रानीखेत के मंदिर में झूला झूलती हैं देवी मां, सपने में दर्शन देकर मांगा था झूला! (The Goddess swings in the temple of Ranikhet, the swing was asked for by appearing in the dream!)
रानीखेत के मंदिर में झूला झूलती हैं देवी मां, सपने में दर्शन देकर मांगा था झूला!
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित झूला देवी मंदिर (Jhula Devi Temple Ranikhet) एक अत्यंत प्रसिद्ध और ऐतिहासिक स्थल है। यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना बताया जाता है और यहां पर देश-विदेश से श्रद्धालु देवी माँ के दर्शन करने आते हैं। रानीखेत के इस मंदिर का इतिहास बहुत दिलचस्प है, जिसमें देवी माँ के अद्वितीय दर्शन और उनकी इच्छा को मान्यता दी गई है।
मंदिर का इतिहास
पुजारी के अनुसार, यह मंदिर उस समय की कहानी है जब चौबटिया क्षेत्र के जंगलों में तेंदुओं और बाघों का आतंक था। एक दिन पिलखोली गांव के एक व्यक्ति को देवी माँ ने सपने में दर्शन दिए। देवी ने उसे एक जगह पर जमीन में दबी अपनी मूर्ति के बारे में बताया और कहा कि वहां एक मंदिर बनाए जाने पर आसपास के लोगों को जंगली जानवरों से मुक्ति मिलेगी। इसके बाद, गांववालों ने मूर्ति को निकाला और उसी स्थान पर मंदिर स्थापित किया।
झूला झूलने की परंपरा
स्थापना के बाद, गांव के लोग अपने जानवरों को इस स्थान पर चराने के लिए लाते थे। कहा जाता है कि सावन के महीने में सभी बच्चे मंदिर के प्रांगण में झूला डालकर झूला झूलते थे। यह दृश्य देवी माँ को इतना प्रिय लगा कि उन्होंने एक बार फिर उसी व्यक्ति को सपने में दर्शन दिए और कहा कि उनके प्रांगण में झूला झूलते बच्चों को देखकर देवी माँ को भी झूला झूलने की इच्छा हुई। इसके बाद, वहां पर माँ को झूले में विराजमान कर दिया गया, और तभी से उन्हें 'झूला देवी' के नाम से जाना जाने लगा।
मंदिर में श्रद्धालु और उनकी मन्नतें
झूला देवी मंदिर में लोग दूर-दूर से आते हैं और माँ से मन्नतें मांगते हैं। जिनकी मन्नतें पूरी होती हैं, वे मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं या भंडारा करवाते हैं। बॉलीवुड सिंगर सोनू निगम भी इस मंदिर में दर्शन करने आए थे। नवरात्रि के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है।
झूला देवी मंदिर तक कैसे पहुंचे
झूला देवी मंदिर, रानीखेत के चौबटिया गार्डन के पास स्थित है। इसे अल्मोड़ा से 7 किलोमीटर की दूरी पर जाना जा सकता है। रानीखेत पहुंचने के लिए अल्मोड़ा से टैक्सी किराए पर ली जा सकती है। रानीखेत का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो 75 किलोमीटर दूर स्थित है। काठगोदाम से रानीखेत के लिए बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं। पंतनगर हवाई अड्डा रानीखेत से 110 किलोमीटर दूर स्थित है, और वहां से रानीखेत के लिए टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
मंदिर का स्थान
झूला देवी मंदिर का स्थान रानीखेत (चौबटिया) में स्थित है, और यह कुमाऊं की हरी-भरी पहाड़ियों में सुशोभित है। मंदिर के आसपास का वातावरण शांत और सुरम्य है, जो श्रद्धालुओं को मानसिक शांति और सुख प्रदान करता है।
यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक ऐतिहासिक स्थल भी है, जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है। यहाँ की परंपराएँ और देवी माँ की अद्भुत कृपा के किस्से सदियों से श्रद्धालुओं के बीच सुनाए जाते हैं।
झूला देवी मंदिर FQCs (Frequently Asked Questions)
1. झूला देवी मंदिर कहां स्थित है?
- झूला देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में स्थित है, जो चौबटिया गार्डन के पास है।
2. झूला देवी मंदिर का इतिहास क्या है?
- यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना है। मंदिर की स्थापना एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा की गई थी, जिसे देवी ने सपने में दर्शन दिए और मूर्ति की पहचान बताई, जिसके बाद गाँववालों ने मंदिर स्थापित किया।
3. झूला देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
- यह मंदिर देवी माँ के झूला झूलने की परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि देवी माँ ने खुद अपने भक्तों से झूला झूलने की इच्छा व्यक्त की, जिसके बाद यहाँ देवी को झूले में विराजमान किया गया।
4. झूला देवी मंदिर तक कैसे पहुंचें?
- झूला देवी मंदिर रानीखेत में स्थित है, जो अल्मोड़ा से 7 किमी दूर है। यहां पहुंचने के लिए आप टैक्सी या बस का उपयोग कर सकते हैं। काठगोदाम रेलवे स्टेशन और पंतनगर हवाई अड्डा निकटतम परिवहन केंद्र हैं।
5. क्या झूला देवी मंदिर में मन्नतें पूरी होती हैं?
- हां, इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होती हैं, और इसके बाद वे मंदिर में घंटी चढ़ाकर या भंडारा करवाकर अपना आभार व्यक्त करते हैं।
6. क्या झूला देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान भीड़ होती है?
- हां, नवरात्रि के समय इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। यह समय मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का होता है।
7. क्या झूला देवी मंदिर में बॉलीवुड हस्तियां भी आई हैं?
- हां, बॉलीवुड सिंगर सोनू निगम भी इस मंदिर में दर्शन करने आए थे।
8. झूला देवी मंदिर में किन-किन चीजों का पूजन होता है?
- यहां श्रद्धालु घंटियाँ चढ़ाते हैं और मन्नत पूरी होने पर भंडारा भी करते हैं। मंदिर में विशेष रूप से देवी माँ की पूजा की जाती है।
9. क्या झूला देवी मंदिर में बच्चों का झूला झूलना एक परंपरा है?
- हां, सावन के महीने में बच्चे मंदिर के प्रांगण में झूला डालकर झूला झूलते हैं, जो देवी माँ को बहुत प्रिय है।
10. क्या झूला देवी मंदिर की यात्रा के लिए किसी विशेष समय की आवश्यकता है?
- आप पूरे साल में इस मंदिर की यात्रा कर सकते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा होती है, जब अधिक श्रद्धालु आते हैं।
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