उत्तराखंड की राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरचना
उत्तराखंड का गठन और प्रशासनिक इतिहास
- कौशिक समिति: वर्ष 1994 में उत्तराखंड के गठन हेतु कौशिक समिति का गठन किया गया।
- उत्तराखंड का गठन: 9 नवम्बर 2000 को 13 पर्वतीय जिलों को मिलाकर उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया।
- भारत का 27वां राज्य: उत्तराखंड भारत का 27वां राज्य बना और पर्वतीय राज्यों में 11वां राज्य है।
- विशेष राज्य का दर्जा: उत्तराखंड को 1 अप्रैल 2001 को केन्द्र सरकार द्वारा विशेष राज्य का दर्जा दिया गया।
- उत्तरांचल से उत्तराखंड: 1 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड किया गया।
उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था
- कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय: 1854 में नैनीताल को कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय बनाया गया।
- कुमाऊँ का विभाजन: 1891 में कुमाऊँ को दो जिलों, अल्मोड़ा और नैनीताल में बांट दिया गया।
- पर्वतीय क्षेत्र के लिए अलग प्रशासनिक भाग की माँग: 1946 में बद्रीदत्त पाण्डेय ने पर्वतीय क्षेत्र के लिए अलग प्रशासनिक भाग बनाने की माँग की थी।
- टिहरी रियासत का समावेश: 1 अगस्त, 1949 को टिहरी रियासत को कुमाऊँ मंडल के चौथे जिले के रूप में सम्मिलित किया गया।
- कुमाऊँ मंडल के पहले ब्रिटिश आयुक्त: ए गार्डनर थे।
- गढ़वाल मंडल का गठन: 1970 में चमोली, पौड़ी, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जनपदों को मिलाकर गढ़वाल मंडल का गठन किया गया।
- मंडल विकास निगम की स्थापना: कुमाऊँ मंडल विकास निगम की स्थापना 1966 में की गई थी।
- वर्तमान में दो मंडल: उत्तराखंड में वर्तमान में दो मंडल हैं – कुमाऊँ और गढ़वाल।
राज्य की विधायिका और संसद
- राज्यसभा में सीटों की संख्या: उत्तराखंड में राज्यसभा की 3 सीटें हैं।
- लोकसभा क्षेत्र: उत्तराखंड में लोकसभा क्षेत्र की संख्या 5 है – टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा और हरिद्वार।
- विधानसभा में सीटें: उत्तराखंड विधानसभा में कुल 71 सीटें हैं।
- राज्यपाल की भूमिका: राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्षों के लिए की जाती है और वे राज्य में विधायिका के कार्यों की अध्यक्षता करते हैं।
- मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद: संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत राज्यपाल, मुख्यमंत्री की नियुक्ति करते हैं।
न्यायपालिका
- उच्च न्यायालय: प्रत्येक राज्य के लिए उच्च न्यायालय की व्यवस्था अनुच्छेद-214 के तहत की गई है।
- न्यायपालिका का कार्य: न्यायपालिका शासन का तीसरा महत्वपूर्ण अंग है और यह संविधान द्वारा निर्धारित कानूनी ढांचे के अंतर्गत काम करती है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड का गठन न केवल राज्य की भौतिक और प्रशासनिक संरचना का परिणाम था, बल्कि यह राज्य की राजनीतिक व्यवस्था और विकास की दिशा को नया मोड़ देने में भी सहायक साबित हुआ। राज्य की सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताएँ इसे अन्य राज्यों से अलग बनाती हैं, और इसकी प्रशासनिक व्यवस्था से राज्य की स्थिरता और विकास सुनिश्चित हो रहा है।
उत्तराखंड की राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरचना से संबंधित सामान्य प्रश्न
1. उत्तराखंड का गठन कब और कैसे हुआ था?
उत्तराखंड का गठन 9 नवम्बर, 2000 को 13 पर्वतीय जिलों को मिलाकर हुआ था। इसे पहले उत्तरांचल नाम से जाना जाता था, जिसे 1 जनवरी, 2007 को बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
2. उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा कब मिला था?
उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा 1 अप्रैल, 2001 को केन्द्र सरकार द्वारा दिया गया था।
3. उत्तराखंड का नाम पहले क्या था?
उत्तराखंड का नाम पहले उत्तरांचल था, जिसे 1 जनवरी, 2007 को बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
4. उत्तराखंड में कितने मण्डल हैं?
उत्तराखंड में कुल दो मण्डल हैं - कुमाऊं मण्डल और गढ़वाल मण्डल।
5. उत्तराखंड में कितने जिले हैं?
उत्तराखंड में कुल 13 जिले हैं, जिनमें से कुमाऊं मण्डल में 6 जिले और गढ़वाल मण्डल में 7 जिले आते हैं।
6. उत्तराखंड के प्रथम राज्यपाल कौन थे?
उत्तराखंड के प्रथम राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला थे।
7. उत्तराखंड में राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तराखंड में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और उनका कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।
8. उत्तराखंड में विधानमण्डल की संरचना क्या है?
उत्तराखंड में एक सदनात्मक विधानमण्डल है, जिसमें राज्यसभा के 3 सदस्य, लोकसभा के 5 सदस्य और विधानसभा में 71 सीटें हैं।
9. उत्तराखंड में सबसे कम विधानसभा सीटें किस जिले में हैं?
उत्तराखंड के बागेश्वर, चम्पावत और रुद्रप्रयाग जिलों में सबसे कम विधानसभा सीटें हैं, जिनकी संख्या 2-2 है।
10. उत्तराखंड में कब और किसके अधीन राज्य योजना आयोग की स्थापना की गई थी?
उत्तराखंड राज्य योजना आयोग की स्थापना 2000 में की गई थी, जिसका मुख्यालय देहरादून में स्थित है।
11. उत्तराखंड के लोक सेवा आयोग का मुख्यालय कहां है?
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का मुख्यालय हरिद्वार में स्थित है।
12. उत्तराखंड में न्यायपालिका का महत्त्व क्या है?
न्यायपालिका उत्तराखंड सरकार का तीसरा महत्त्वपूर्ण अंग है और इसे संविधान के अनुच्छेद-214 के अंतर्गत हर राज्य में उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है।
13. उत्तराखंड में राज्यपाल के अधिकार क्या हैं?
राज्यपाल राज्य के प्रशासन के प्रमुख होते हैं और वे मुख्यमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति कर सकते हैं, साथ ही किसी विधि के विरुद्ध दण्ड को कम या स्थगित भी कर सकते हैं।
14. उत्तराखंड के प्रशासनिक प्रमुख कौन होते हैं?
उत्तराखंड के प्रशासनिक प्रमुख राज्यपाल होते हैं, और कार्यकारी विभाग के प्रमुख मुख्यमंत्री होते हैं।
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