उत्तराखंड की भाषा एवं साहित्य
उत्तराखंड में बोली जाने वाली भाषाएँ
भाषाओं का समूह: उत्तराखंड में बोली जाने वाली भाषाओं के समूह को पर्वतीय, पहाड़ी, या उत्तराखंडी बोली कहा जाता है।
प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख: 'रामायण,' 'महाभारत,' 'वायु पुराण,' 'शतपथ ब्राह्मण,' और 'ब्रह्माण्ड पुराण' में वर्णित आर्य भाषा उत्तराखंड क्षेत्र से संबंधित है।
राजकीय भाषाएँ:
प्रथम राजकीय भाषा: हिन्दी
द्वितीय राजकीय भाषा: संस्कृत
भाषा संस्थान की स्थापना: उत्तराखंड भाषा संस्थान और उत्तराखंड हिंदी अकादमी की स्थापना वर्ष 2009 में हुई। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी और अन्य भाषाओं का प्रचार-प्रसार, अनुवाद, शोध, और साहित्य संग्रह है।
डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल: वर्ष 2011 में उत्तराखंड हिंदी अकादमी का नाम उनके नाम पर रखा गया।
उत्तराखंड बोली भाषा संस्थान: वर्ष 2016 में इसका कार्यालय गौचर (चमोली) में स्थापित हुआ। इसके संकलन केंद्र श्रीनगर, देहरादून, और अल्मोड़ा में स्थित हैं।
भाषाओं की विविधता: उत्तराखंड में प्रमुख रूप से गढ़वाली, कुमाऊँनी, पंजाबी, बांग्ला, और उर्दू बोली जाती हैं। इन बोलियों को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।
गढ़वाली एवं कुमाऊँनी भाषाएँ
गढ़वाली भाषा: गढ़वाल क्षेत्र में बोली जाती है। इसका विकास मध्य पहाड़ी भाषा से हुआ है।
कुमाऊँनी भाषा: यह उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाती है और शौरसेनी अपभ्रंश से विकसित हुई है।
कुमाऊँनी बोलियाँ: कुमाऊँनी में 18 से अधिक बोलियाँ हैं, जिनमें प्रमुख हैं: अस्कोटी, सीराली, सौर्याली, कुमाय्याँ, गंगेली, दनपुरिया, चौगर्खिया, पछाई, जौहारी, और नैणतिलया।
साहित्यिक योगदान
प्राचीन साहित्यकार: गुमानी पंत, कृष्ण पांडेय, गंगादत्त उप्रेती, और शिवदत्त सती प्रमुख कुमाऊँनी साहित्यकार रहे हैं।
लोक साहित्य: इसमें लोकगीत, लोककथाएँ, लोकगाथाएँ जैसे 'भालूशाही' और 'रमोल' शामिल हैं।
प्रथम पत्र-पत्रिकाएँ:
अल्मोड़ा अखबार (1871)
शक्ति साप्ताहिक (1918)
प्रसिद्ध कविताएँ: सुमित्रानंदन पंत की 'बरूंश' और मथुरादत्त मठयाल की पत्रिका 'दुदबोली' विशेष रूप से विख्यात हैं।
भाषा का विकास: कुमाऊँनी भाषा का प्रथम तिथिगत अभिलेख 'दिगास अभिलेख' है। इसकी प्रामाणिकता संस्कृत अपभ्रंश से विकसित मानी जाती है।
संक्षिप्त निष्कर्ष
उत्तराखंड की भाषाएँ और साहित्य अपनी विविधता, सांस्कृतिक समृद्धि और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी पहचान उत्तराखंड की लोक संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ी हुई है।
उत्तराखंड की भाषाएँ
1. उत्तराखंड में बोली जाने वाली भाषाओं के समूह को क्या कहा जाता है?
➣ पर्वतीय, पहाड़ी, उत्तराखंडी बोली
2. उत्तराखंड की प्रथम राजकीय भाषा कौन-सी है?
➣ हिंदी
3. उत्तराखंड की द्वितीय राजकीय भाषा कौन-सी है?
➣ संस्कृत
4. उत्तराखंड में किन प्रमुख बोलियों का प्रयोग होता है?
➣ गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी, भोटिया
5. उत्तराखंड में बोली-भाषाओं के संरक्षण के लिए किस संस्थान की स्थापना हुई?
➣ उत्तराखंड भाषा संस्थान (2009)
गढ़वाली भाषा
6. गढ़वाली भाषा की उत्पत्ति किस प्राचीन भाषा से हुई?
➣ शौरसेनी अपभ्रंश
7. गढ़वाली भाषा का लेखन किस लिपि में होता है?
➣ देवनागरी लिपि
8. गढ़वाली भाषा में साहित्यिक योगदान देने वाले प्रमुख लेखक कौन हैं?
➣ मोहन उप्रेती, नरेंद्र सिंह नेगी, शैलेश मटियानी
कुमाऊँनी भाषा
9. कुमाऊँनी भाषा का विकास किन भाषाओं से हुआ है?
➣ शौरसेनी अपभ्रंश, प्राकृत, पैंशाची
10. कुमाऊँनी के प्रमुख साहित्यकार कौन हैं?
➣ गुमानी पंत, गंगादत्त उप्रेती, कृष्ण पांडेय
11. कुमाऊँनी भाषा की प्रमुख लोकगाथाएँ कौन-सी हैं?
➣ भालूशाही, रमोल
12. कुमाऊँनी के पहले भाषा वैज्ञानिक कौन हैं?
➣ गंगादत्त उप्रेती
उत्तराखंड का साहित्यिक योगदान
13. उत्तराखंड के प्रथम साहित्यिक समाचार पत्र का नाम क्या है?
➣ अल्मोड़ा अखबार (1871)
14. साहित्यिक कुमाऊँनी के आदि कवि कौन माने जाते हैं?
➣ लोकरन गुमानी पंत
15. उत्तराखंड की लोकसाहित्य की श्रेणियाँ कौन-सी हैं?
➣ लोकगीत, लोककथाएँ, लोकगाथाएँ, लोकनाट्य
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
16. उत्तराखंड की किस बोली का मिश्रण गढ़वाली और कुमाऊँनी से हुआ है?
➣ मझकुमैया बोली
17. उत्तराखंड की किस बोली में भोटिया संस्कृति का प्रभाव है?
➣ जौहारी बोली
18. उत्तराखंड के किन नगरों में उत्तराखंड भाषा संस्थान के संग्रहालय हैं?
➣ श्रीनगर, देहरादून, अल्मोड़ा
19. उत्तराखंड की प्रमुख लोककविता कौन-सी मानी जाती है?
➣ "बरूंश" (सुमित्रानंदन पंत)
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