उत्तराखण्ड के प्रमुख साहित्यकार
उत्तराखण्ड की धरती ने भारतीय साहित्य को कई महान साहित्यकार दिए हैं। इन साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से न केवल समाज को दिशा दी बल्कि प्रदेश और देश की संस्कृति, परंपरा और जनजीवन को भी समृद्ध किया। यहां उत्तराखण्ड के कुछ प्रमुख साहित्यकारों का परिचय दिया गया है।
सुमित्रानंदन पंत
- जन्म: 20 मई 1900, कौसानी (बचपन का नाम गोसाई दत्त)
- योगदान:
- हिन्दी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवि।
- 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार चिदंबरा काव्य संग्रह के लिए।
- इनके परामर्श पर ही ऑल इंडिया रेडियो का नाम आकाशवाणी रखा गया।
- अन्य प्रमुख पुरस्कार: पद्म भूषण (1961), सोवियत नेहरू शांति पुरस्कार।
- प्रमुख कृतियाँ: वीणा, पल्लव, ग्रंथि, ग्राम्या, लोकायतन।
- प्रकृति के चित्त-चितेरा कवि के रूप में प्रसिद्ध।
शैलेश मटियानी
- जन्म: 1931, अल्मोड़ा (मूल नाम रमेश चंद्र)।
- योगदान:
- उत्तराखण्ड के आंचलिक कथाकार।
- पत्रिका विकल्प का प्रकाशन।
- महाभोज कहानी के लिए प्रेमचंद पुरस्कार।
- प्रमुख कृतियाँ:
- कहानी संग्रह: दो दुखों का एक सुख, चील, हत्यारे, महाभोज।
- उपन्यास: बोरी बल्ली से बोरी बंदर, मुठभेड़, रामकली।
गौरा पंत ‘शिवानी’
- जन्म: 1923, राजकोट (मूलरूप से अल्मोड़ा निवासी)।
- योगदान:
- भारतीय साहित्य में स्त्री विमर्श की प्रमुख लेखिका।
- प्रमुख कृतियाँ: विषकन्या, कृष्णाकली, गेंदा, मायापुरी।
- सम्मान: भारतेन्दु हरिश्चंद्र सम्मान (1979), पद्मश्री (1981)।
मंगलेश डबराल
- जन्म: 1948, टिहरी गढ़वाल।
- योगदान:
- प्रमुख काव्य संग्रह: पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं।
- हम जो देखते हैं के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (2000)।
- गद्य संग्रह: लेखक की रोटी, कवि का अकेलापन।
- 2020 में निधन।
मनोहर श्याम जोशी
- जन्म: 1933, अजमेर (मूलरूप से अल्मोड़ा निवासी)।
- योगदान:
- दूरदर्शन के पहले धारावाहिक हम लोग के लेखक।
- कुमाऊँनी उपन्यास: क्याप, कसप।
- फिल्म पापा कहते हैं की कहानी लेखक।
डॉ. शिव प्रसाद डबराल ‘चारण’
- जन्म: पौड़ी गढ़वाल।
- योगदान:
- इतिहासकार और साहित्यकार।
- प्रमुख कृतियाँ: उत्तराखण्ड का इतिहास (12 भाग), गढ़वाली मेघदूत।
- दुगड्डा स्थित उत्तराखण्ड विद्या भवन पुस्तकालय की स्थापना।
पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल
- जन्म: 1901, पौड़ी गढ़वाल।
- योगदान:
- हिन्दी विषय में डॉक्टरेट करने वाले पहले व्यक्ति।
- प्रमुख कृतियाँ: गोरखवाणी, कबीर की साखी, रूपक रहस्य।
- अंग्रेजी कृति: मिस्टिसिज्म इन हिन्दी पोएट्री।
लीलाधर जगूड़ी
- जन्म: टिहरी गढ़वाल।
- योगदान:
- कविता संग्रह: बची हुई पृथ्वी, भय शक्ति देता है, रात अब भी मौजूद।
