माँ धारी देवी मंदिर – एक पवित्र स्थान और दंत कथा (Maa Dhari Devi Temple – A Sacred Place and Legend)
माँ धारी देवी मंदिर – एक पवित्र स्थान और दंत कथा
माँ धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर नगर के पास स्थित है, जो अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है और क्षेत्रीय भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय है। माँ धारी देवी की पूजा अर्चना यहां के स्थानीय निवासियों के लिए एक दिव्य अनुभव होती है, और इस मंदिर से जुड़ी हुई पौराणिक कथाएं इस स्थान को और भी रहस्यमय और महत्वपूर्ण बना देती हैं।
माँ धारी देवी फोटो /Maa Dhari Devi photo |
धारी देवी की दंत कथा
माँ धारी देवी का मंदिर एक दिलचस्प और रहस्यमय कथा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि माँ धारी देवी के सात भाई थे, जिनसे वह बहुत प्यार करती थीं। लेकिन उनके भाई अपनी बहन को नापसंद करते थे, जिसका कारण था उनका सांवला रंग और यह मान्यता कि उनकी बहन के ग्रह उनके लिए शुभ नहीं थे।
माँ धारी देवी पुराने मंदिर की फोटो /Photo of Maa Dhari Devi old temple |
जब माँ धारी देवी की उम्र बढ़ी और वह किशोरी बनीं, तो एक दिन उनके पांच भाइयों की अकस्मात मृत्यु हो गई। इससे बचने वाले दो भाइयों को यह विश्वास हो गया कि उनकी बहन के खराब ग्रहों के कारण ही उनकी मृत्यु हुई। इसलिए उन्होंने अपनी बहन को मार डालने की योजना बनाई। एक रात, उन दोनों भाइयों ने और उनके अनुयायियों ने मिलकर माँ धारी देवी की हत्या कर दी और उनका सिर अलकनंदा नदी में बहा दिया।
माँ धारी देवी का कटा हुआ सिर बहते हुए धारी गांव के पास एक चट्टान पर रुक गया। एक दिन, एक व्यक्ति नदी में कपड़े धो रहा था और उसने देखा कि एक कन्या डूब रही है। जैसे ही वह उसके पास गया, उसने उस सिर से आवाज सुनी, "डरो मत, मुझे बचाओ। तुम जहां-जहां पैर रखोगे, वहां सीढ़ियां बन जाएंगी।"
व्यक्ति ने वही किया और सीढ़ियां बनती गईं। जैसे ही उसने सिर को उठाया, उसे यह देख कर डर लगा क्योंकि वह सिर ही था। लेकिन फिर सिर से फिर आवाज आई, "मैं देवी स्वरूप हूं, मुझे एक पवित्र स्थान पर स्थापित कर दो।" वह व्यक्ति भी चमत्कृत हुआ और उसने माँ धारी देवी के सिर को एक पवित्र स्थान पर स्थापित कर दिया।
इसके बाद माँ ने अपनी पूरी कहानी बताई और उनका सिर पत्थर के रूप में परिवर्तित हो गया। वही स्थान अब धारी देवी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। माँ धारी देवी के धड़ का हिस्सा रुद्रप्रयाग के कालीमठ में स्थित है, जहाँ उन्हें मथानी के नाम से पूजा जाता है।
धारी देवी मंदिर की महत्वता
माँ धारी देवी का यह मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां हर साल नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा होती है। देवी काली के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दराज से लोग इस मंदिर में आते हैं।
मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी है, जो और भी रहस्यमय और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
धारी देवी मंदिर का स्थान
माँ धारी देवी का मंदिर श्रीनगर बद्रीनाथ राजमार्ग पर, अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर से लगभग 15 किमी दूर है और रुद्रप्रयाग से 20 किमी दूर स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए 1 किमी का सीमेंट मार्ग है, जो मंदिर तक जाता है।
यह स्थान दिल्ली से लगभग 360 किलोमीटर दूर है और एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में पहचाना जाता है।
धारी देवी मंदिर का इतिहास – Dhari Devi Mandir, Uttarakhand
धारी देवी मंदिर का इतिहास अत्यंत रोचक और पौराणिक है, और यह उत्तराखंड के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा है। इस मंदिर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कथा है, जो इसे अन्य मंदिरों से विशेष बनाती है।
पौराणिक कथा:
कहा जाता है कि यह मंदिर पहले बाढ़ के कारण बह गया था। बाढ़ में धारी देवी की मूर्ति भी पानी में बहते-बहते एक चट्टान से टकराई और वहीं रुक गई। गांव वालों ने उस चट्टान में से एक दिव्य आवाज सुनी, जो उन्हें यह बताने आई कि मूर्ति को फिर से स्थापित किया जाए। इस आवाज ने गांव वालों को प्रेरित किया और उन्होंने उस मूर्ति को एक मंदिर में स्थापित करने का फैसला लिया।
यह मूर्ति द्वापर युग से यहां स्थित मानी जाती है, और इसे उत्तराखंड की रक्षक देवी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर को एक ऐतिहासिक स्थल माना जाता है, क्योंकि यहां स्थित मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है – पहले एक लड़की, फिर महिला और अंत में एक बूढ़ी महिला। इस अद्वितीय घटना को देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।
