कत्यूरी राजवंश का गौरवशाली इतिहास (Glorious History of Katyuri Dynasty)

कत्यूरी राजवंश का गौरवशाली इतिहास

कत्यूरी या कत्यूर वंश उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में शासन करने वाला एक महत्वपूर्ण राजवंश था। इस वंश ने सन् 740 ई. से सन् 1000 ई. तक पूरे क्षेत्र पर एकछत्र शासन किया। उनकी राजधानी पहले कार्तिकेयपुर (जोशीमठ) थी, जिसे बाद में बैजनाथ (कुमाऊं) में स्थापित किया गया। इस राजवंश का उत्तराखंड के सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विकास में विशेष योगदान रहा।


कत्यूरी राजवंश के प्रमुख शासक:

कत्यूरी राजाओं में वसन्तन, खर्पर, त्रिभुवनराज, निम्बर, इष्टगण, ललितसूर, सलोणादित्य, देशट और सुभिक्षराज प्रमुख थे। इन शासकों ने उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में सुंदर मंदिरों और किलों का निर्माण कराया।


राजवंश की स्थापना और राजधानी:

संस्थापक: वासुदेव
प्रमुख शाखाएँ:

  • कत्यूर बैजनाथ शाखा
  • पाली पछाऊँ शाखा
  • अस्कोट शाखा

पहली राजधानी: जोशीमठ (कार्तिकेयपुर)
दूसरी राजधानी: बैजनाथ (कुमाऊं)
रणचूलाकोट: एक और ऐतिहासिक राजधानी


धार्मिक योगदान:

कत्यूरी राजाओं ने उत्तराखंड में शिव, विष्णु, और देवी के मंदिर बनवाए। आदि शंकराचार्य के समय में ये राजा उनकी शिक्षाओं से प्रभावित हुए। आदि शंकराचार्य ने 820 ई. में केदारनाथ में श्रीविग्रह (विष्णु की मूर्ति) को नारदकुंड से निकालकर प्रतिष्ठित किया और यहीं समाधि ली।


कत्यूरी राजवंश से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ:

आसन्तिदेव वंश के संस्थापक: आसन्तिदेव
अंतिम शासक: ब्रह्मदेव (वीरमदेव)
आक्रमण और पतन:

  • 1191 ई.: पश्चिमी नेपाल के राजा अशोक चल्ल ने आक्रमण किया।
  • 1223 ई.: नेपाल के शासक काचल्लदेव ने कुमाऊं पर आक्रमण किया।
  • 1398 ई.: तैमूर लंग के आक्रमण से कत्यूरी वंश का पतन हुआ।

कत्यूरी राजवंश की कुल देवी:

नन्दा देवी – इस राजवंश की कुल देवी के रूप में पूजी जाती थीं।


निष्कर्ष:

कत्यूरी राजवंश ने उत्तराखंड के इतिहास, कला, संस्कृति और धर्म को अमर बना दिया। उनके बनाए बैजनाथ मंदिर, जोशीमठ के किले और देवालय आज भी उनकी स्थापत्य कला और शासनकाल के साक्षी हैं। उत्तराखंड के इतिहास में उनका स्थान गौरवपूर्ण और प्रेरणादायक है।

उत्तराखंड के कत्यूरी राजवंश से संबंधित FAQs (Frequently Asked Questions):


1. कत्यूरी राजवंश क्या है?

कत्यूरी राजवंश उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में प्राचीन समय में शासन करने वाला एक प्रमुख राजवंश था। उन्होंने 8वीं से 11वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र में राज किया।


2. कत्यूरी राजवंश की राजधानी कहाँ थी?

कत्यूरी राजवंश की पहली राजधानी जोशीमठ (कार्तिकेयपुर) थी, जिसे बाद में बैजनाथ (कुमाऊं) में स्थानांतरित किया गया।


3. कत्यूरी राजवंश का संस्थापक कौन था?

कत्यूरी राजवंश के संस्थापक वासुदेव कत्यूरी माने जाते हैं, जिन्होंने इस राजवंश को स्थापित कर उत्तराखंड में एक सशक्त शासन की नींव रखी।


4. कत्यूरी राजाओं के प्रमुख योगदान क्या थे?

कत्यूरी राजाओं ने उत्तराखंड में कई धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का निर्माण किया, जिनमें बैजनाथ मंदिर, जोशीमठ के प्राचीन मंदिर, और जागेश्वर धाम प्रमुख हैं।


5. कत्यूरी राजवंश कब और कैसे समाप्त हुआ?

कत्यूरी राजवंश का पतन 11वीं शताब्दी के अंत में बाहरी आक्रमणों और आपसी कलह के कारण हुआ। नेपाल के शासकों और गढ़वाल के स्थानीय राजाओं के संघर्षों ने उनके साम्राज्य को कमजोर कर दिया।


6. कत्यूरी राजवंश की कुल देवी कौन थीं?

कत्यूरी राजवंश की कुल देवी नन्दा देवी थीं, जिन्हें आज भी उत्तराखंड में अत्यंत श्रद्धा से पूजा जाता है।


7. कत्यूरी राजवंश के प्रमुख शासक कौन थे?

कत्यूरी राजवंश के प्रमुख शासकों में वासुदेव, आसन्तिदेव, ब्रह्मदेव, इष्टगण, और सुभिक्षराज शामिल थे।


8. कत्यूरी राजाओं द्वारा बनाए गए प्रमुख मंदिर कौन-कौन से हैं?

कत्यूरी राजाओं ने बैजनाथ मंदिर, जागेश्वर धाम, चंपावत के मंदिर, और जोशीमठ के प्राचीन मंदिरों का निर्माण किया।


9. कत्यूरी राजवंश का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल कौन सा है?

बैजनाथ मंदिर परिसर और जागेश्वर धाम कत्यूरी राजवंश द्वारा बनाए गए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं।


10. कत्यूरी राजवंश के बारे में जानकारी किसे पसंद करनी चाहिए?

इतिहास प्रेमी, धार्मिक पर्यटन में रुचि रखने वाले, उत्तराखंड के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों में रुचि रखने वाले लोग कत्यूरी राजवंश के इतिहास को जानना पसंद करेंगे।

टिप्पणियाँ