उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास (डॉ. अजय रावत) - ई-बुक की जानकारी (Political History of Uttarakhand (Dr. Ajay Rawat) - E-Book Information)
उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास (डॉ. अजय रावत) - ई-बुक की जानकारी
पुस्तक का उद्देश्य
डॉ. अजय रावत द्वारा लिखित यह पुस्तक उत्तराखंड के समृद्ध राजनीतिक इतिहास और संस्कृति को अन्वेषित करती है। इसका मुख्य उद्देश्य मध्य हिमालयी क्षेत्र के हालिया ऐतिहासिक कालक्रम का दस्तावेज़ीकरण और विश्लेषण करना है। यह पुस्तक उन छात्रों, शोधकर्ताओं और सामान्य पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है, जो उत्तराखंड के ऐतिहासिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को समझना चाहते हैं।
पुस्तक की प्रमुख विशेषताएं
- समग्र कालक्रमपाषाण काल से लेकर टिहरी राज्य के भारत में विलय तक, उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास को क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
प्राथमिक स्रोतों का उपयोग
- पुरातात्विक साक्ष्य
- ताम्रपत्र
- शिला-लेख
- हस्तलिखित ग्रंथ
- सिक्के
- राष्ट्रीय और राज्य अभिलेखागार
- नवीनतम तथ्यों का समावेशइस पुस्तक में इतिहास से संबंधित नवीनतम तथ्यों और शोध निष्कर्षों को शामिल किया गया है।
- प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगीUKPSC, UKSSSC, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह पुस्तक अत्यंत लाभदायक है।
- संस्कृतियों का संगमपुस्तक में उत्तराखंड को "लघु भारत" के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जहां अनेक संस्कृतियां एक साथ विकसित हुई हैं।
पुस्तक के बारे में लेखक की राय
पुस्तक के अध्याय
- उत्तराखंड का प्राचीन इतिहास
- मध्यकालीन उत्तराखंड के राजनीतिक परिवर्तन
- ब्रिटिश शासनकाल और सामाजिक परिवर्तन
- टिहरी राज्य का विलय और आधुनिक उत्तराखंड
- उत्तराखंड में जातीय और सांस्कृतिक विविधता
लेखक परिचय - डॉ. अजय सिंह रावत
डॉ. रावत एक प्रसिद्ध इतिहासकार, लेखक और शोधकर्ता हैं।
- कुमाऊं विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातकोत्तर और पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त।
- 11 छात्रों ने उनके मार्गदर्शन में पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की है।
- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (यू.के.) से शोध पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त होने वाले उत्तराखंड के पहले इतिहासकार।
- इंटरनेशनल फॉरेस्ट रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ऑस्ट्रिया) के अध्यक्ष पद पर कार्यरत।
क्यों पढ़ें यह पुस्तक?
- उत्तराखंड के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास का समग्र अध्ययन।
- प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रामाणिक संदर्भ सामग्री।
- इतिहास के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए गहन अध्ययन सामग्री।
निष्कर्ष
उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास भारत के समृद्ध ऐतिहासिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। डॉ. अजय सिंह रावत की यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए एक आवश्यक पठन है, जो हिमालयी क्षेत्र के राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास को समझना चाहते हैं।
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उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास - अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास पर यह पुस्तक क्यों महत्वपूर्ण है?
यह पुस्तक उत्तराखंड के प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक राजनीतिक इतिहास को व्यापक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। इसमें प्राथमिक स्रोतों जैसे ताम्रपत्र, शिला-लेख, सिक्के, और राष्ट्रीय अभिलेखागार से प्राप्त तथ्यों का उपयोग किया गया है, जो इसे अत्यधिक प्रामाणिक बनाता है।
2. यह पुस्तक किन पाठकों के लिए उपयोगी है?
यह पुस्तक विशेष रूप से निम्नलिखित के लिए उपयोगी है:
- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र, जैसे UKPSC, UKSSSC, आदि।
- इतिहास के शोधकर्ता और विद्यार्थी।
- उत्तराखंड के इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले सामान्य पाठक।
3. पुस्तक में कौन-कौन से विषय शामिल हैं?
इस पुस्तक में उत्तराखंड के पाषाण काल से लेकर टिहरी राज्य के भारत में विलय तक का इतिहास शामिल है। मुख्य विषय:
- प्राचीन काल का इतिहास।
- मध्यकालीन राजनीतिक परिवर्तन।
- ब्रिटिश शासनकाल का प्रभाव।
- आधुनिक उत्तराखंड की स्थापना।
- सांस्कृतिक और जातीय विविधता।
4. क्या यह पुस्तक उत्तराखंड के प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मददगार है?
हां, यह पुस्तक उत्तराखंड राज्य से संबंधित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यधिक सहायक है। इसमें तथ्यात्मक जानकारी, तिथियों और घटनाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है, जो परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
5. पुस्तक के लेखक, डॉ. अजय सिंह रावत, कौन हैं?
डॉ. अजय सिंह रावत एक प्रसिद्ध इतिहासकार और शोधकर्ता हैं।
- जन्म: 1 सितंबर 1948, रावतसेरा, बेरीनाग, पिथौरागढ़।
- कुमाऊं विश्वविद्यालय से इतिहास में पी.एच.डी।
- उन्होंने 100+ ग्रंथों का निर्देशन किया है और 11 छात्रों को पी.एच.डी. करवाया है।
- वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (यू.के.) के शोध पर्यवेक्षक भी रह चुके हैं।
6. उत्तराखंड को "लघु भारत" क्यों कहा गया है?
उत्तराखंड में विभिन्न जातियों और संस्कृतियों का संगम है। यहां पाषाण काल से ही विभिन्न सभ्यताएं विकसित हुईं, जिससे यह क्षेत्र सांस्कृतिक और जातीय विविधता का प्रतीक बन गया, जिसे "लघु भारत" कहा जाता है।
7. पुस्तक को पढ़ने के लिए मुख्य कारण क्या हैं?
- उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास को विस्तृत और प्रामाणिक रूप से जानने का अवसर।
- ऐतिहासिक तथ्यों और संदर्भों का व्यवस्थित अध्ययन।
- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद।
8. इस पुस्तक में कौन-कौन से स्रोतों का उपयोग किया गया है?
- पुरातात्विक साक्ष्य।
- ताम्रपत्र और शिला-लेख।
- हस्तलिखित ग्रंथ।
- सिक्के।
- राष्ट्रीय और राज्य अभिलेखागार।
- विभिन्न पुस्तकालय और शोध संस्थान।
9. पुस्तक की भाषा और शैली कैसी है?
पुस्तक सरल और सुबोध भाषा में लिखी गई है, जो छात्रों और सामान्य पाठकों के लिए समझने में आसान है।
10. क्या यह पुस्तक ई-बुक फॉर्मेट में उपलब्ध है?
हां, यह पुस्तक ई-बुक फॉर्मेट में उपलब्ध है। आप इसे यहां से डाउनलोड कर सकते हैं।
11. उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास में "टिहरी राज्य का विलय" क्यों महत्वपूर्ण है?
टिहरी राज्य का भारत में विलय उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह आधुनिक उत्तराखंड राज्य की स्थापना की दिशा में एक बड़ा कदम था।
12. इस पुस्तक में नवीनतम क्या है?
यह पुस्तक नवीनतम शोध और तथ्यों के साथ उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास को पेश करती है। इसमें इतिहास के उन पहलुओं को भी शामिल किया गया है, जो पहले कभी विस्तार से नहीं लिखे गए थे।
यदि आपके पास और सवाल हैं, तो आप हमें कमेंट या ईमेल कर सकते हैं।
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