- जितने लोग उतने प्रेम के लिए व्यास सम्मान (2018)।
वीरेन डंगवाल
- जन्म: टिहरी गढ़वाल।
- योगदान:
- प्रमुख काव्य संग्रह: दुष्चक्र में सृष्टा, संगतकार।
- 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार।
अन्य प्रमुख साहित्यकार
1. बृजमोहन उप्रेती
- बृजमोहन उप्रेती की रचनाएं कुमाऊंनी और हिंदी साहित्य में विशेष स्थान रखती हैं।
- इनकी प्रमुख रचनाओं में 'कुमाऊं की लोकगाथाएं' और 'गीत और कथाएं' शामिल हैं।
2. ईश्वरी दत्त जोशी
- अल्मोड़ा निवासी ईश्वरी दत्त जोशी ने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक लेखन में अपना योगदान दिया।
- इनकी प्रसिद्ध कृति 'कुमाऊं का इतिहास' है।
3. नरेंद्र सिंह नेगी
- उत्तराखंड के प्रसिद्ध गीतकार और गायक, जो अपने गढ़वाली और कुमाऊंनी गीतों के लिए जाने जाते हैं।
- उनकी रचनाओं में लोकजीवन और पहाड़ की संस्कृति का अनूठा चित्रण मिलता है।
4. मोहन उप्रेती
- कुमाऊंनी लोककला और नाटक के क्षेत्र में जाना-माना नाम।
- 'राजुला-मालूशाही' पर आधारित उनका नाटक और लोकगीत काफी प्रसिद्ध हैं।
5. हरिनारायण थपलियाल
- पौड़ी गढ़वाल निवासी थपलियाल जी ने इतिहास और संस्कृति पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं।
- इनकी प्रमुख रचना 'गढ़वाल का इतिहास' है।
6. भीष्म साहनी
- टिहरी गढ़वाल निवासी, हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण उपन्यासकार और कहानीकार।
- इनकी प्रसिद्ध कृति 'तमस' है, जो सांप्रदायिकता पर आधारित है।
7. रमेश खर्कवाल
- कुमाऊंनी साहित्य के आधुनिक कवि।
- उनकी कविताएं समाज की वर्तमान समस्याओं और पहाड़ की दुर्दशा को उजागर करती हैं।
8. प्रो. शिवानंद नौटियाल
- गढ़वाल के साहित्य और इतिहास पर गहन शोध।
- इनकी प्रमुख रचना 'गढ़वाल के स्वतंत्रता सेनानी' है।
9. लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’
- अल्मोड़ा निवासी और हिंदी साहित्य के जाने-माने कहानीकार।
- उनकी कहानियां पहाड़ी जीवन के यथार्थ को दर्शाती हैं।
10. गोविंद प्रसाद कंडारी
- गढ़वाली साहित्य के सशक्त कवि।
- इनकी रचनाएं पर्यावरण और पहाड़ के संकटों को सामने लाती हैं।
आधुनिक साहित्यकार
उत्तराखंड के आधुनिक साहित्यकारों ने भी साहित्य को एक नई पहचान दी है। जैसे:
- मधु चौहान - उनके निबंध और कहानियां महिलाओं की समस्याओं पर आधारित हैं।
- आलोक मलिक - आधुनिक कवि, जिनकी कविताएं नई पीढ़ी को प्रेरणा देती हैं।
उत्तराखण्ड के प्रमुख साहित्यकारों पर FAQs
Q1: उत्तराखण्ड के सबसे प्रसिद्ध कवि कौन हैं?
A: उत्तराखण्ड के सबसे प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत हैं, जिन्हें हिन्दी साहित्य के छायावादी युग का प्रमुख कवि माना जाता है। उनकी कृतियों में वीणा, पल्लव, और लोकायतन प्रमुख हैं।
Q2: सुमित्रानंदन पंत को कौन-कौन से प्रमुख पुरस्कार मिले हैं?
