नैन नाथ रावल: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक की जीवनी और गीत (Nain Nath Rawal: Biography and Songs of the Famous Folk Singer of Uttarakhand)
नैन नाथ रावल: कुमाऊं की लोक संस्कृति और संगीत के प्रतीक
नैन सिंह रावल | जीवनी | न्योली | उत्तराखंड
परिचय: नैन नाथ रावल, उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक, जिनकी आवाज़ और गीतों ने कुमाऊं के लोक संगीत को एक नई पहचान दी। उनके गीतों में कुमाऊं के पर्वतीय जीवन की सरलता, प्रकृति की सुंदरता और प्रेम की गहराई झलकती है। नैन सिंह रावल का संगीत न केवल कुमाऊं बल्कि सम्पूर्ण उत्तराखंड में प्रिय है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: नैन नाथ रावल का जन्म उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में हुआ था। उनका संगीत से प्रेम बचपन से ही था। उनके आस-पास के लोक संगीत और प्रसिद्ध लोकगायक मोहन सिंह रीठागड़ी से प्रेरणा लेकर उन्होंने गायन में कदम रखा। कक्षा 6 तक की पढ़ाई उन्होंने दन्या में की और फिर दिल्ली से कक्षा 7 और 8 की पढ़ाई की। इसके बाद कुछ सालों तक वह अस्थायी रूप से काम करते रहे, और 1970 में बैंक में स्थायी नौकरी मिल गई।
लेकिन, 1971 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान नैन नाथ रावल ने अपने जीवन में एक बड़ा मोड़ लिया और बैंक की नौकरी छोड़कर गायकी को ही अपना जीवन बना लिया। इसके बाद उन्होंने अपनी गायकी की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
गायन यात्रा और उपलब्धियां
नैन नाथ रावल की गायन यात्रा 1970 के दशक में शुरू हुई, जब उन्होंने आकाशवाणी के लिए पहला गीत रिकॉर्ड किया। इसके बाद उन्होंने लगभग 124 गीतों की रिकॉर्डिंग की और अपने गायन की विशेष पहचान बनाई। नैन नाथ रावल के गीतों में कुमाऊंनी लोक संगीत की समृद्ध परंपरा को जीवित रखा गया। उनका प्रसिद्ध गीत "हिमुली" आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।
उनकी गायकी में कुमाऊं की प्रकृति, संस्कृति और जीवनशैली की गहरी छाप है। उनके गीत न केवल लोक संगीत के श्रोताओं के दिलों में बसे हैं, बल्कि इन गीतों के माध्यम से उन्होंने उत्तराखंड की पहाड़ी संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया।
प्रमुख गीतों की सूची:
- हिमुली
- सोर बै सोर्याला
- कुमू बै कुमाया ऐरौ
- तुमला साड़ी की गुथ्री
- ओ हिमुली
- तबिया मांगे का...
- कुमाऊं की साज
इन गीतों के माध्यम से नैन नाथ रावल ने कुमाऊं के जीवन, पर्वतीय परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। उनके गीतों का संगीत, बोल और भावना अब भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं।
संगीत यात्रा: नैन नाथ रावल की गायकी की शुरुआत लोकगीतों से हुई। उन्होंने 124 से अधिक गीतों की रिकॉर्डिंग की है, जिनमें से कई गीत आकाशवाणी से भी प्रसारित हुए। उनकी पहली रिकॉर्डिंग 'हीरदा कुमाऊनी' के लिए की गई थी। इसके अलावा, नैन नाथ रावल ने कुमाऊंनी लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत किया।
प्रसिद्ध गीत: नैन नाथ रावल का प्रसिद्ध गीत 'हिमुली' कुमाऊं के लोकगीतों का प्रतिनिधित्व करता है। यह गीत पर्वतों और हिमालय की शिखरों से जुड़ी मानवीय भावनाओं को व्यक्त करता है। गीत की पंक्तियाँ:
ओ हिमुली, पड़ो ह्यों हिमाला डाना, ठंडो लागोलो क्ये? वारा चांछे, पारा, चांछे दिल लागोलो क्ये?
