चौरंगी नाथ मंदिर और नचिकेता ताल: उत्तरकाशी के धार्मिक और प्राकृतिक चमत्कार (Chaurangi Nath Temple and Nachiketa Tal.)
चौरंगी नाथ मंदिर और नचिकेता ताल: उत्तरकाशी के धार्मिक और प्राकृतिक चमत्कार
उत्तरकाशी का नाम सुनते ही मन में देवभूमि का पवित्र अहसास जाग जाता है। यहां के मंदिर और ताल अपने धार्मिक और प्राकृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। उत्तराखंड के इस जनपद में एक ओर है चौरंगी नाथ मंदिर, जो नवनाथों में से एक गुरु चौरंगीनाथ को समर्पित है, और दूसरी ओर है नचिकेता ताल, जो ऋषि नचिकेता की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।
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चौरंगी नाथ मंदिर: गुरु गोरखनाथ के शिष्य का सिद्ध स्थल
उत्तरकाशी से करीब 25 किलोमीटर दूर चौरंगी नाथ मंदिर स्थित है। यह मंदिर चोड़ियाट गाँव में स्थित है और यहां गुरु चौरंगीनाथ की पूजा होती है। गुरु चौरंगीनाथ, गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे और उन्हें तंत्र-मंत्र विद्या में सिद्धि प्राप्त थी। इस मंदिर का पौराणिक महत्व अत्यधिक है और यहां हर तीन साल में पांच गाँवों—चोड़ियाट, दिखोली, सोड़, लोदड़ा और भेटियारा—के लोग मिलकर एक विशाल मेला आयोजित करते हैं। यह मेला यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर और आस्था का प्रतीक है।
नचिकेता ताल: योग और यमलोक का द्वार
चौरंगी खाल और हरुंटा बुग्याल के पास स्थित नचिकेता ताल न केवल एक सुंदर प्राकृतिक स्थल है, बल्कि इसका धार्मिक और पौराणिक महत्व भी है। यह ताल 8,050 फीट की ऊँचाई पर मुखेम रेंज में स्थित है। ताल तक पहुँचने के लिए आपको उत्तरकाशी से 26 किमी की ड्राइव करनी होगी, जिसमें आपको पाइन, ओक और रोडोडेंड्रोन के घने जंगलों के बीच से गुजरना होगा।
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नचिकेता ताल की पौराणिक कथा
इस ताल का नाम ऋषि नचिकेता के नाम पर रखा गया है, जो उत्तरकाशी के धनारी पट्टी के बगसारी गाँव में उदालक ऋषि के पुत्र थे। एक कथा के अनुसार, नचिकेता के पिता उदालक ने एक यज्ञ किया, जिसमें उन्होंने बूढ़ी और कमजोर गायों का दान कर दिया। नचिकेता ने यह देखकर अपने पिता से सवाल किया, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने नचिकेता को यम को अर्पित कर दिया। अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए नचिकेता यमलोक गए और वहाँ तीन दिन तक यमराज का इंतजार किया। इसके बदले में यमराज ने नचिकेता को तीन वरदान दिए। ऐसा कहा जाता है कि नचिकेता ताल वह स्थान है, जहाँ से उन्होंने यमलोक का द्वार पार किया था। ताल के पास यम द्वार नामक एक छोटी सी मांद जैसी संरचना है, जहाँ से नचिकेता यमलोक गए थे।
नचिकेता ताल की यात्रा का मार्ग
नचिकेता ताल तक पहुँचने के लिए आपको उत्तरकाशी से 26 किमी की ड्राइव करनी होगी। यह यात्रा मानपुर और संकुर्णा धार के रास्ते चौरंगी खाल तक जाती है। यहाँ से लगभग 3 किमी का ट्रेक करके आप इस खूबसूरत ताल तक पहुँच सकते हैं। रास्ता घने जंगलों और सुंदर प्राकृतिक दृश्यों से भरा हुआ है।
यात्रा का सर्वोत्तम समय
वसंत, ग्रीष्म और मानसून के मौसम में नचिकेता ताल की यात्रा करना सबसे अच्छा माना जाता है। वसंत में यहाँ के जंगल रोडोडेंड्रोन के फूलों से महक उठते हैं। स्थानीय लोग नाग पंचमी के अवसर पर यहाँ एक मेला भी लगाते हैं, जहाँ आस-पास के गाँवों के लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ ताल पर आते हैं।
नचिकेता ताल की सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व
ताल की प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, इसका सांस्कृतिक महत्व इसे और भी खास बनाता है। यहाँ के स्थानीय लोग ताल को पवित्र मानते हैं और इसकी देखभाल करते हैं। साथ ही, यहाँ की वनस्पति और जीव-जंतु इस स्थान को एक अद्वितीय पर्यावरणीय धरोहर बनाते हैं।
कैसे पहुँचें:
- देहरादून से उत्तरकाशी: देहरादून से उत्तरकाशी तक सीधी बस सेवा उपलब्ध है।
- स्थानीय परिवहन: उत्तरकाशी से चौरंगी खाल के लिए स्थानीय टैक्सी ली जा सकती है, जिसका किराया लगभग 80 रुपये होता है।
Frequently Asked Questions (FQCs) – चौरंगी नाथ मंदिर और नचिकेता ताल
1. चौरंगी नाथ मंदिर कहाँ स्थित है?