धारी देवी मंदिर की विशेषताएँ:
- स्थान: यह मंदिर झील के बीच में स्थित है, और यहां की मूर्ति को बहने के बाद फिर से स्थापित किया गया था।
- रूप परिवर्तन: मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है, जो एक रहस्यमय घटना है। पहले यह एक लड़की के रूप में दिखाई देती है, फिर महिला के रूप में और अंत में बूढ़ी महिला के रूप में।
- उत्तराखंड की रक्षक देवी: धारी देवी को उत्तराखंड की रक्षक देवी और चार धामों की संरक्षक देवी माना जाता है। यहां के दर्शन से भक्तों को आशीर्वाद और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
- 108 शक्ति स्थल: धारी देवी का मंदिर 108 शक्ति स्थलों में से एक है, जो इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण बनाता है।
धारी देवी मंदिर की महिमा:
धारी देवी का मंदिर न केवल उत्तराखंड की धार्मिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक स्थल भी है। बाढ़ के बावजूद यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल बना हुआ है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह न केवल एक प्राचीन स्थल है, बल्कि यहाँ की मूर्ति का रूप परिवर्तन और दिव्य संदेश भी भक्तों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
धारी देवी के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उन्हें आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
निष्कर्ष
माँ धारी देवी का मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी पौराणिक कथा और स्थान की ऐतिहासिकता इसे एक विशेष महत्व प्रदान करती है। इस मंदिर के दर्शन से भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है और यह स्थान एक रहस्यमय और अद्भुत अनुभव का साक्षात्कार कराता है।
🙏🙏🌹 जय माँ धारी देवी 🌹🙏🙏
माँ धारी देवी मंदिर – Frequently Asked Questions (FQCs)
माँ धारी देवी मंदिर कहाँ स्थित है?
- माँ धारी देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में स्थित है, जो अलकनंदा नदी के किनारे श्रीनगर-बद्रीनाथ राजमार्ग पर कालीसौड़ में स्थित है।
माँ धारी देवी कौन थीं?
- माँ धारी देवी के सात भाई थे, और उनका एक दिलचस्प इतिहास है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, उनके भाई उनकी स्थिति को लेकर चिंतित थे, और एक दिन उन्होंने माँ को मार डाला। उनका सिर अलकनंदा नदी में बहते हुए धारी गांव के पास एक चट्टान पर पहुंचा, जहां से वह देवी स्वरूप स्थापित हो गईं।
माँ धारी देवी के मंदिर की विशेषता क्या है?
- यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, और कहा जाता है कि माँ धारी देवी की मूर्ति एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है - पहले एक लड़की, फिर महिला, और अंत में एक बूढ़ी महिला।
माँ धारी देवी के दर्शन कब किए जा सकते हैं?
- माँ धारी देवी के दर्शन वर्षभर किए जा सकते हैं, लेकिन नवरात्रि के समय विशेष पूजा आयोजित की जाती है, जब मंदिर में भक्तों की संख्या अधिक होती है।
माँ धारी देवी मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
- यह मंदिर श्रीनगर गढ़वाल से लगभग 15 किमी और रुद्रप्रयाग से 20 किमी दूर स्थित है। यहां तक पहुँचने के लिए 1 किमी लंबा सीमेंट मार्ग है।
क्या मंदिर में कोई विशेष गुफा है?
- हाँ, मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी है, जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
धारी देवी मंदिर के पास कौन-कौन सी महत्वपूर्ण जगहें हैं?
- मंदिर के पास कालीमठ और मथानी के रूप में माँ धारी देवी के धड़ का हिस्सा स्थित है, जो एक अन्य प्रमुख धार्मिक स्थल है।
माँ धारी देवी मंदिर का इतिहास क्या है?
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ धारी देवी के कटा हुआ सिर अलकनंदा नदी में बहते हुए धारी गांव के पास एक चट्टान पर पहुँचा, जहाँ से वह देवी स्वरूप स्थापित हो गईं। यह मंदिर एक रहस्यमय और ऐतिहासिक स्थल है।
माँ धारी देवी का आशीर्वाद किस तरह प्राप्त किया जा सकता है?
- भक्त अपनी श्रद्धा से माँ धारी देवी के दर्शन करते हैं और नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा के आयोजन में भाग लेते हैं, जिससे उन्हें देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माँ धारी देवी का महत्व क्या है?
- माँ धारी देवी को उत्तराखंड की रक्षक देवी माना जाता है, और भक्तों का मानना है कि उनके आशीर्वाद से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
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