव में बसे जिससे बलोदी कहलाए।
  19. कलसीः ये भट्ट वंश के हैं। सम्वत 1300 में गुजरात से आकर यहां बसे।
  20. सुंद्रयालः ये सम्वत 1711 में यहां आए। ये कर्नाटक वंश के हैं। सुन्द्रोली गांव में आकर बसने से सुंद्रयाल कहलाए।
  21. डबरालः ये महाराष्ट्र वंश के हैं। सम्वत 1433 में दक्षिण से आकर यहां बसे। इनके मूलपुरुष रघुनाथ विश्वनाथ डाबर गांव में बसे थे।
  22. किमोठी ये गौड़ वंश के हैं। सम्वत 1617 में बंगाल से आकर यहां बसे। इनके मूलपुरुष रामभजन किमोठा गांव में बसे थे।
  23. कुठारी, कोठारीः ये शुक्ल वंश के हैं। सम्वत 1791 में बंगाल से आकर यहां बसे। इनके मूलपुरुष कुमारदेव कोठार गांव में आकर बसे थे।
  24. बडोलाः ये गौड़ वंश के हैं। सम्वत 1798 में उज्जैन से आकर यहां बसे। इनके मूलपुरुष उज्जल बडोली गांव में बसे थे।
  25. पांथरीः ये सारस्वत वंश के हैं। सम्वत 1600 में जालंधर से आकर यहां बसे। इनके मूलपुरुष अन्थू, पंथराम पांथर गांव में बसे थे।
  26. पुरोहितः यह खजीरी वंश के हैं। सम्वत 1813 में जम्मू से आकर यहां बसे। ये पुराहिताई करने से पुरोहित कहलाए।
  27. बिंजोलाः ये द्रविड़ वंश के हैं।
  28. कुड़ियालः ये गौड़ वंश के है। सम्वत 1600 में बंगाल से आए। ये कूड़ी गांव में बसने के कारण कुड़ियाल कहलाए।
  29. भट्टः ये भट्ट वंश के हैं जो कि दक्षिण से आए।
  30. फरासीः ये द्रविड़ वंश के हैं। सम्वत 1791 में दक्षिण से आए और फरासू गांव में बसे।
  31. गोदूडाः ये भट्ट वंश के हैं। सम्वत 1718 में दक्षिण से आए। ये मूलपुरुष गोदू के नाम से गोदूडा कहलाए।
  32. भदोलाः ये द्राविड वंश के हैं।
  33. मुसडाः ये गौड़ वंश के हैं। बंगाल से आए। मूलपुरुष भागदेव मुसड़ गांव में बसे।
  34. सिल्वालः ये द्रविड़ वंश के हैं। बनारस से आए और यहां सिल्ला गांव में बसे।
  35. बौड़ाईः ये गौड़ वंश के हैं। सम्वत 1500 में आए। बौधर या बौर गांव में बसे।
  36. मैकोटीः कान्यकुब्ज वंश के हैं। सम्वत 1622 में कन्नौज से आए। मैकोटी गांव में बसने से मैकोटी कहलाए।
  37. बदाणीः ये कान्यकुब्ज वंश के हैं। सम्वत 1722 में कन्नौज से आए। बधाण परगने में बसने से बदाणी कहलाए।
  38. कौंसवालः ये सम्वत 1722 में यहां आए। कंस्याली गांव में बसने से कौंसवाल कहलाए।
  39. जुगड़ाणः ये पांडे वंश के हैं। कुमाॅऊ से सम्वत 1700 में आए और यहां जुगड़ी गांव में बसे।

 गढ़वाल की ब्राह्मण जातियाँ (FQCs) 

1. गढ़वाल में ब्राह्मण जातियाँ कितनी प्रमुख हिस्सों में बाँटी जाती हैं?
उत्तर: गढ़वाल में ब्राह्मण जातियाँ तीन प्रमुख हिस्सों में बाँटी जाती हैं:

  • सरोला
  • गंगाड़ी
  • नाना सरोला और गंगाड़ी

2. गढ़वाल में सरोला और गंगाड़ी जातियाँ कब आई थीं?
उत्तर: इन जातियों का आगमन 8वीं और 9वीं शताबदी के दौरान उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों से हुआ था।

3. नौटियाल जाति का नाम किससे पड़ा?
उत्तर: नौटियाल जाति का नाम नौटी गाँव से पड़ा, जहां इनके आदि पुरुष सम्वत 945 में बसे थे।

4. डोभाल जाति का आगमन कहाँ से हुआ था?
उत्तर: डोभाल जाति गंगाड़ी ब्राह्मणों की प्रमुख शाखा है और यह सम्वत 945 में कर्नाटक से आई थी।

5. रतूड़ी जाति का मूल स्थान क्या था?
उत्तर: रतूड़ी जाति सम्वत 980 में गौड़ देश से आई थी और इन्होंने रतुडा गाँव में बसकर इस जाति को प्रतिष्ठित किया।

