कटारमल सूर्य मंदिर: उत्तराखंड का अद्भुत सूर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple: The Amazing Sun Temple of Uttarakhand)

कटारमल सूर्य मंदिर: उत्तराखंड का अद्भुत सूर्य मंदिर

अल्मोड़ा, उत्तराखंड का कटारमल सूर्य मंदिर, भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है। इस मंदिर की स्थिति और इतिहास इसे एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल बनाते हैं। यह मंदिर लगभग 9वीं शताब्दी का है और कत्यूरी शासक कटारमल द्वारा बनवाया गया था। ओडिशा के प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद इसे देश का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर माना जाता है।

मंदिर का इतिहास और महत्व

कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से बेहद दिलचस्प है। इस मंदिर का निर्माण तब हुआ था जब यहां के लोग कालनेमि नामक राक्षस से परेशान थे और भगवान सूर्य का आह्वान किया। भगवान सूर्य उनके आह्वान पर बरगद के पेड़ में विराजमान हुए और तब से इस स्थान को बड़ आदित्य के नाम से भी जाना जाता है।

वास्तुकला और संरचना

यह मंदिर अपनी विशिष्ट वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर सूर्य देव की मूर्ति बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी है, जो एक अद्वितीय विशेषता है। यह मूर्ति गर्भगृह में ढक कर रखी जाती है। इस परिसर में कुल 45 छोटे-बड़े मंदिर हैं, जिनमें शिव, पार्वती, लक्ष्मी नारायण सहित विभिन्न देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई थीं।

सूर्य की किरणें: अद्भुत दृश्य

कटारमल सूर्य मंदिर की एक विशेषता यह है कि यहां हर साल दो बार सूर्य की किरणें भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं। 22 अक्टूबर और 22 फरवरी को सूर्य की किरणें सुबह के समय भगवान की मूर्ति पर सीधी पड़ती हैं, यह एक अद्भुत और पवित्र दृश्य होता है। स्थानीय निवासी देवेंद्र सिंह के अनुसार, इन तिथियों पर सूर्य की किरणों का भगवान सूर्य की मूर्ति पर पड़ना एक अद्भुत प्राकृतिक चमत्कार है।

मंदिर की यात्रा और महत्व

कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और यह समुद्रतल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको पर्वतीय मार्गों से गुजरना होता है, जो प्रकृति प्रेमियों और श्रद्धालुओं के लिए एक अनमोल अनुभव है। यहां के वातावरण में आपको शांति और आस्था की एक गहरी भावना महसूस होती है।

मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में घने जंगल और पहाड़ी इलाका है, जिससे यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। जब सूर्योदय होता है, तो सूर्य की पहली किरण मंदिर पर पड़ती है और यह नजारा देखना बेहद खूबसूरत होता है। इस समय मंदिर की दीवारों और मूर्तियों पर सूर्य की रौशनी पड़ते हुए आलौकिक दृश्य उत्पन्न होते हैं।

क्या खास है इस मंदिर में?

कटारमल सूर्य मंदिर की विशेषता केवल इसके इतिहास और वास्तुकला में नहीं है, बल्कि यहां की मूर्ति और इसके आसपास के 44 छोटे मंदिर भी महत्वपूर्ण हैं। इन मंदिरों में भगवान शिव, पार्वती, लक्ष्मी नारायण और अन्य देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं।

मंदिर का दरवाजा पहले चंदन की लकड़ी से बना था, जिसे अब दिल्ली म्यूजियम में रखा गया है। हालांकि, कई साल पहले मंदिर में चोरी हो गई थी, जिससे मूर्तियों को गर्भगृह में सुरक्षित किया गया है।

कब जाएं मंदिर?

कटारमल सूर्य मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय के दौरान होता है। सूर्योदय के समय यहां का दृश्य बेहद खूबसूरत होता है। सूरज की पहली किरण के साथ ही मंदिर में रौशनी फैल जाती है और पूरा परिसर जगमगा उठता है। इस समय मंदिर में पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ आप आस-पास के ट्रैकिंग ट्रेल्स का भी आनंद ले सकते हैं।

श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष जानकारी

कटारमल सूर्य मंदिर में प्रवेश के लिए किसी प्रकार की फीस या एंट्री टिकट नहीं लिया जाता। यहां आप स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं और मंदिर की वास्तुकला और धार्मिक महत्व को महसूस कर सकते हैं। मंदिर में एक यात्रा के दौरान लगभग तीन घंटे का समय लग सकता है।

निष्कर्ष

कटारमल सूर्य मंदिर न केवल उत्तराखंड का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति का भी अहम हिस्सा है। यहां की वास्तुकला, इतिहास और विशेष धार्मिक घटनाएं इसे एक अद्भुत यात्रा स्थल बनाती हैं। यदि आप धार्मिक पर्यटन के शौकिन हैं या प्रकृति प्रेमी हैं, तो यह मंदिर आपके लिए एक आदर्श गंतव्य हो सकता है।

अल्मोड़ा की पहाड़ियों में स्थित यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण भी आपको एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेगा।

कटारमल सूर्य मंदिर, अल्मोड़ा से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs):

  1. कटारमल सूर्य मंदिर कहाँ स्थित है?

    • कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है, जो अल्मोड़ा शहर से लगभग 18 किलोमीटर दूर अधेली सुनार गांव में स्थित है।
  2. कटारमल सूर्य मंदिर कितना पुराना है?

    • यह मंदिर 9वीं शताब्दी में बनाया गया था, जब कट्यूरी राजा कटारमल का शासन था।
  3. कटारमल सूर्य मंदिर को "बड़ा आदित्य मंदिर" क्यों कहा जाता है?

    • इस मंदिर को "बड़ा आदित्य मंदिर" कहा जाता है क्योंकि भगवान सूर्य की मूर्ति बड़ (बरगद) के पेड़ की लकड़ी से बनी है, जो इसे अन्य सूर्य मंदिरों से अलग और अद्वितीय बनाता है।
  4. कटारमल सूर्य मंदिर की विशेषताएँ क्या हैं?

    • यह मंदिर भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है। यहाँ भगवान सूर्य की मूर्ति बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी है। इस मंदिर में 45 छोटे-छोटे मंदिर भी हैं, जो इसे और भी ऐतिहासिक बनाते हैं।
  5. क्या कटारमल सूर्य मंदिर में कोई विशेष घटना होती है?

    • हाँ, हर साल 22 अक्टूबर और 22 फरवरी को सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष रूप से भगवान सूर्य की मूर्ति पर पड़ती हैं, यह एक खास घटना है जिसे श्रद्धालु हर साल देख सकते हैं।
  6. कटारमल सूर्य मंदिर में कितने मंदिर हैं?

    • इस मंदिर परिसर में कुल 45 छोटे और बड़े मंदिर हैं, जो विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं, जैसे भगवान शिव, लक्ष्मी नारायण आदि।
  7. क्या पर्यटक मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं?

    • हाँ, पर्यटक मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं और परिसर का भ्रमण कर सकते हैं। यहाँ जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता और मंदिर को देखेने में लगभग 2-3 घंटे का समय लगता है।
  8. कटारमल सूर्य मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कब है?

    • इस मंदिर का सबसे अच्छा समय सूर्योदय है, क्योंकि सूर्योदय के समय सूरज की किरणें मंदिर पर पड़ने से एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न होता है।
  9. कटारमल सूर्य मंदिर कैसे पहुँचा जा सकता है?

    • कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहाँ तक आप गाड़ी से पहुँच सकते हैं और फिर मंदिर तक पहुँचने के लिए एक छोटा सा ट्रेक करना होता है।
  10. क्या मंदिर में कोई ऐतिहासिक या पुरातात्विक कलाकृतियाँ हैं?

    • हाँ, इस मंदिर परिसर में प्राचीन मूर्तियाँ और नक्काशियाँ हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। कुछ मूर्तियाँ और दरवाजे दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षित हैं।
  11. क्या कटारमल सूर्य मंदिर का रखरखाव ठीक से किया जाता है?

    • हाँ, मंदिर का रखरखाव अच्छी तरह से किया जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस मंदिर का संरक्षण किया जाता है और यह एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है।
  12. कटारमल सूर्य मंदिर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

    • यह मंदिर कट्यूरी राजवंश के समय का एक अद्भुत उदाहरण है और भगवान सूर्य के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। यह उत्तराखंड की धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  13. क्या मंदिर के आसपास ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं?

    • हाँ, मंदिर के आसपास कई ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं, जो दर्शनीय दृश्यों और पहाड़ी क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं। यह स्थल प्रकृति प्रेमियों और साहसिक गतिविधियों के शौक़ीनों के लिए आदर्श है।
  14. कटारमल सूर्य मंदिर के आसपास कौन से अन्य स्थल हैं जिन्हें देखा जा सकता है?

    • कटारमल सूर्य मंदिर के अलावा आप अल्मोड़ा के अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल जैसे नंदा देवी मंदिर और चीता मंदिर भी देख सकते हैं।

टिप्पणियाँ

upcoming to download post