नईमा खान उप्रेती: उत्तराखंड की रंगमंच की शान और लोक संगीत की धरोहर (Naima Khan Upreti: Uttarakhand's theatre glory and heritage of folk music)
नईमा खान उप्रेती | जीवनी | नाटककार | Naima Khan Upreti | Biography | Theater Artist
परिचय: नईमा खान उप्रेती (25 मई 1938 - 15 जून 2018) एक भारतीय थिएटर अभिनेता, गायिका और दूरदर्शन की निर्माता थीं। वह मोहन उप्रेती की पत्नी भी थीं, जिन्हें भारतीय थिएटर संगीत के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर उत्तराखंड के लोक संगीत को संरक्षित और पुनरोद्धारित किया और कुमाऊंनी भाषा में कई लोकप्रिय गीतों का निर्माण किया। "बेदू पाको बारो मासा" जैसे गीतों के लिए वे प्रसिद्ध हैं, जो आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: नईमा खान उप्रेती का जन्म 25 मई 1938 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था। उनका परिवार विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से था—उनके पिता मुस्लिम और माँ ईसाई थीं। नईमा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एडम्स गर्ल्स स्कूल से प्राप्त की और बाद में अल्मोड़ा के रामसे इंटर कॉलेज से पढ़ाई की। 1958 में उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बाद में, उन्होंने 1969 में नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अभिनय में तीन साल का डिप्लोमा प्राप्त किया और फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया, पुणे से भी डिप्लोमा किया।
आजीविका और कार्य: नईमा खान उप्रेती ने अपने करियर की शुरुआत एनएसडी रिपर्टरी कंपनी से की, जहाँ उन्होंने कई थिएटर प्रस्तुतियों में भाग लिया और रंगमंच की प्रमुख हस्तियों के साथ काम किया। उन्होंने ओथेलो, द कॉकेशियन चॉक सर्कल और पोलमपुर जैसे नाटकों में अभिनय किया। वह 1968 में स्थापित पर्वतीय कला केंद्र की सदस्य बनीं और कई प्रसिद्ध प्रस्तुतियों जैसे राजुला मालूशाही, अजुवा बपौल और इंद्र सभा में भाग लिया। 1997 में मोहन उप्रेती की मृत्यु के बाद, नईमा ने पर्वतीय कला केंद्र के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला और उनके कार्यों को आगे बढ़ाया।
लोक संगीत और सांस्कृतिक योगदान: नईमा खान उप्रेती और मोहन उप्रेती ने मिलकर उत्तराखंड के कई लोक गीत गाए। उनका गाया हुआ "बेदू पाको बारो मासा" गीत आज भी बहुत प्रिय है। इसके अलावा, उन्होंने "ओ लाली हौसिया" जैसे लोक गीतों को भी एचएमवी द्वारा रिकॉर्ड कराया। नईमा खान ने मुस्लिम विवाह गीतों का संकलन "नागमती रस्म" नामक पुस्तक में भी किया।
दूरदर्शन में योगदान: नईमा ने दूरदर्शन में प्रोड्यूसर के रूप में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का निर्माण किया, जिनमें कृषि दर्शन और खजुराहो नृत्य महोत्सव की कवरेज शामिल थी। उन्होंने आकाशवाणी के कार्यक्रमों में भी भाग लिया और कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2010 में नटसम्राट थिएटर ग्रुप से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त हुआ।
मृत्यु और विरासत: 15 जून 2018 को नईमा खान उप्रेती का निधन दिल्ली में 80 वर्ष की आयु में हुआ। उन्होंने अपने शरीर को मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया था। उनकी कला, संगीत और रंगमंच के प्रति योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
परिवार: नईमा खान उप्रेती की शादी मोहन उप्रेती से हुई थी, जो भारतीय रंगमंच के एक प्रमुख नाटककार थे।
निष्कर्ष: नईमा खान उप्रेती का जीवन रंगमंच, संगीत और सांस्कृतिक योगदानों से भरा हुआ था। उन्होंने न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया, बल्कि भारतीय रंगमंच और लोक संगीत की दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी कला की छाप आने वाली पीढ़ियों पर रहेगी।
(FQCs)
1. नईमा खान उप्रेती कौन थीं?
नईमा खान उप्रेती एक प्रसिद्ध भारतीय थिएटर अभिनेता, गायिका और दूरदर्शन की निर्माता थीं। उन्हें उत्तराखंड के लोक संगीत के संरक्षण और पुनरोद्धार में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। वे अपने पति मोहन उप्रेती के साथ कुमाऊंनी लोक गीतों के प्रसिद्ध गाने "बेदू पाको बारो मासा" के लिए जानी जाती हैं।
2. नईमा खान उप्रेती का जन्म कहाँ और कब हुआ था?
नईमा खान उप्रेती का जन्म 25 मई 1938 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ था। उनका परिवार विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से था, उनके पिता मुस्लिम थे और माँ ईसाई।
3. नईमा खान उप्रेती ने अपनी शिक्षा कहाँ प्राप्त की थी?
नईमा खान उप्रेती ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एडम्स गर्ल्स स्कूल और रामसे इंटर कॉलेज से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अभिनय में डिप्लोमा किया।
4. नईमा खान उप्रेती ने किस प्रसिद्ध गीत को गाया था?
नईमा खान उप्रेती और उनके पति मोहन उप्रेती ने मिलकर "बेदू पाको बारो मासा" जैसे कुमाऊंनी लोक गीत गाए, जो आज भी उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
5. नईमा खान उप्रेती ने अपनी पेशेवर जिंदगी में कौन-सी प्रमुख प्रस्तुतियाँ कीं?
नईमा खान उप्रेती ने एनएसडी रिपर्टरी कंपनी में कई नाटकों में अभिनय किया, जैसे "ओथेलो", "द कॉकेशियन चॉक सर्कल" और "स्कंदगुप्त"। इसके अलावा, उन्होंने पर्वतीय कला केंद्र से जुड़कर कई नाट्य प्रस्तुतियों में भी भाग लिया।
6. क्या नईमा खान उप्रेती ने किसी पुस्तक का प्रकाशन किया था?
जी हां, नईमा खान उप्रेती ने मुस्लिम विवाह गीतों का एक संकलन "नागमती रस्म" नामक पुस्तक में प्रकाशित किया था।
7. नईमा खान उप्रेती ने दूरदर्शन में किस प्रकार के कार्य किए थे?
नईमा खान उप्रेती ने दूरदर्शन में निर्माता के रूप में कार्य किया और कृषि दर्शन, खजुराहो नृत्य महोत्सव जैसे कार्यक्रमों का निर्माण किया। इसके अलावा, उन्होंने कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दीं।
8. नईमा खान उप्रेती के परिवार के बारे में जानकारी दें?
नईमा खान उप्रेती की शादी मोहन उप्रेती से हुई थी, जो भारतीय रंगमंच के एक प्रमुख व्यक्ति थे। उनका एक सांस्कृतिक और कला से गहरा जुड़ाव था।
9. नईमा खान उप्रेती का निधन कब हुआ?
नईमा खान उप्रेती का निधन 15 जून 2018 को दिल्ली में हुआ। वे 80 वर्ष की आयु में इस दुनिया से रुखसत हो गईं, लेकिन उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
10. नईमा खान उप्रेती को कौन से पुरस्कार मिले थे?
नईमा खान उप्रेती को 2010 में नटसम्राट थिएटर ग्रुप से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त हुआ था, जो उनके कला और रंगमंच में योगदान को सम्मानित करने के रूप में दिया गया।
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