6. गैरोला जाति कहाँ से आई थी?
उत्तर: गैरोला जाति चांदपुर तैल पट्टी के मूल निवासी हैं और इनके आदि पुरुष 972 में गैरोली गाँव में बसे थे।

7. डिमरी जाति का आगमन कहाँ से हुआ था?
उत्तर: डिमरी जाति दक्षिण भारत से आकर पट्टी तली चांदपुर के दिमार (डिम्मर) गाँव में बसी।

8. थपलियाल जाति कहाँ से आई थी?
उत्तर: थपलियाल जाति लगभग 1100 साल पहले पट्टी सीली चांदपुर के ग्राम थापली में आकर बसी थी।

9. बिजल्वाण जाति का नाम किससे पड़ा?
उत्तर: बिजल्वाण जाति के आदि पुरुष बीजोध् बिज्जू थे, जिनके नाम पर यह जाति प्रसिद्ध हुई।

10. लखेड़ा जाति का मूल स्थान कहाँ था?
उत्तर: लखेड़ा जाति के लोग लगभग 1000 साल पहले कोलकत्ता के वीरभूमि से आकर उत्तराखंड में बसे।

11. बहुगुणा जाति कहाँ से आई थी?
उत्तर: बहुगुणा जाति सम्वत 980 में गौड़ बंगाल से आई थी और वे अद्यागौड़ जाति के थे।

12. कोठियाल जाति कहाँ बसी थी?
उत्तर: कोठियाल जाति चांदपुर में कोटी गाँव में आकर बसी, और यहाँ बसने से ही यह जाति प्रसिद्ध हुई।

13. उनियाल जाति का आगमन कहाँ से हुआ था?
उत्तर: उनियाल जाति के लोग 839 ई. पू. में जयानंद और विजयानंद नाम के दो चचेरे भाई दरभंगा से गढ़वाल आए थे।

14. पैनुली जाति का आगमन कहाँ से हुआ था?
उत्तर: पैनुली जाति गौड़ ब्राह्मण है, जो दक्षिण भारत से 1207 में ब्रह्मनाथ के नेतृत्व में पन्याला गाँव में बसे थे।

15. ढौंडियाल जाति का आगमन कब हुआ था?
उत्तर: ढौंडियाल जाति गढ़वाल नरेश महिपत शाह द्वारा 14 और 15वीं सदी में चौथोकी वर्ग में वृद्धि के दौरान गढ़वाल आई थी।

16. नौडियाल जाति का इतिहास क्या है?
उत्तर: नौडियाल जाति के लोग गढ़वाली गंगाड़ी ब्राह्मण हैं और इनकी पूर्व जाति गौड़ थी।

17. पोखरियाल जाति कहाँ से आई थी?
उत्तर: पोखरियाल जाति की पूर्व जाति गौड़ ब्राह्मण थी, जो संवत 1678 में विल्हित से आई थी।

18. सकलानी जाति कहाँ बसी थी?
उत्तर: सकलानी जाति गढ़वाल नरेशों द्वारा मुआफी के हकदार थी और यह सम्वत 1700 के आसपास अवध से सकलाना गाँव में बसी थी।

19. चमोली जाति का आगमन कहाँ से हुआ था?
उत्तर: चमोली जाति द्रविड़ ब्राह्मणों की प्रमुख जाति है, जो 924 ई. में रामनाथ विल्हित से गढ़वाल आई थी।

20. काला जाति का इतिहास क्या है?
उत्तर: काला जाति आज़ादी के बाद सबसे अधिक प्रगति करने वाली जाति मानी जाती है और उन्हें प्रथम श्रेणी के अधिकार प्राप्त हैं।

21. पांथरी जाति कहाँ से आई थी?
उत्तर: पांथरी जाति सारस्वत ब्राह्मणों की शाखा है, जो सम्वत 1543 में जालन्धर से आकर गढ़वाल के पंथर गाँव में बसे।

22. खंडूरी जाति का आगमन कहाँ से हुआ था?
उत्तर: खंडूरी जाति का आगमन सम्वत 945 में वीरभूमि बंगाल से हुआ था और इनके मूल पुरुष सारन्धर एवं महेश्वर खंडूड़ी गाँव में बसे थे।

23. सती जाति कहाँ से आई थी?
उत्तर: सती जाति गुजरात से आई ब्राह्मण जाति है, जो चांदपुर गढ़ी के शासकों के निमंत्रण पर चांदपुर और कपीरी पट्टी में बसी थी।

24. कंडवाल जाति का इतिहास क्या है?
उत्तर: कंडवाल जाति मूलतः कुमाऊनी जाति है, जो कांडई नामक गाँव से यहाँ चांदपुर में सबसे पहले आकर बसी थी।

25. ममगाईं जाति कहाँ से आई थी?
उत्तर: ममगाईं जाति मूलतः गौड़ ब्राह्मण है जो उज्जैन से आकर मामा के गाँव में बसने से ममगाईं कहलाये थे।

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