उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं (Natural Disasters in Uttarakhand)

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं

➣ उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदाओं का मुख्य कारण है विषम भौगोलिक संरचना
➣ उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदाओं के कारणों को दो भागों में विभाजित किया गया है: प्राकृतिक एवं मानवीय

प्राकृतिक कारण
➣ उत्तराखण्ड में आने वाली अधिकांश आपदाओं का कारण प्राकृतिक है
➣ प्राकृतिक आपदाओं के उदाहरण हैं: अतिवृष्टि, बाढ़, वनाग्नि, भूकम्प, और भू-स्खलन
➣ अचानक बादलों का फटना या अत्यधिक वर्षा को अतिवृष्टि कहा जाता है
➣ भूस्खलन आने का मुख्य कारण अतिवृष्टि है
➣ उत्तराखण्ड में बाढ़ का प्रमुख कारण है पहाड़ी क्षेत्र की अधिक ढाल वाली नदियाँ
➣ भू-स्खलन के कारण मार्ग अवरुद्ध हो जाने से किन मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ की सम्भावना बढ़ जाती है? किच्छा, सितारगंज, एवं रुद्रपुर
➣ वनों में प्राकृतिक या मानवीय कारण से लगने वाली आग को वनाग्नि कहते हैं
➣ उत्तराखण्ड का लगभग 45% भू-भाग वनों से आच्छादित है
➣ भारत के 5 भूकम्पीय जोन में से 2 जोन उत्तराखण्ड में हैं

भूकम्पीय संवेदनशील क्षेत्र
➣ भूकम्प संवेदनशील जोन-4 के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिले आते हैं:

  • देहरादून
  • टिहरी
  • उत्तरकाशी
  • ऊधमसिंह नगर
  • नैनीताल

➣ उत्तराखण्ड के चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ तथा चम्पावत जिले जोन 5 में आते हैं
➣ वह रेखा जिसमें भूकम्प आने की सम्भावना प्रबल होती है, उसे केन्द्रीय भ्रंश रेखा कहते हैं
➣ वृहत हिमालय और मध्य हिमालय के बीच स्थित रेखा को केन्द्रीय भ्रंश रेखा कहा जाता है
➣ केन्द्रीय भ्रंश रेखा उत्तराखण्ड के निम्नलिखित स्थानों से गुजरती है:

  • चमोली
  • गोपेश्वर
  • देवलघाट
  • पीपलकोरी
  • गुलाबगोटी
  • गंगा घाटी

भूकम्पमापी केन्द्र
➣ उत्तराखण्ड में तीन भूकम्पमापी केन्द्र हैं:

  • देहरादून
  • टिहरी
  • गरुड़गंगा (चमोली)

भू-स्खलन और प्राकृतिक आपदाएं
➣ उत्तराखण्ड में सबसे विनाशकारी भू-स्खलन वर्ष 2013 में हुआ था
➣ वर्ष 2013 में आये भू-स्खलन से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र था रुद्रप्रयाग
➣ कलियासौड, जो श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के मध्य स्थित है, उत्तराखण्ड का प्रमुख भू-स्खलन क्षेत्र है

आपदा से निपटने के प्रयास
➣ वर्ष 2013 में आई सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा से बचाव हेतु "ऑपरेशन सूर्य होप" चलाया गया था
➣ इस ऑपरेशन में भारत की थल सेना, वायु सेना, इण्डो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस, नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स, और सीमा सड़क संगठन ने हिस्सा लिया था

मानवीय कारण

➣ उत्तराखण्ड में मानवकृत आपदाओं के कारण हैं शहरीकरण का प्रसार, जलीय तन्त्र बदलाव, बाँध निर्माण, अधिक खनन और पर्यटन
➣ वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखण्ड में शहरी आबादी की संख्या लगभग 30% है
➣ उत्तराखण्ड में बढ़ते शहरीकरण के कारण पहाड़ों को काटकर सड़कें बनाई जा रही हैं और वृक्षों को काटकर आवास बनाए जा रहे हैं, जो आपदाओं का कारण बनते हैं
➣ उत्तराखण्ड में मानवीय गतिविधियों के कारण लगभग 45% प्राकृतिक झरने सूख गए हैं
➣ प्राकृतिक झरनों के सूखने से भूस्खलन का खतरा 15 से 17% तक बढ़ गया है
➣ उत्तराखण्ड की गंगा, मन्दाकिनी, भागीरथी और अलकनन्दा नदियों पर लगभग 505 से अधिक बाँध परियोजनाएँ और 45 से अधिक पनबिजली योजनाएँ चल रही हैं
➣ मानवकृत आपदा का एक प्रमुख कारण अत्यधिक खनन है
➣ उत्तराखण्ड में विधि के अनुसार पत्थर उठाने की अनुमति चुगान या हाथ से ही है
➣ उत्तराखण्ड में मशीनों द्वारा अवैध एवं अत्यधिक खनन से भू-स्खलन का खतरा बढ़ता है
➣ उत्तराखण्ड में पर्यटकों के लिए अवैध रूप से भवनों का निर्माण पारिस्थितिकीय तन्त्र को नुकसान पहुँचाता है

उत्तराखण्ड में आपदा प्रबन्धन

➣ उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए "आपदा प्रबन्धन मन्त्रालय" का गठन किया गया है
➣ राज्य स्तर पर आपदा प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण केन्द्र की स्थापना की गई है
➣ राज्य स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं से बचाव हेतु स्थापित संगठन हैं:

  • आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण
  • आपदा प्रतिक्रिया निधि
  • आपदा न्यूनीकरण निधि
    ➣ उत्तराखण्ड में आपदा प्रबन्धन के तहत् लोगों को जागरूक करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा रहे हैं:
  • फिल्म: "डाण्डी-काँठी की गोद में"
  • पत्रिका: "आपदा प्रबन्धन"
    ➣ उत्तराखण्ड में आपदा से प्रभावित लोगों की सहायता हेतु राज्य स्तर पर टोल फ्री नम्बर 1070 जारी किया गया है
    ➣ उत्तराखण्ड में जनपद स्तर पर टोल फ्री नम्बर 1077 जारी किया गया है
    ➣ उत्तराखण्ड में आपदा प्रबन्धन के लिए प्रत्येक जिलाधिकारी को ₹50 लाख धनराशि उपलब्ध कराई गई है
    ➣ उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के गठन को 21 जुलाई, 2013 को मंजूरी दी थी
    ➣ केन्द्र सरकार ने उत्तराखण्ड को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की एक बटालियन स्थायी रूप से आवण्टित की थी, जो 9 अगस्त, 2018 को की गई थी
    ➣ जुलाई, 2013 में 7 सदस्यीय आपदा प्रबन्धन समिति का गठन किया गया था
    ➣ भूकम्प से बचाव हेतु उत्तराखण्ड में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने हेतु अनुबन्धन किया गया है: आई आई टी रूड़की से
    ➣ उत्तराखण्ड के सरकारी भवनों को भूकम्परोधी बनाने हेतु रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग की जा रही है

FAQs (Frequently Asked Questions) 

1. उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का मुख्य कारण क्या है?

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का मुख्य कारण है राज्य की विषम भौगोलिक संरचना, जिसमें पहाड़, घाटियाँ और नदियाँ शामिल हैं।

2. उत्तराखंड में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रमुख कारण क्या हैं?

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के कारणों को दो भागों में विभाजित किया गया है:

  • प्राकृतिक कारण: जैसे अतिवृष्टि, बाढ़, वनाग्नि, भूकंप, और भू-स्खलन।
  • मानवीय कारण: जैसे शहरीकरण, खनन, बाँध निर्माण, और अधिक पर्यटन।

3. भूस्खलन के कारण उत्तराखंड के किस क्षेत्र में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है?

भू-स्खलन के कारण किच्छा, सितारगंज, और रुद्रपुर जैसे मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है।

4. उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सबसे प्रभावित क्षेत्रों में कौन से हैं?

उत्तराखंड में 2013 में हुए भू-स्खलन से रुद्रप्रयाग सबसे अधिक प्रभावित हुआ था।

5. उत्तराखंड में कितनी प्रतिशत भूमि वनाच्छादित है?

उत्तराखंड का लगभग 45% भू-भाग वनों से आच्छादित है।

6. उत्तराखंड में भूकंप से संबंधित कौन से जिले संवेदनशील हैं?

उत्तराखंड के देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, ऊधमसिंह नगर, और नैनीताल जिले भूकंप संवेदनशील जोन-4 में आते हैं। चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, और चम्पावत जिले जोन-5 में आते हैं।

7. उत्तराखंड में सबसे विनाशकारी भू-स्खलन कब हुआ था?

उत्तराखंड में सबसे विनाशकारी भू-स्खलन वर्ष 2013 में हुआ था, जो रुद्रप्रयाग क्षेत्र में अत्यधिक तबाही का कारण बना।

8. मानवीय कारणों से प्राकृतिक आपदाओं को कैसे बढ़ावा मिलता है?

शहरीकरण, अत्यधिक खनन, बाँध निर्माण, और पर्यटन की अधिकता जैसे मानवीय कारणों से प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ता है।

9. उत्तराखंड में मानवीय गतिविधियों के कारण कितने प्रतिशत प्राकृतिक झरने सूख गए हैं?

उत्तराखंड में मानवीय गतिविधियों के कारण लगभग 45% प्राकृतिक झरने सूख गए हैं, जिससे भू-स्खलन का खतरा बढ़ा है।

10. उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के तहत कौन से कदम उठाए गए हैं?

उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के लिए "आपदा प्रबंधन मंत्रालय" और "आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केन्द्र" की स्थापना की गई है। इसके अलावा, राज्य स्तर पर आपदा प्रतिक्रिया निधि और आपदा न्यूनीकरण निधि भी उपलब्ध हैं।

11. उत्तराखंड में आपदा से निपटने के लिए कौन सा टोल फ्री नंबर जारी किया गया है?

उत्तराखंड में आपदा से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए राज्य स्तर पर टोल फ्री नंबर 1070 और जनपद स्तर पर टोल फ्री नंबर 1077 जारी किया गया है।

12. उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के लिए कौन सा प्रयास किया जा रहा है?

उत्तराखंड में लोगों को आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए फिल्म "डाण्डी-काँठी की गोद में" और पत्रिका "आपदा प्रबंधन" का प्रचार किया जा रहा है।

13. उत्तराखंड में भूकंप से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

उत्तराखंड में भूकंप से बचाव के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम की स्थापना की जा रही है, और सरकारी भवनों को भूकंपरोधी बनाने के लिए रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग की जा रही है।

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