इस गीत में शीतलता और विरह की भावना है, जो कुमाऊं की पहाड़ी जीवनशैली को दर्शाती है। यह गीत न केवल उत्तराखंड के लोक संगीत की महत्ता को प्रदर्शित करता है, बल्कि नैन नाथ रावल के संगीत में गहरी सटीकता और भावनात्मक गहराई को भी दिखाता है।
नैन नाथ रावल का योगदान: नैन नाथ रावल ने उत्तराखंड के लोक संगीत को अपनी आवाज़ से पहचान दिलाई। उनके गीतों में कुमाऊं की संस्कृति, प्रकृति और जीवन की सादगी का अद्भुत मिश्रण है। नैन नाथ रावल का संगीत उत्तराखंड के लोग पूरी श्रद्धा और प्रेम से सुनते हैं। उनके द्वारा गाए गए गीतों में पहाड़ी जीवन के संघर्ष, प्रेम, विरह और सामाजिक मुद्दों का प्रभावी चित्रण मिलता है।
उनकी गायकी का प्रभाव न केवल उत्तराखंड में बल्कि पूरे भारत में फैला हुआ है। नैन नाथ रावल की संगीत यात्रा हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगी।
निष्कर्ष: नैन नाथ रावल उत्तराखंड के एक अमूल्य रत्न हैं, जिन्होंने लोक संगीत के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजकर रखा है। उनका संगीत न केवल कुमाऊं के लोग, बल्कि देश-विदेश में भी सुना जाता है। उनकी गायकी, उत्तराखंड की पहचान और संस्कृति को एक नया रूप देती है।
Frequently Asked Questions (FQCs) - नैन सिंह रावल | जीवनी | न्योली | उत्तराखंड
नैन नाथ रावल कौन हैं?
- नैन नाथ रावल उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक हैं, जिन्होंने कुमाऊंनी लोक संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके गीतों में कुमाऊं की संस्कृति, प्रकृति और जीवनशैली की झलक मिलती है।
नैन नाथ रावल ने गायन की शुरुआत कब और कैसे की?
- नैन नाथ रावल ने गायन की शुरुआत अपने बचपन में की। उन्हें गायन की प्रेरणा अपने आस-पास के लोक संगीत और प्रसिद्ध लोकगायक मोहन सिंह रीठागड़ी से मिली।
नैन नाथ रावल का पहला गीत कौन सा था?
- नैन नाथ रावल का पहला गीत 'हीरदा कुमाऊनी' था, जिसकी रिकॉर्डिंग उन्होंने आकाशवाणी के लिए की थी।
नैन नाथ रावल के सबसे प्रसिद्ध गीत कौन से हैं?
- नैन नाथ रावल का प्रसिद्ध गीत 'हिमुली' है, जो कुमाऊं के लोकगीतों का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा उनके अन्य गीत भी बहुत लोकप्रिय हैं।
नैन नाथ रावल ने कितने गीतों की रिकॉर्डिंग की है?
- नैन नाथ रावल ने लगभग 124 से अधिक गीतों की रिकॉर्डिंग की है, जिनमें से कई आकाशवाणी से भी प्रसारित हुए हैं।
नैन नाथ रावल की शिक्षा के बारे में क्या जानकारी है?
- नैन नाथ रावल ने कक्षा 6 तक की पढ़ाई दन्या में की थी, और फिर दिल्ली से कक्षा 7 और 8 की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कुछ साल बैंक में काम किया, लेकिन बाद में गायकी को अपना करियर बना लिया।
नैन नाथ रावल ने गायन को अपना पेशा कब चुना?
- नैन नाथ रावल ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय बैंक की नौकरी छोड़ दी और गायकी को अपना जीवन बना लिया।
नैन नाथ रावल के गीतों में कौन से प्रमुख तत्व होते हैं?
- नैन नाथ रावल के गीतों में कुमाऊं की पर्वतीय जीवनशैली, प्रकृति की सुंदरता, प्रेम और विरह की भावना को प्रमुख रूप से दर्शाया जाता है।
नैन नाथ रावल का संगीत उत्तराखंड और भारत में कैसे सराहा गया?
- नैन नाथ रावल का संगीत न केवल उत्तराखंड बल्कि सम्पूर्ण भारत में लोकप्रिय है। उनके गीत लोक संगीत के श्रोताओं के दिलों में गहरे बसे हुए हैं।
'हिमुली' गीत का क्या अर्थ है?
- 'हिमुली' गीत कुमाऊं की पहाड़ी जीवनशैली और हिमालय की शिखरों से जुड़ी मानवीय भावनाओं को व्यक्त करता है। गीत में एक पर्वत के शिखर पर बर्फ के गिरने और प्रकृति की सुंदरता के माध्यम से प्रेम और विरह की भावना व्यक्त की गई है।
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