उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल मंदिर माँ ज्वाल्पा देवी मंदिर (सब कुछ) Pauri Garhwal Temple Maa Jwalpa Devi Temple (Everything)
उत्तराखंड की यह देवी देती है मनचाहा वर, यहां स्थित है मां का सिद्धपीठ मंदिर
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक स्थलों से भरपूर है। यहां कई प्रमुख तीर्थ स्थल और शक्तिपीठ हैं, जिनमें से एक प्रमुख स्थान है मां ज्वालपा देवी का सिद्धपीठ। यह मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है और विशेष रूप से मनचाहा वर प्राप्त करने की मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं इस मंदिर और देवी की महिमा के बारे में।
कहां है मां ज्वालपा देवी मंदिर
मां ज्वालपा देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल स्थित पौड़ी-कोटद्वार मार्ग पर नयार नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर पौड़ी से लगभग 33 किमी की दूरी पर है। इस क्षेत्र का नाम "ज्वालपा" देवी के दर्शन और आशीर्वाद की विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहां देवी पार्वती ने अपने दिव्य रूप में भक्तों को दर्शन दिए थे और उनकी हर मनोकामना पूरी करने का वादा किया था।
पौराणिक कथाएं और महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में दैत्यराज पुलोम की पुत्री शची ने भगवान इंद्र को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती की तपस्या की थी। मां पार्वती ने शची की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे दीप्त ज्वालेश्वरी के रूप में दर्शन दिए और उसकी मनोकामना पूरी की। इसके बाद मां शची को यह वरदान मिला कि जो भी इस स्थान पर सच्चे मन से वर की कामना लेकर आएगा, उसकी हर इच्छा पूरी होगी। यही कारण है कि इस स्थान का नाम "ज्वालपा" पड़ा और इसे सिद्धपीठ के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।
मंदिर का इतिहास
18वीं शताबदी में गढ़वाल के राजा प्रद्युम्न शाह ने मंदिर को 11.82 एकड़ सिंचित भूमि दान की थी ताकि यहां अखंड दीपक जलाने के लिए आवश्यक तेल की व्यवस्था की जा सके। इस मंदिर में एक अखंड दीपक निरंतर जलता रहता है, जिसे मां के ज्वाला रूप में दर्शन देने के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
ज्वालपा देवी के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूजा
मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं के भी मंदिर हैं। यहां हनुमान मंदिर, यज्ञ कुंड, शिवालय, काली मां मंदिर, और काल भैरव मंदिर स्थित हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान यहां पूजा-अर्चना का आयोजन बहुत धूमधाम से किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
अविवाहित कन्याओं के लिए वर की कामना
यहां पर विशेष रूप से अविवाहित कन्याएं अपनी मनोकामना लेकर आती हैं। मान्यता है कि यहां पूजा करने से मनचाहा वर मिलता है। यही कारण है कि हर वर्ष यहां बड़ी संख्या में कुंवारी लड़कियां और उनके परिजन इस स्थान पर पूजा करने आते हैं।
ज्वालपा देवी मंदिर की किवदंती
मंदिर से जुड़ी एक किवदंती भी है। कहते हैं कि एक बार एक कफोला बिष्ट ने यहां अपना नमक से भरा कट्टा रखा और कुछ समय बाद जब वह कट्टे को उठाने लगा तो वह कट्टा नहीं उठ पाया। कट्टे को खोला गया और उसमें मां ज्वालपा की मूर्ति मिली। फिर कुछ दिनों बाद, अणेथ गांव के दत्त राम को मां ज्वालपा ने अपने दर्शन दिए और मंदिर बनाने का निर्देश दिया। तभी से ज्वालपा देवी को थपलियाल और बिष्ट जाति के लोगों की कुलदेवी भी माना जाता है।
कैसे पहुंचें
अगर आप मां ज्वालपा के दर्शन करना चाहते हैं, तो पौड़ी से केवल 30 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां आने के लिए पौड़ी से कोटद्वार जाने वाले सड़कों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, अगर आप कोटद्वार से आ रहे हैं, तो कोटद्वार-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर यह मंदिर स्थित है।
निष्कर्ष
मां ज्वालपा देवी का सिद्धपीठ उत्तराखंड के एक अद्भुत स्थानों में से एक है, जहां आकर भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यहां का अखंड दीपक, ज्वाला रूप में देवी के दर्शन, और मां के सिद्ध पीठ के बारे में पौराणिक कथाएं न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि यह स्थान भक्तों के लिए एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव भी प्रदान करता है।
FAQs (Frequently Asked Questions)
1. मां ज्वालपा देवी का मंदिर कहां स्थित है?
