गढ़वाल का परमार राजवंश (Parmar dynasty of Garhwal)

गढ़वाल का परमार राजवंश

गढ़वाल का परमार राजवंश उत्तराखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस वंश के संस्थापक राजा कनकपाल थे, जिन्होंने सन् 612 ई. में चाँदपुर गढ़ (चमोली) में इस वंश की स्थापना की। राजा कनकपाल को पंवार वंश का मूल पुरुष माना जाता है, क्योंकि वह गुजरात से यहाँ आकर बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थलों के दर्शन करने आए थे और बाद में चाँदपुर गढ़ी के राजा भानुप्रताप के साथ विवाह के बाद राजा बने।

परमार वंश की शुरुआत

राजा कनकपाल ने परमार वंश की स्थापना 888 ई. में चाँदपुर गढ़ में की। राजा कनकपाल के पश्चात् उनके वंश में कई महान शासक हुए, जिनमें से अजयपाल सबसे प्रमुख थे। अजयपाल ने गढ़वाल के 52 गढ़पतियों को हराकर एक सुसंगठित राज्य स्थापित किया और गढ़वाल का नामकरण किया। उनके द्वारा गढ़वाल की सीमा का निर्धारण भी किया गया।

प्रमुख शासक और उनकी उपलब्धियाँ

राजा अजयपाल के बाद, परमार वंश के अन्य प्रमुख शासकों ने भी गढ़वाल को समृद्ध किया। उनमें से कुछ प्रमुख शासकों के नाम और उनके योगदान इस प्रकार हैं:

  • अजयपाल (37वां राजा): अजयपाल ने गढ़वाल को एक मजबूत राज्य के रूप में स्थापित किया। वह एक महान पराक्रमी और शक्तिशाली शासक थे।
  • बलभद्रशाह: इन्हें बहलोल लोदी द्वारा 'शाह' की उपाधि दी गई।
  • सुदर्शनशाह: इन्हें 'सूरत कवि' के नाम से जाना जाता है और इनकी प्रमुख रचना 'सभासार' है।
  • पृथ्वीपतिशाह: इन्हें दाराशिकोह के पुत्र सुलेमान शिकोह का संरक्षण मिला।
  • मानशाह और महीपतिशाह: इन शासकों के समय में तिब्बती आक्रमण हुआ था।
  • महारानी कर्णावती: इनका नाम 'नाक्कटी रानी' के रूप में प्रसिद्ध है और इन्होंने राजपुर नहर का निर्माण करवाया था।
  • मानवेन्द्र शाह: यह परमार वंश के अंतिम शासक थे, और 1946 से 1949 तक शासन किया।

गढ़वाल में परमार वंश का योगदान

  • राजपुर नहर: महारानी कर्णावती द्वारा निर्माण करवाया गया। यह नहर देहरादून जिले में स्थित है।
  • किला निर्माण: गढ़वाल में परमार राजवंश ने कई किलों का निर्माण किया, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा मजबूत हुई।
  • संस्कृत साहित्य: परमार राजवंश के शासकों ने संस्कृत साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा दिया। राजा सुदर्शनशाह द्वारा रचित 'सभासार' और राजा कनकपाल द्वारा स्थापित परमार वंश की धरोहर का योगदान आज भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

गढ़वाल का नामकरण

राजा अजयपाल के समय में गढ़वाल के क्षेत्र में 52 गढ़ थे, जिनका वे शासक थे। अजयपाल ने इन सभी गढ़ों को एक संगठित रूप में लाकर गढ़वाल राज्य की नींव रखी और इस क्षेत्र का नाम 'गढ़वाल' रखा।

परमार राजवंश का अंत

14 जनवरी 1949 को गढ़वाल की टिहरी रियासत का भारत गणराज्य में विलय हो गया, जिसके साथ परमार राजवंश का अंत हुआ। इसके बाद गढ़वाल क्षेत्र भारतीय गणराज्य का हिस्सा बन गया।

