उत्तराखंड के धार्मिक स्थल
उत्तराखंड के चार धाम
केदारनाथ
केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 3553 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से भैरव मंदिर, आदि शंकराचार्य की समाधि और गांधी सरोवर को देखा जा सकता है। वासुकी ताल भी यहीं स्थित है। यह स्थान भगवान शिव का निवास स्थल है। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने संबंधियों की मृत्यु का प्रायश्चित यहीं किया था। दिसंबर से मार्च तक यह क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है।
प्रमुख दर्शनीय स्थल:
केदारनाथ मंदिर: इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने आठवीं सदी में की थी, जबकि इसका नवनिर्माण कत्यूरी राजाओं द्वारा 11वीं-12वीं शताब्दी में हुआ।
शंकराचार्य की समाधि: केदारनाथ मंदिर के पीछे स्थित है। माना जाता है कि चार धाम स्थापित करने के बाद 32 वर्ष की आयु में उन्होंने यहीं समाधि ली थी।
महाशिला: केदारनाथ से 6 किलोमीटर दूर एक महाशिला स्थित है, जिसे भैरों झाप कहा जाता है। पहले यात्री स्वर्गलोक की कामना में यहाँ प्राण त्यागते थे, लेकिन ब्रिटिश काल में यह प्रथा समाप्त हो गई।
मुख्य तथ्य:
शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है केदारनाथ।
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में हुआ है।
यह मंदिर अप्रैल से नवंबर तक खुला रहता है।
गौरीकुंड से 14 किमी की ट्रैकिंग करनी पड़ती है।
बद्रीनाथ
बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से 3300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। कहा जाता है कि भगवान बद्री विशाल की मूल मूर्ति को बौद्धों ने नारद कुंड में फेंक दिया था। 9वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने मूर्ति को नारदकुंड से निकालकर मंदिर में प्रतिस्थापित किया।
प्रमुख दर्शनीय स्थल:
पंचधारा: प्रह्लादधारा, कूर्मधारा, उर्वशीधारा, भृगुधारा, वसुधारा।
पंचशिला: नारदशिला, वाराहशिला, गरुड़शिला, मार्कंडेयशिला, नृसिंहशिला।
कुंड: तप्तकुंड, नारदकुंड, सत्यपथकुंड, भिकोणकुंड, मानुषीकुंड।
मातामूर्ति मंदिर: माणा गांव में स्थित है।
मुख्य तथ्य:
चारों धामों में सबसे महत्वपूर्ण है।
चमोली जनपद में स्थित है।
नवंबर माह में मूर्ति ज्योतिर्मठ ले जायी जाती है।
भगवान बद्रीनाथ को मुक्तिदाता कहा जाता है।
बद्रीनाथ धाम के पुजारियों को रावल कहा जाता है।
गंगोत्री
गंगोत्री मंदिर समुद्र तल से 3415 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तरकाशी से 97 किलोमीटर दूर यह मंदिर 1803 के भूकंप के बाद क्षतिग्रस्त हो गया था। गोरखा सेनानी अमर सिंह थापा ने इसका पुनर्निर्माण कराया। मान्यता है कि राजा भगीरथ ने यहाँ तपस्या कर माँ गंगा को धरती पर लाने का आह्वान किया था।
प्रमुख दर्शनीय स्थल:
गंगोत्री मंदिर: मान्यता है कि राजा भगीरथ ने यहीं भगवान शिव की पूजा की थी।
डूबा हुआ शिवलिंग: यहाँ एक प्राकृतिक चट्टान है, जहां शिवजी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था।
गोमुख: यह गंगोत्री से 18 किमी दूर भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है।
नंदन वन: गोमुख से 6 किमी आगे स्थित यह क्षेत्र सुंदर शिवलिंग चोटियों से घिरा है।
