माया देवी मंदिर, हरिद्वार (Maya Devi Temple, Haridwar)

माया देवी मंदिर, हरिद्वार

हरिद्वार, उत्तराखंड के पवित्र और ऐतिहासिक शहर में स्थित माया देवी मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के कारण हरिद्वार के मुख्य आकर्षणों में से एक है।


मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा

माया देवी मंदिर का इतिहास 11वीं शताब्दी का है। यह मंदिर देवी माया को समर्पित है, जिन्हें हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव की पत्नी देवी सती ने अपने पिता द्वारा अपमानित किए जाने पर यज्ञ अग्नि में स्वयं को बलिदान कर दिया। उनके जले हुए शरीर को लेकर भगवान शिव ने पूरे ब्रह्मांड में भ्रमण किया। इस दौरान सती के शरीर के विभिन्न अंग धरती के अलग-अलग स्थानों पर गिरे। हरिद्वार में वह स्थान, जहाँ सती की नाभि गिरी थी, वही आज माया देवी मंदिर के रूप में जाना जाता है। इसलिए, इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है।

देवी माया को तीन सिर और चार भुजाओं वाली शक्ति का अवतार माना जाता है। हरिद्वार को पहले "मायापुरी" के नाम से जाना जाता था, जो इस मंदिर की महिमा को दर्शाता है।


सिद्धपीठ त्रिभुज

माया देवी मंदिर हरिद्वार में स्थित तीन प्रमुख सिद्धपीठों में से एक है। अन्य दो मंदिर मनसा देवी और चंडी देवी हैं। इन तीनों मंदिरों का दर्शन करने से तीर्थयात्रा पूरी मानी जाती है। यह मंदिर हरिद्वार में आने वाले पर्यटकों और भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।


मंदिर के प्रमुख आकर्षण

  • देवी माया की मूर्ति: मंदिर में स्थापित देवी माया की प्रतिमा अत्यंत आकर्षक और भक्तिमय है।

  • धार्मिक महत्व: यह मंदिर मनोकामना पूर्ण करने के लिए सिद्धपीठ के रूप में जाना जाता है।

  • पौराणिक आस्था: सती की नाभि के गिरने का स्थान होने के कारण यह शक्तिपीठ अत्यधिक पूजनीय है।


कैसे पहुँचें?

माया देवी मंदिर हर की पौड़ी से मात्र 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हरिद्वार के मुख्य बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।


हरिद्वार के अन्य प्रमुख मंदिर

  1. हर की पौड़ी

  2. चंडी देवी मंदिर

  3. मनसा देवी मंदिर

  4. पारद शिवलिंग

  5. भारत माता मंदिर

  6. दक्ष महादेव मंदिर


निष्कर्ष

माया देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हरिद्वार की सांस्कृतिक और पौराणिक धरोहर का प्रतीक भी है। इस मंदिर का दर्शन हरिद्वार की यात्रा को पूर्णता प्रदान करता है। यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय अनुभव और आध्यात्मिक शांति का केंद्र है।

टिप्पणियाँ