पाषाण देवी मंदिर, नैनीताल – एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल (Pashan Devi Temple, Nainital – A Historical and Religious Site)

पाषाण देवी मंदिर, नैनीताल – एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल

नैनीताल, उत्तराखंड में स्थित पाषाण देवी मंदिर, धार्मिक महत्त्व और ऐतिहासिक गाथाओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर नैनी झील के किनारे मॉल रोड से दूसरी तरफ ठंडी सड़क पर स्थित है। यहाँ माता दुर्गा की पूजा होती है और यह नैनीताल के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है, खासकर नवरात्रि के दौरान जब भक्तों की संख्या अधिक होती है।

पाषाण देवी मंदिर का इतिहास

पाषाण देवी मंदिर, जिसे नव दुर्गा या देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है, अपने आप में एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। मंदिर का प्रमुख आकर्षण यह है कि यह पूरी तरह से पत्थर से बना है और देवी दुर्गा की पूजा भी पत्थर रूप में की जाती है। मंदिर की स्थापना के समय से ही यहाँ अखंड ज्योति जलती आ रही है, जो इसकी धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ाती है।

मंदिर में भक्त देवी दुर्गा को जल, सिंदूर और वस्त्र अर्पित करते हैं, जो नैनी झील में गिर जाते हैं। इसके अलावा, पाषाण देवी की पूजा विशेष रूप से नव दुर्गा के रूप में की जाती है, जो भारतीय धार्मिक परंपराओं में अत्यधिक मान्यता प्राप्त है। यह मंदिर न केवल नैनीताल के स्थानीय निवासियों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है।

पाषाण देवी मंदिर की विशेषताएँ

  • मंदिर का निर्माण: पाषाण देवी मंदिर पूरी तरह से पत्थर से निर्मित है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग पहचान देता है। यह स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व का बेहतरीन उदाहरण है।
  • अखंड ज्योति: मंदिर में हमेशा अखंड ज्योति जलती रहती है, जो देवी दुर्गा के प्रति भक्तों की श्रद्धा और विश्वास को दर्शाती है।
  • पूजा विधि: यहाँ भक्त देवी को जल चढ़ाते हैं, जो देवी के चरणों को छूने के बाद नैनी झील में चला जाता है। भक्तगण देवी को सिंदूर और वस्त्र भी अर्पित करते हैं।
  • नव दुर्गा पूजा: पाषाण देवी मंदिर में नव दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का प्रतीक मानी जाती है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय

पाषाण देवी मंदिर में दर्शन करने के लिए साल का कोई भी समय उपयुक्त है। हालांकि, गर्मियों में मौसम सुहाना रहता है, और यह घूमने के लिए आदर्श समय होता है। नवरात्रि के दौरान, विशेष रूप से अक्टूबर के महीनों में मंदिर में भक्तों की संख्या में वृद्धि होती है।

पाषाण देवी मंदिर तक कैसे पहुंचे

पाषाण देवी मंदिर नैनीताल के मॉल रोड के पास स्थित है। आप मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं:

  • सड़क मार्ग: अगर आप नैनीताल के मॉल रोड पर हैं, तो आप मंदिर तक पैदल भी जा सकते हैं, जो केवल 1.5 किमी दूर है। इसके अलावा, आप साइकिल रिक्शा का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • रेलवे: नैनीताल का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो मंदिर से लगभग 32 किमी दूर स्थित है। यहां से आप टैक्सी या बस लेकर आसानी से मंदिर पहुँच सकते हैं।
  • वायुमार्ग: अगर आप हवाई यात्रा से आ रहे हैं, तो पंतनगर हवाई अड्डा नजदीक है, जो मंदिर से लगभग 69 किमी दूर है। वहाँ से आप टैक्सी या बस के माध्यम से मंदिर पहुंच सकते हैं।

अन्य प्रसिद्ध मंदिर

नैनीताल में पाषाण देवी मंदिर के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण मंदिर भी हैं, जैसे:

  1. नैना देवी मंदिर: यह मंदिर नैनीताल के प्रमुख मंदिरों में से एक है और यहाँ देवी नैनी की पूजा की जाती है। यह स्थान धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  2. हनुमान गढ़ी मंदिर: यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और यहाँ से नैनीताल की घाटी का खूबसूरत दृश्य देखा जा सकता है।
  3. मुक्तेश्वर मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और समुद्र तल से 7585 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से आप नैनीताल के अद्भुत दृश्य का आनंद ले सकते हैं।

पाषाण देवी मंदिर प्रवेश शुल्क और समय

पाषाण देवी मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक खुला रहता है, और आप किसी भी दिन यहाँ दर्शन कर सकते हैं।


निष्कर्ष

पाषाण देवी मंदिर, नैनीताल का एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जहाँ भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है। इस मंदिर का पत्थर से बना होना और यहाँ की पूजा विधियाँ इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती हैं। यदि आप नैनीताल की यात्रा कर रहे हैं, तो इस मंदिर का दर्शन आपके यात्रा अनुभव को और भी खास बना सकता है।

Frequently Asked Questions (FQCs) about Pashan Devi Temple, Nainital

1. पाषाण देवी मंदिर कहां स्थित है?

  • पाषाण देवी मंदिर नैनीताल के मॉल रोड के दूसरी तरफ ठंडी सड़क पर स्थित है, जो नैनी झील के किनारे स्थित है।

2. पाषाण देवी मंदिर का इतिहास क्या है?

  • पाषाण देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसे नव दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से पत्थर से बना है, और देवी दुर्गा की पूजा भी पत्थर रूप में की जाती है।

3. पाषाण देवी मंदिर में किसकी पूजा की जाती है?

  • इस मंदिर में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है, विशेष रूप से नव दुर्गा या देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसे पत्थरबाजों की देवी भी कहा जाता है।

4. क्या पाषाण देवी मंदिर में प्रवेश शुल्क है?

  • नहीं, पाषाण देवी मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। भक्त निशुल्क मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।

5. पाषाण देवी मंदिर का सबसे अच्छा समय कब है?

  • पाषाण देवी मंदिर में दर्शन के लिए साल का कोई भी समय उपयुक्त है। गर्मियों में मौसम सुहाना रहता है और नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से मंदिर में भक्तों की संख्या अधिक होती है।

6. पाषाण देवी मंदिर तक कैसे पहुंचे?

  • सड़क मार्ग: मॉल रोड से केवल 1.5 किमी दूर स्थित है, और आप पैदल या साइकिल रिक्शा से मंदिर तक जा सकते हैं।
  • रेलवे: काठगोदाम रेलवे स्टेशन से लगभग 32 किमी दूर है, जहां से टैक्सी या बस से मंदिर पहुंच सकते हैं।
  • वायुमार्ग: पंतनगर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 69 किमी दूर स्थित है। वहाँ से टैक्सी लेकर मंदिर पहुँच सकते हैं।

7. पाषाण देवी मंदिर में पूजा कैसे की जाती है?

  • यहाँ देवी दुर्गा को जल, सिंदूर और वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। भक्त देवी के चरणों को छूने के बाद जल नैनी झील में बहा देते हैं।

8. पाषाण देवी मंदिर का मुख्य आकर्षण क्या है?

  • मंदिर का मुख्य आकर्षण यह है कि यह पूरी तरह से पत्थर से बना है, और यहाँ की पूजा विधियाँ विशेष रूप से नव दुर्गा के रूप में की जाती हैं। मंदिर में अखंड ज्योति जलती रहती है, जो इसकी धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ाती है।

9. क्या पाषाण देवी मंदिर में दर्शन के लिए विशेष तिथियाँ हैं?

  • पाषाण देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा होती है, और यह समय विशेष रूप से मंदिर में भक्तों की भीड़ होती है।

10. पाषाण देवी मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है?

  • पाषाण देवी मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यहाँ देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह मंदिर नैनीताल की सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है और यहाँ श्रद्धालु मोक्ष, उपचार और ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते हैं।

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