A:
- ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968, चिदंबरा के लिए)
- पद्म भूषण (1961)
- सोवियत नेहरू शांति पुरस्कार
Q3: शैलेश मटियानी को किस नाम से जाना जाता है?
A: शैलेश मटियानी को "उत्तराखण्ड के आंचलिक कथाकार" के रूप में जाना जाता है। उनकी प्रमुख कृतियों में महाभोज, दो दुखों का एक सुख, और हत्यारे शामिल हैं।
Q4: गौरा पंत 'शिवानी' का साहित्य में क्या योगदान है?
A: गौरा पंत 'शिवानी' ने स्त्री विमर्श पर आधारित उपन्यास और कहानियां लिखीं। उनकी प्रमुख कृतियां विषकन्या, कृष्णाकली, और मायापुरी हैं।
Q5: मंगलेश डबराल को कौन-सा प्रमुख पुरस्कार मिला है?
A: मंगलेश डबराल को उनकी कृति हम जो देखते हैं के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (2000) से सम्मानित किया गया।
Q6: मनोहर श्याम जोशी का साहित्य में क्या योगदान है?
A:
- हम लोग धारावाहिक के लेखक।
- कुमाऊंनी उपन्यास क्याप और कसप के लेखक।
- फिल्म पापा कहते हैं की कहानी भी उन्होंने लिखी।
Q7: डॉ. शिव प्रसाद डबराल ‘चारण’ किस क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं?
A: डॉ. शिव प्रसाद डबराल ‘चारण’ इतिहास और गढ़वाली साहित्य के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। उनकी कृति उत्तराखण्ड का इतिहास (12 भागों में) एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
Q8: पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल का प्रमुख योगदान क्या है?
A:
- वह हिन्दी विषय में डॉक्टरेट करने वाले पहले व्यक्ति थे।
- उनकी प्रमुख कृतियां गोरखवाणी, कबीर की साखी, और रूपक रहस्य हैं।
Q9: उत्तराखण्ड के प्रमुख आधुनिक साहित्यकार कौन हैं?
A:
- मधु चौहान (महिलाओं की समस्याओं पर आधारित लेखन)
- आलोक मलिक (नई पीढ़ी के प्रेरणादायक कवि)
Q10: नरेंद्र सिंह नेगी किसके लिए प्रसिद्ध हैं?
A: नरेंद्र सिंह नेगी गढ़वाली और कुमाऊंनी गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी रचनाएं उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति और जनजीवन का अद्भुत चित्रण करती हैं।
Q11: उत्तराखण्ड में लोककला और नाटक के क्षेत्र में किस साहित्यकार का योगदान है?
A: मोहन उप्रेती ने कुमाऊंनी लोककला और नाटक में बड़ा योगदान दिया। उनका नाटक राजुला-मालूशाही काफी प्रसिद्ध है।
Q12: कौन-से साहित्यकार पर्यावरण और पहाड़ की समस्याओं पर लिखते हैं?
A: गोविंद प्रसाद कंडारी और रमेश खर्कवाल जैसे साहित्यकार पर्यावरण और पहाड़ की समस्याओं पर आधारित कविताएं और लेख लिखते हैं।
Q13: लीलाधर जगूड़ी का प्रमुख काव्य संग्रह कौन-सा है?
A: लीलाधर जगूड़ी का प्रमुख काव्य संग्रह बची हुई पृथ्वी और जितने लोग उतने प्रेम है।
Q14: उत्तराखण्ड के साहित्य में कौन-कौन से विषय प्रमुख हैं?
A: उत्तराखण्ड के साहित्य में प्रकृति, लोकसंस्कृति, आंचलिक जीवन, इतिहास, स्त्री विमर्श, और सामाजिक मुद्दे प्रमुख हैं।
Q15: क्या उत्तराखण्ड के साहित्यकारों का राष्ट्रीय साहित्य में योगदान है?
A: हां, सुमित्रानंदन पंत, शैलेश मटियानी, मंगलेश डबराल, और गौरा पंत 'शिवानी' जैसे साहित्यकारों ने राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है।
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