मुख्य तथ्य:
गंगा नदी का उद्गम स्थल है।
मंदिर की ऊंचाई 3415 मीटर है।
दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं।
मंदिर का निर्माण अमर सिंह थापा ने कराया था।
यमुनोत्री
यमुनोत्री धाम समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह उत्तरकाशी जनपद में स्थित है। यमुना को यमराज की बहन और सूर्य भगवान की बेटी माना जाता है।
प्रमुख दर्शनीय स्थल:
यमुना देवी मंदिर: जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में इसे बनवाया। यह मंदिर दो बार ध्वस्त हुआ और फिर पुनर्निर्मित किया गया।
सूर्य कुंड: यहाँ गर्म जल का स्रोत है, जहाँ श्रद्धालु कपड़े में बांधकर चावल और दाल पकाते हैं।
दिव्य शिला: मंदिर में प्रवेश करने से पहले इसकी पूजा की जाती है।
मुख्य तथ्य:
यमुना नदी का उद्गम स्थल।
उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
सूर्यकुंड यमुना का प्रमुख जलस्रोत है।
दिव्य शिला मंदिर प्रांगण में स्थित है।
गढ़वाल नरेश प्रताप शाह ने 1919 में मंदिर का निर्माण करवाया।
उत्तराखण्ड के पंच बद्री
श्री बद्रीनाथ मन्दिर
➣ पुराणों में वर्णित सर्वश्रेष्ठ भूमि है बद्रीकाश्रम
➣ श्री बद्रीनाथ मन्दिर किस पर्वत शिखर के मध्य स्थित है? नारायण पर्वत शिखर
➣ श्री बद्रीनाथ मन्दिर किस नदी के किनारे है? अलकनन्दा नदी
➣ गर्म पानी के चश्मे (स्रोत) स्थित है चमोली में
श्री आदि बद्री मन्दिर
➣ श्री आदि बद्री मन्दिर स्थित है पौखुटिया रानीखेत मार्ग पर
➣ श्री आदि बद्री मन्दिर की मूर्ति है श्यामवर्ण शिला (पवित्र शालीग्राम पत्थर)
वृद्ध बद्री मन्दिर
➣ पंच बद्री में प्रथम बद्री है वृद्ध बद्री
➣ श्री लक्ष्मीनारायण की प्राचीन मूर्ति है वृद्ध बद्री मन्दिर
➣ वृद्ध बद्री मन्दिर स्थित है आनीमठ में
➣ वृद्ध बद्री मन्दिर के संस्थापक हैं शंकराचार्य
योगध्यान बद्री मन्दिर
➣ योगध्यान बद्री मन्दिर स्थित है पाण्डुकेश्वर में
➣ योगध्यान बद्री मन्दिर कितनी ऊँचाई पर है? 15,000 फीट पर
➣ पाण्डवों की जन्मस्थली मानी जाती है पाण्डुशिला को
भविष्य बद्री मन्दिर
➣ किस मन्दिर में भगवान बद्री की आधी आकृति की मूर्ति है? भविष्य बद्री मन्दिर में
➣ भविष्य बद्री मन्दिर स्थित है जोशीमठ-मलारी मार्ग पर
उत्तराखण्ड के पंचकेदार
केदारनाथ मंदिर
➣ समुद्र तल से 3581 मी की ऊँचाई पर पाण्डवों द्वारा स्थापित मन्दिर है श्री केदारनाथ मन्दिर
➣ प्राचीन मान्यताओं के अनुसार श्री केदारनाथ मन्दिर के पश्चात् दर्शन किए जाते हैं श्री बद्रीनाथ के
➣ केदारनाथ में भगवान शिव के किस भाग की पूजा होती है? पृष्ठ भाग की
कल्पेश्वर मन्दिर
➣ भगवान शिव की जटाओं की पूजा-अर्चना की जाती है कल्पेश्वर मन्दिर में
➣ कल्पेश्वर मन्दिर स्थित है चमोली में
➣ कल्पेश्वर मन्दिर का प्रवेश मार्ग है गुफा द्वार
मदमहेश्वर महादेव मन्दिर
➣ किस मन्दिर को द्वितीय केदार की संज्ञा दी गई है? मदमहेश्वर महादेव मन्दिर को
➣ मदमहेश्वर महादेव मन्दिर स्थित है रुद्रप्रयाग में
➣ मदमहेश्वर मन्दिर में भगवान शिव के किस भाग की पूजा होती है? नाभि की
रुद्रनाथ मन्दिर
➣ रुद्रनाथ मन्दिर में भगवान शिव की पूजा किस रूप में की जाती है? नीलकण्ठ (मुँह) रूप में
