चीड़ के पेड़ और इसके औषधीय गुण (Pine tree and its medicinal properties)

चीड़ के पेड़ और इसके औषधीय गुण

पहाड़ी इलाकों जैसे कि उत्तराखंड या हिमाचल में जब भी आप सैर के लिए जाते होंगे, आपकी नजर चीड़ के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर पड़ती होगी। आयुर्वेद में इस पेड़ को सेहत के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। चीड़ के पेड़ की लकड़ियां, इससे निकलने वाले तारपीन के तेल और चिपचिपे गोंद का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद को गंधविरोजा नाम से जाना जाता है। इस लेख में हम आपको चीड़ के फायदे, औषधीय गुण और उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

चीड़ क्या है?

चीड़ का पेड़ हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है और इसकी लंबाई 30-35 मीटर तक हो सकती है। अधिकांश लोग इसकी लंबाई और पत्तियों के आकार से ही इसे पहचान लेते हैं। इसका तना गहरे भूरे रंग का खुरदुरा गोल आकार में होता है। इसके पत्ते 3 के गुच्छे में होते हैं, जिनकी लंबाई 20-30 सेमी होती है। इसके फल देवदारु के फल जैसे होते हैं, लेकिन ये आकार में कुछ बड़े, शंक्वाकार, पिरामिड आकार के नुकीले होते हैं। मार्च से नवंबर के बीच में इसमें फल और फूल निकलते हैं।

अन्य भाषाओं में चीड़ के नाम

चीड़ का वानस्पतिक नाम Pinus roxburghii Sargent (पाइनस् रॉक्सबर्घियाई) है। यह Pinaceae (पाइनेसी) कुल का पौधा है। विभिन्न भाषाओं में इस पौधे को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • Hindi: चीड़, धूपसरल
  • English: Chir Pine, Emodi Pine
  • Sanskrit: सरल, पीतवृक्ष
  • Kannad: सरल
  • Gujarati: सरल देवदार
  • Tamil: शिरसाल
  • Nepali: धूप सलसी
  • Bengali: सरलगाछ
  • Marathi: सरल

चीड़ के औषधीय गुण

चीड़ के पेड़ के विभिन्न भागों के औषधीय गुण बहुत प्रभावशाली होते हैं। आयुर्वेद में इसे कई तरह के रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। इसके गुण इस प्रकार हैं:

  • कटु, मधुर, तिक्त, उष्ण, लघु, स्निग्ध
  • कफवातशामक, कान्ति दायक, दुष्टव्रण शोधक, वृष्य
  • कर्णरोग, कण्ठरोग, त्वक्विकार, शोफ, कुष्ठ, अलक्ष्मी, ज्वर, दौर्गन्ध्य के इलाज में प्रभावी
  • पाचन तंत्र और पेट के रोगों के लिए उपयोगी

चीड़ के फायदे एवं उपयोग

चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद (गंधविरोजा) को कई रोगों के इलाज में उपयोगी पाया गया है। इसके अलावा इसकी लकड़ियां, छाल आदि मुंह और कान के रोगों को ठीक करने के अलावा अन्य कई समस्याओं में भी उपयोगी हैं। आइए जानते हैं कि अलग-अलग बीमारियों में चीड़ को घरेलू इलाज के रूप में कैसे इस्तेमाल करें।

1. कान के रोगों में उपयोगी है चीड़

कान से चिपचिपे तरल का स्राव होना और कान में दर्द और सूजन, ये कान से जुड़ी मुख्य समस्याएं हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, देवदारु, कूठ और सरल के काष्ठों पर क्षौम वत्र लपेट कर तिल तैल में भिगोकर जलाएं और इसे जलाने से मिलने वाले तेल की एक या दो बूँद कान में डालें। इससे कान के दर्द, सूजन और स्राव से जल्दी आराम मिलता है।

2. मुंह के छालों को ठीक करता है चीड़

मुंह में छालों की समस्या अक्सर गलत खानपान, पेट की गर्मी और खराब दिनचर्या के कारण होती है। इसके इलाज के लिए चीड़ के पेड़ से प्राप्त गोंद (गंधविरोजा) का काढ़ा बनाकर कुल्ला करें। इससे मुंह के छाले ठीक होते हैं।

3. सांस की नली में सूजन को कम करता है चीड़

सांस की नली में सूजन होना एक गंभीर समस्या है। इसके इलाज के लिए चीड़ के तेल से छाती पर मालिश करें। इसकी मालिश से सांस नली की सूजन कम होने के साथ-साथ सर्दी-खांसी में भी राहत मिलती है।

4. पेट के कीड़ों को नष्ट करता है चीड़

पेट में कीड़े होने पर रुक-रुक कर पेट में दर्द होना और भूख ना लगने जैसे लक्षण नजर आते हैं। इससे आराम पाने के लिए आप चीड़ का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए चीड़ के तेल में विडंग के चावलों का चूर्ण मिलाकर धूप में रखकर पिलाएं।

5. घाव को जल्दी भरने में मदद करता है चीड़

चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद (गंधविरोजा) के उपयोग से घाव जल्दी ठीक होते हैं। इसके लिए गोंद को पीसकर सीधे घावों पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भरने लगता है।

6. दाद खाज खुजली को दूर करता है चीड़

दाद या खुजली की समस्या में चीड़ की गोंद (गंधविरोजा) को प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे दाद और खुजली की समस्या ठीक हो जाती है।

7. बच्चों की पसली चलने की समस्या को ठीक करता है चीड़

छोटे बच्चों को अक्सर सर्दी लग जाने पर या निमोनिया होने पर पसलियां चलने की समस्या हो जाती है। इसके इलाज में चीड़ का तेल और सरसों का तेल मिलाकर बच्चों की मालिश करें।

चीड़ के उपयोगी भाग

विशेषज्ञों के अनुसार, चीड़ के निम्न भाग सेहत के लिए बहुत उपयोगी होते हैं:

  • लकड़ी
  • तेल
  • तैलीय निर्यास
  • गंधविरोजा (गोंद)

चीड़ का इस्तेमाल कैसे करें?

यदि आप चीड़ के चूर्ण का उपयोग कर रहे हैं तो 2-3 ग्राम की मात्रा में करें, वहीं यदि आप चीड़ के तेल का उपयोग कर रहे हैं तो 2-5 बूंद का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि यदि आप किसी गंभीर बीमारी के घरेलू इलाज के रूप में चीड़ का उपयोग करने की सोच रहे हैं तो पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।

चीड़ का पेड़ कहां पाया या उगाया जाता है?

चीड़ का पेड़ हिमालयी क्षेत्रों में कश्मीर से भूटान तक 450-1800 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसके अलावा यह पेड़ कुमाऊँ में 2300 मी तक की ऊंचाई पर, शिवालिक पहाड़ी क्षेत्रों, ऊटी तथा अफगानिस्तान में भी पाया जाता है।

निष्कर्ष:
चीड़ का पेड़ न केवल पर्यावरण को समृद्ध बनाता है बल्कि इसके औषधीय गुण भी मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। आयुर्वेद में इसे कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी माना गया है। इसलिए अगर आप पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा कर रहे हैं तो चीड़ के पेड़ की महत्ता और इसके औषधीय लाभ को नकारा नहीं जा सकता।

चीड़ (Pine)🌲के फल को क्या कहते हैं?

छेन्ति, छिंतैड़ी

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