- चौरंगी नाथ मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के चोड़ियाट गाँव में स्थित है, जो उत्तरकाशी शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है।
2. चौरंगी नाथ कौन थे?
- चौरंगी नाथ नवनाथों में से एक थे और गुरु गोरखनाथ के शिष्य माने जाते हैं। उन्हें तंत्र-मंत्र और सिद्धियों का गहन ज्ञान था और उनकी पूजा चौरंगी नाथ मंदिर में की जाती है।
3. चौरंगी नाथ मंदिर में मेला कब आयोजित होता है?
- चौरंगी नाथ मंदिर में हर तीन साल बाद पाँच गाँव—चोड़ियाट, दिखोली, सोड़, लोदड़ा, और भेटियारा—के लोग मिलकर एक बड़ा मेला आयोजित करते हैं।
4. नचिकेता ताल का धार्मिक महत्व क्या है?
- नचिकेता ताल का धार्मिक महत्व ऋषि नचिकेता की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि नचिकेता ने इस स्थान से यमलोक की यात्रा की थी।
5. नचिकेता ताल कहाँ स्थित है?
- नचिकेता ताल उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में, मुखेम रेंज में 8,050 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह ताल उत्तरकाशी से लगभग 26 किमी की दूरी पर है।
6. नचिकेता ताल तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
- उत्तरकाशी से चौरंगी खाल तक 26 किमी की ड्राइव के बाद, 3 किमी का पैदल ट्रेक करके नचिकेता ताल पहुँचा जा सकता है। रास्ता पाइन, ओक और रोडोडेंड्रोन के घने जंगलों से होकर गुजरता है।
7. नचिकेता ताल का आकार क्या है?
- नचिकेता ताल लगभग 200 मीटर लंबा और 90 मीटर चौड़ा है। मानसून के दौरान इसका आकार और भी बड़ा हो जाता है।
8. नचिकेता ताल में कौन-कौन से वन्यजीव पाए जाते हैं?
- नचिकेता ताल के पास के जंगलों में काकड़ (भौंकने वाले हिरण), हिमालयी भालू, तेंदुए, लोमड़ी, साही, हिमालयी लंगूर और विभिन्न पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ताल में मछलियाँ भी बड़ी संख्या में होती हैं।
9. नचिकेता ताल की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?
- वसंत, ग्रीष्म और मानसून के मौसम में नचिकेता ताल की यात्रा करना सबसे अच्छा माना जाता है। विशेष रूप से वसंत में रोडोडेंड्रोन के फूलों से रास्ता भर जाता है।
10. नचिकेता ताल के पास कौन-कौन से पर्वत दिखते हैं?
- नचिकेता ताल से बंदरपंच, श्रीकांत, और गंगोत्री की चोटियाँ देखी जा सकती हैं।
11. क्या नचिकेता ताल पर कोई धार्मिक आयोजन होता है?
- हाँ, नाग पंचमी के अवसर पर नचिकेता ताल पर एक मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें चौरंगी, दिखोली, सौंदी और आस-पास के गाँवों के लोग भाग लेते हैं।
12. चौरंगी नाथ मंदिर में किस प्रकार की पूजा की जाती है?
- चौरंगी नाथ मंदिर में विशेष रूप से गुरु चौरंगीनाथ की पूजा होती है, जो तंत्र-मंत्र विद्या और सिद्धियों में माहिर थे। श्रद्धालु यहाँ आकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और मन्नतें मांगते हैं।
13. नचिकेता ताल से जुड़े प्रमुख धार्मिक स्थल कौन से हैं?
- नचिकेता ताल के पास एक छोटी सी मांद जैसी संरचना है जिसे यम द्वार कहा जाता है, जहाँ से नचिकेता ने यमलोक की यात्रा की थी।
14. क्या नचिकेता ताल के पास कैंपिंग की जा सकती है?
- हाँ, नचिकेता ताल के पास ट्रेकर्स और पर्यटक कैंपिंग कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए पहले से योजना बनानी होती है।
15. नचिकेता ताल के आसपास क्या अन्य ट्रेकिंग स्पॉट हैं?
- नचिकेता ताल के पास हरुंटा बुग्याल और चौरंगी खाल जैसे स्थान भी ट्रेकिंग के लिए लोकप्रिय हैं।
समापन
चौरंगी नाथ मंदिर और नचिकेता ताल उत्तरकाशी के दो अद्भुत स्थल हैं, जो धार्मिक और प्राकृतिक दोनों रूपों में अद्वितीय हैं। इन स्थानों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि प्रकृति की गोद में कुछ समय बिताने का सुनहरा अवसर भी देती है।
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