➣ रुद्रनाथ जी का मन्दिर स्थित है गंगोल गाँव में
➣ रुद्रनाथ मन्दिर क्षेत्र प्रसिद्ध है पित् तीर्थ नाम से
तुंगनाथ मन्दिर
➣ उत्तराखण्ड का सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित मन्दिर है तुंगनाथ मन्दिर
➣ तुंगनाथ मन्दिर स्थित है चोपता से 5 किमी की दूरी पर
➣ तुंगनाथ मन्दिर में भगवान शिव के किस भाग की पूजा की जाती है? भुजाओं की
➣ रावण ने भगवान शिव की आराधना की थी रावण शिला में
➣ तुंगनाथ मन्दिर के गर्भगृह में स्थित प्रतिमा है शंकराचार्य की प्रस्तर प्रतिमा
उत्तराखण्ड के पंचप्रयाग
देवप्रयाग
➣ उत्तराखण्ड के पंचप्रयागों में प्रमुख प्रयाग है देवप्रयाग
➣ अलकनन्दा एवं भागीरथी नदियों का संगम होता है देवप्रयाग में
➣ देवप्रयाग में अलकनन्दा एवं भागीरथी नदियाँ मिलकर किस नाम से जानी जाती हैं? गंगा
➣ पौराणिक रघुनाथ मन्दिर स्थित है देवप्रयाग में
➣ रघुनाथ मन्दिर की प्रतिष्ठापना की थी आदि शंकराचार्य ने
➣ देवप्रयाग स्थित है टिहरी में
➣ देवप्रयाग का वह मन्दिर जहाँ चैत्र एवं अश्विन में नवरात्र के समय विशेष पूजाअर्चना की जाती है चन्द्रबदनी मन्दिर
कर्णप्रयाग
➣ किस वर्ष आयी 'विरही की बाढ़ ने प्राचीन कर्णप्रयाग को बहा दिया था? वर्ष 1894 में
➣ कर्णप्रयाग प्रसिद्ध है कर्ण की तपस्थली के रूप में
➣ कर्णप्रयाग में कर्ण ने किस अराध्य की तपस्या की थी? सूर्य की
➣ कर्णप्रयाग में किन नदियों का संगम होता है? अलकनन्दा तथा पिण्डार का
➣ कर्णप्रयाग स्थित है चमोली जिले में
रुद्रप्रयाग
➣ ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग की दूरी है 139 किमी
➣ रुद्रप्रयाग में किन नदियों का संगम होता है? मन्दाकिनी एवं अलकनन्दा का
➣ केदारखण्ड पुराण में कोल पर्वत से लेकर मन्दाकिनी-अलकनन्दा संगम तक के क्षेत्र को कहा गया है रुद्र क्षेत्र
नन्दप्रयाग
➣ समुद्रतल से 1358 मी. की ऊँचाई पर दशोली परगने की तल्ली दशोला पट्टी में स्थित प्रयाग है नन्दप्रयाग
➣ नन्दप्रयाग नदियों का संगम स्थल है अलकनन्दा एवं नन्दाकिनी का
➣ 1803-04 ई. में किस क्षेत्र में आए भूकम्प एवं बाढ़ ने नन्दप्रयाग के मूल रूप को बदल दिया था? गढ़वाल में
➣ प्राचीन समय में नन्दप्रयाग में विशेष रूप से किस वस्तु का व्यापार किया जाता था? सुहागा का
विष्णुप्रयाग
➣ जोशीमठ से बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित प्रयाग है विष्णुप्रयाग
➣ विष्णुप्रयाग में किन नदियों का संगम होता है? अलकनन्दा और विष्णुगंगा का
➣ विष्णु प्रयाग के विषय में लिखा गया है हिमालयन गजेटियर में किस पौराणिक ग्रंथ में वर्णित है कि विष्णुप्रयाग से ऊपर गन्धमादन क्षेत्र में अत्यन्त सुरम्य स्थल और सरोवर है महाभारत में
उखीमठ:
रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित, उखीमठ भगवान शंकर की शीतकालीन पूजा स्थली है, जो 13,190 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह केदारनाथ मार्ग पर स्थित है।
गुप्तकाशी:
गुप्तकाशी रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है, जो लगभग 14,500 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां विश्वनाथ मंदिर, अर्धनारीश्वर मंदिर और मणिकर्णिका कुंड मुख्य आकर्षण हैं।
अगस्त्यमुनि:
