हीरा सिंह राणा: पहाड़ की लोक संस्कृति के अमर गायक (Hira Singh Rana: Immortal singer of the folk culture of the mountain)
हीरा सिंह राणा: पहाड़ की लोक संस्कृति के अमर गायक
उनके गीत “हे मेरी मानिला डानी, हम तेरी बलाइ ल्यूला” में पहाड़ की भौगोलिक विशेषताओं को भक्ति रस में पिरोया गया है। वहीं, “रंगीला बिंदी घाघरी काई धोती लाल किनार वाइ” जैसे गीतों में श्रृंगार रस और प्रकृति के प्रतीकों का अनूठा प्रयोग दिखता है।
हीरा सिंह राणा के अमर गीत हमें सदा प्रेरणा देते रहेंगे।
FAQs: लोक कवि हीरा सिंह राणा के बारे में
1. हीरा सिंह राणा कौन थे?
हीरा सिंह राणा एक प्रसिद्ध लोक कवि और गीतकार थे, जो उत्तराखंड की लोक संस्कृति और गीतों को देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में पहाड़ी जीवन, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता को व्यक्त किया।
2. हीरा सिंह राणा का जन्म कब और कहां हुआ था?
हीरा सिंह राणा का जन्म 16 सितंबर 1942 को अल्मोड़ा जिले के डंढ़ोली गांव (मनिला) में हुआ था।
3. हीरा सिंह राणा के प्रमुख गीत कौन से थे?
हीरा सिंह राणा के प्रमुख गीतों में "के भला मनिखा हो हमारा पहाड़ मा", "आयु पूस माख", "हे मेरी मानिले हम तेरी बलाइ ल्यूला", "जुग बजाने गया बिनाई" और "लसका कमर बांधा" शामिल हैं।
4. हीरा सिंह राणा के गीतों में किस प्रकार के प्रतीकों का उपयोग किया गया है?
हीरा सिंह राणा के गीतों में पहाड़ी जीवन, प्रकृति, स्थानीय परिधानों और प्राकृतिक संसाधनों जैसे प्रतीकों का प्रयोग किया गया है। उन्होंने अपने गीतों में बंजर पहाड़ों, घाटियों, और गांवों के जीवन को सुंदर रूप में प्रस्तुत किया।
5. हीरा सिंह राणा के गीतों का उत्तराखंड के आंदोलनों में क्या योगदान था?
उनके गीतों ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से, "लसका कमर बांधा" गीत ने राज्य आंदोलन में नई ऊर्जा का संचार किया और पहाड़ी जनता को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
6. क्या हीरा सिंह राणा ने अपने गीतों में उत्तराखंड के विकास और संघर्षों का चित्रण किया था?
हां, हीरा सिंह राणा ने अपने गीतों में उत्तराखंड के विकास, पलायन, बेरोजगारी और अन्य सामाजिक मुद्दों का चित्रण किया। उन्होंने "त्यर पहाड़ म्यर पहाड़" जैसे गीतों में राज्य की स्थितियों का खंडन किया और सुधार की आवश्यकता जताई।
7. हीरा सिंह राणा ने अपने जीवन में किस प्रकार के गीत गाए?
उन्होंने विभिन्न प्रकार के गीत गाए, जिनमें भक्ति गीत, श्रृंगार गीत, सामाजिक और सांस्कृतिक गीत शामिल हैं। उनके गीतों में पहाड़ी जीवन की सादगी, संघर्ष, और प्यार का सुंदर चित्रण मिलता है।
8. हीरा सिंह राणा का योगदान लोक संगीत और संस्कृति में क्या था?
हीरा सिंह राणा का योगदान लोक संगीत और संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने उत्तराखंड की लोक संस्कृति और लोक गीतों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत किया और इसे पहचान दिलाई।
9. हीरा सिंह राणा का कविता संग्रह कब प्रकाशित हुआ था?
1987 में उनका कविता संग्रह "प्युली व बुराशं" प्रकाशित हुआ, जिसमें उनके गीतों और कविताओं का संकलन था।
10. हीरा सिंह राणा का योगदान उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के लिए क्या था?
हीरा सिंह राणा ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को न केवल संजोया, बल्कि उसे देश-दुनिया में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके गीतों ने पहाड़ी समाज की समस्याओं और सौंदर्य को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
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