प्रसिद्ध शासक

  • अजयपाल: गढ़वाल के सुसंगठित राज्य का निर्माण।
  • महारानी कर्णावती: राजपुर नहर का निर्माण और गढ़वाल की सुरक्षा।
  • मानवेन्द्र शाह: परमार वंश के अंतिम शासक।

गढ़वाल के परमार राजवंश की महत्वपूर्ण जानकारी

  • परमार वंश की स्थापना 888 ई. में राजा कनकपाल ने की थी।
  • राजा अजयपाल ने गढ़वाल का नामकरण और सीमा निर्धारण किया।
  • गढ़वाल परमार वंश का अंत 1949 में हुआ।

समापन

गढ़वाल का परमार राजवंश उत्तराखंड के इतिहास में अपनी ऐतिहासिक धरोहर, साहित्य और सांस्कृतिक योगदान के लिए जाना जाता है। इस वंश के शासकों ने गढ़वाल को एक सशक्त राज्य के रूप में स्थापित किया और क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज भी गढ़वाल का इतिहास और इसकी सांस्कृतिक धरोहर हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।

गढ़वाल का परमार राजवंश - FQCs

1. गढ़वाल का परमार राजवंश के संस्थापक कौन थे?

उत्तर: गढ़वाल का परमार राजवंश के संस्थापक राजा कनकपाल थे। इन्होंने 888 ई. में चाँदपुर गढ़ (चमोली) में इस वंश की स्थापना की।

2. राजा कनकपाल ने गढ़वाल के किस स्थान में परमार वंश की स्थापना की थी?

उत्तर: राजा कनकपाल ने चाँदपुर गढ़ (चमोली) में परमार वंश की स्थापना की थी।

3. राजा अजयपाल ने गढ़वाल का नामकरण कब और क्यों किया?

उत्तर: राजा अजयपाल ने गढ़वाल का नामकरण किया और गढ़वाल की सीमा का निर्धारण भी किया। उन्होंने 52 गढ़ों को एक संगठित राज्य में परिवर्तित किया।

4. परमार राजवंश के सबसे प्रसिद्ध शासक कौन थे?

उत्तर: परमार राजवंश के सबसे प्रसिद्ध शासक राजा अजयपाल थे, जिन्होंने गढ़वाल को एक सशक्त राज्य के रूप में स्थापित किया।

5. महारानी कर्णावती को 'नाक्कटी रानी' क्यों कहा जाता था?

उत्तर: महारानी कर्णावती को 'नाक्कटी रानी' कहा जाता था क्योंकि वे गढ़वाल की संरक्षक रानी थीं और उनकी शासन शैली को लोग नाक्कटी (साहसी) मानते थे। उन्होंने राजपुर नहर का निर्माण भी करवाया।

6. परमार राजवंश का अंतिम शासक कौन था?

उत्तर: परमार राजवंश का अंतिम शासक मानवेन्द्र शाह था, जो 1946 से 1949 तक शासन करता था।

7. परमार राजवंश के शासकों ने गढ़वाल क्षेत्र में किस तरह के निर्माण कार्य किए थे?

उत्तर: परमार राजवंश के शासकों ने गढ़वाल में कई किलों का निर्माण किया और गढ़वाल की सुरक्षा को मजबूत किया। इसके अलावा, महारानी कर्णावती ने राजपुर नहर का निर्माण करवाया।

8. गढ़वाल के परमार राजवंश का विलय कब और कैसे हुआ?

उत्तर: गढ़वाल के परमार राजवंश का विलय 14 जनवरी 1949 को भारत गणराज्य में हुआ।

9. परमार राजवंश का कौन सा प्रसिद्ध साहित्यिक योगदान था?

उत्तर: परमार राजवंश के शासक राजा सुदर्शनशाह ने 'सभासार' नामक संस्कृत साहित्य की रचना की, जिसे 'सूरत कवि' के नाम से भी जाना जाता है।

10. राजा अजयपाल ने गढ़वाल की सीमा का निर्धारण कब किया था?

उत्तर: राजा अजयपाल ने गढ़वाल की सीमा का निर्धारण किया था और उन्होंने गढ़वाल को एक सुसंगठित राज्य के रूप में स्थापित किया।

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