- मां ज्वालपा देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में, पौड़ी-कोटद्वार मार्ग पर नयार नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर पौड़ी से लगभग 33 किमी दूर है।
2. मां ज्वालपा देवी का पौराणिक महत्व क्या है?
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी शची ने देवराज इंद्र को पति रूप में पाने के लिए यहां तपस्या की थी, और मां पार्वती ने उन्हें ज्वाला रूप में दर्शन देकर उनकी इच्छा पूरी की थी। तभी से यह स्थान ज्वालपा के नाम से प्रसिद्ध हुआ और यह सिद्ध पीठ माना गया।
3. मां ज्वालपा देवी के मंदिर में क्या विशेष है?
- इस मंदिर में अखंड दीपक निरंतर जलता रहता है, जो मां पार्वती के दीप्तिमान ज्वाला रूप में प्रकट होने का प्रतीक है। मंदिर में तेल की व्यवस्था के लिए आसपास के गांवों से सरसों एकत्र की जाती है।
4. मां ज्वालपा देवी से जुड़ी कोई प्रमुख मान्यता क्या है?
- यहां आने से हर मनोकामना पूरी होती है, खासकर अविवाहित कन्याओं की वर की कामना पूरी होती है। यह मंदिर विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है जो जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करती हैं।
5. मां ज्वालपा देवी मंदिर की स्थापना कब हुई थी?
- मां ज्वालपा देवी मंदिर की स्थापना वर्ष 1892 में हुई थी। यहां एक मंजिला मंदिर है, जिसमें माता अखंड जोत के रूप में विराजमान हैं।
6. यहां किस समय पूजा होती है?
- नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा और पाठ का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
7. मां ज्वालपा देवी के दर्शन करने के लिए कैसे पहुंचें?
- अगर आप पौड़ी से आ रहे हैं तो यहां तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से लगभग 30 किमी की यात्रा करनी होती है। कोटद्वार से भी यहां आ सकते हैं, क्योंकि यह मंदिर कोटद्वार-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है।
8. मां ज्वालपा देवी की मूर्ति किस प्रकार की है?
- मंदिर के गर्भगृह में माता ज्वालपा देवी की मूर्ति के रूप में अखंड ज्योति प्रज्वलित रहती है। यह ज्योति मां के ज्वाला रूप का प्रतीक मानी जाती है।
9. क्या ज्वालपा देवी मंदिर का कोई ऐतिहासिक संदर्भ है?
- हां, इसे लेकर एक किवदंती है, जिसमें एक कफोला बिष्ट नामक व्यक्ति ने इस स्थान पर मां की मूर्ति पाई थी, और बाद में वहां मंदिर बनाने का निर्देश प्राप्त किया।
10. क्या ज्वालपा देवी मंदिर की पूजा विशेष रूप से किसी जाति से संबंधित है?
- हां, ज्वालपा देवी मंदिर को थपलियाल और बिष्ट जाति की कुलदेवी भी माना जाता है। इन जातियों के लोग विशेष रूप से इस मंदिर में पूजा करते हैं।
11. क्या इस मंदिर का कोई धार्मिक उत्सव है?
- हां, खासकर नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में विशेष धार्मिक कार्यक्रम और पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है।
12. क्या यहां अन्य मंदिर भी हैं?
- हां, मां ज्वालपा देवी मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, यज्ञ कुंड, शिवालय, काली मां मंदिर और काल भैरव मंदिर भी स्थित हैं।
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