रुद्रप्रयाग से 18 किलोमीटर दूर, अगस्त्यमुनि मंदिर मंदाकिनी नदी और जुगाड़ के संगम पर स्थित है, जहां अगस्त्येश्वर ऋषि का मंदिर भी है।
तपोवन:
जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर स्थित तपोवन एक शांत स्थान है जो जल स्रोतों के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय लोग इसे तातापानी भी कहते हैं।
कालीमठ:
गुप्तकाशी से 2 किलोमीटर दूर स्थित कालीमठ एक सिद्ध पीठ है, जो जगदंबा की पूजा स्थल है। यह 83 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
त्रियुगीनारायण:
रुद्रप्रयाग से 70 किलोमीटर दूर, त्रियुगीनारायण मंदिर का संबंध भगवान शिव और सती पार्वती के विवाह से जुड़ा हुआ है। यहां एक अमर ज्योति प्रज्वलित रहती है।
महासू मंदिर:
उत्तरकाशी से 150 किलोमीटर दूर हनोल में स्थित महासू देवता का प्राचीन मंदिर है, जहां हर वर्ष भाद्रपद माह की अमावस्या को मेला लगता है।
लाखामंडल:
देहरादून से 128 किलोमीटर दूर, लाखामंडल प्राचीन शिव मंदिर के कारण प्रसिद्ध है, जो यमुना और अन्य नदियों के संगम पर स्थित है।
ज्वालपा देवी:
पौड़ी से 33 किलोमीटर दूर स्थित ज्वालपा देवी का सिद्धपीठ है, जहां देवी पार्वती ने तपस्या की थी।
बिनसर:
बिनसर मंदिर, देवदार के सघन वृक्षों से आच्छादित है। यह माना जाता है कि पांडवों ने यहां एक रात में मंदिर का निर्माण किया था।
जागेश्वर:
अल्मोड़ा से 35 किलोमीटर दूर, जागेश्वर मंदिर भगवान शिव की तपस्थली मानी जाती है और इसे उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में जाना जाता है।
बागेश्वर:
बागेश्वर, गोमती और सरयू नदियों के संगम पर स्थित है। यहां मार्कंडेय मुनि की तपोभूमि है और बागनाथ मंदिर स्थापित है।
सोमेश्वर:
सोमेश्वर मंदिर, महादेव को समर्पित है और इसका निर्माण चंद वंश के राजा सोमचंद ने कराया था।
द्वाराहाट:
अल्मोड़ा से 38 किलोमीटर दूर, द्वाराहाट में 30 प्राचीन मंदिरों का समूह स्थित है। इसे हिमालय के द्वार के रूप में जाना जाता है।
बैजनाथ:
बैजनाथ मंदिर, बागेश्वर जिले में गोमती नदी के तट पर स्थित है और इसे कत्यूरी राजाओं द्वारा बनवाया गया था।
पाताल भुवनेश्वर:
पिथौरागढ़ से 51 किलोमीटर दूर पाताल भुवनेश्वर, एक संकरी चट्टानी गुफा में स्थित है, जहां देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
चौखुटिया:
रानीखेत से 54 किलोमीटर दूर स्थित चौखुटिया, काली मंदिर और वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
कटारमल सूर्य मंदिर:
कटारमल, 10वीं सदी का सूर्य मंदिर है और यह राजा कटारमल देव द्वारा बनवाया गया था।
गंगोलीहाट:
गंगोलीहाट, महाकाली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो पिथौरागढ़ जिले में स्थित है।
रामेश्वर:
पिथौरागढ़ में स्थित रामेश्वर तीर्थ, जहां भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी, एक पवित्र स्थल है।
तालेश्वर:
पिथौरागढ़ में स्थित तालेश्वर, काली गंगा नदी के संगम पर स्थित है और यहां मकर संक्रांति तथा महाशिवरात्रि पर मेले का आयोजन होता है।
नानकमत्ता:
उधम सिंह नगर में स्थित नानकमत्ता सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां गुरु गोविंद सिंह जी ने प्रवास किया था।
रीठा मीठा साहिब:
चंपावत जिले में स्थित यह गुरुद्वारा सिखों का पवित्र स्थल है, जहां गुरु नानक देव जी रुके थे।
हेमकुंड:
हेमकुंड, 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह हिमालय की गोद में स्थित प्रमुख तीर्थ स्थल है।
पिरान कलियर:
कलियार शरीफ, रुड़की के पास स्थित है और यहां हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर की दरगाह स्थित है, जो मुसलमानों का पवित्र स्थान है।
उत्तराखण्ड में स्थित कुण्ड
पवित्र कुण्ड | स्थान |
---|---|
सूर्यकुण्ड | बदरीनाथ |
ऋषिकुण्ड (नारदकुण्ड) | बदरीनाथ |
उर्वशीकुण्ड | बदरीनाथ |
चन्द्रकुण्ड | सत्यपथ 2 कि०मी० |
हेमकुण्ड | लोकपाल |
अमृतकुण्ड | निकट अत्रि गुफा, मण्डल |
बैराशकुण्ड | नन्दप्रयाग से आगे |
ब्रह्मकुण्ड | जहाँ से भागीरथी उत्तरगामी होती है। |
रुद्र कुण्ड | केदारखण्ड |
इन्द्र कुण्ड | केदारखण्ड |
वायु कुण्ड | ब्रह्मकुण्ड के नीचे |
शिव कुण्ड | देवप्रयाग में |
गण कुण्ड | शिवकुण्ड के समीप |
गौरी कुण्ड | केदारनाथ मार्ग पर |
पार्वती कुण्ड | गौरीकुण्ड के समीप |
नन्दी कुण्ड | पाण्डुसेरा, गोपेश्वर से मार्ग जाता है। |
हंस कुण्ड | केदारनाथ |
रेतस कुण्ड | केदारनाथ |
रम्भा कुण्ड | रेतस कुण्ड के समीप |
उदक कुण्ड | कदारनाथ |
अमृत कुण्ड | तुगनाथ मन्दिर के नीचे चोपता के समीप |
ब्रह्म कुण्ड | त्रियुगीनारायण |
रुद्र कुण्ड | त्रियुगीनारायण |
सरस्वती कुण्ड | त्रियुगीनारायण |
विष्णु कुण्ड | नन्दप्रयाग तथा त्रियुगीनारायण |
भास्कर कुण्ड | भास्कर क्षेत्र |
बेताल कुण्ड | बेताल शिला के समीप |
सूर्य कुण्ड | बेताल कुण्ड के समीप |
ब्रह्म कुण्ड | नवालका नदी के तट पर |
सीता कुण्ड | रामाश्रम |
राम कुण्ड | सीता कुण्ड के समीप |
हनुमान कुण्ड | राम कुण्ड के निकट |
धर्म कुण्ड | नवालका नदी के तट पर |
ताराकुण्ड | दूधातोली के समीप |
नाग कुण्ड | टिहरी, लम्बगाँव के समीप |
शूल कुण्ड | उत्तरकाशी, कोटेश्वर मन्दिर के समीप |
शिव कुण्ड | नन्दप्रयाग गंगा के तट पर |
नल कुण्ड | गुप्तकाशी के समीप गंगा के तट पर |
देवी मंदिर
नाम | स्थान |
---|---|
अनुसूया देवी | मण्डल स5 कि०मी० |
बालानी देवी | त्यूणी (चकराता) से 26 कि०मी० |
चम्पावती दुर्गा मन्दिर | चंपावत |
चामुण्डा देवी | गंगोत्तरी हाट से 2 कि०मी० |
चण्डी देवी | हरिद्वार |
चण्डिका माई (सिमली) | कर्णप्रयाग से 6 कि०मी० |
चन्द्रबदनी | जामनीखाल से 7 कि०मी० रिटी |
धारी देवी | श्रीनगर से 15 कि०मी० |
दूनागिरि मन्दिर | द्वाराहाट से 13 कि०मी० |
दुर्गा मन्दिर | कोटद्वार से 13 कि०मी० |
गर्जिया देवी | रामनगर से 14 कि०मी० |
गौरा देवी (देवलगढ़) | श्रीनगर-रुद्रप्रयाग मार्ग |
गौरा माई | गौरीकुण्ड (रुद्रप्रयाग) |
हरियाली देवी | नगरासू से 22 कि०मी० |
हथकाली मन्दिर | पिथौरागढ़ |
होकरा देवी | बिरथी झरने से 3 कि०मी० |
ज्वाल्पा देवी | पौड़ी से 36 कि०मी |
काली मन्दिर | चौखुटिया |
कामाख्या देवी | पिथौरागढ़ से 3 कि०मी० |
कालिंका मन्दिर | गंगोलीहाट |
कसार देवी | अल्मोड़ा से 7 कि०मी० |
कुन्जापुरी | नरेन्द्रनगर से 13 कि०मी० |
महाकाली मन्दिर | कालीमठ-गुप्तकाशी से 10 कि०मी० |
मनसादेवी | हरिद्वार |
नैना देवी | नैनीताल |
नन्दादेवी (नौटी) | कर्णप्रयाग से 25 कि०मी० |
नन्दा देवी | चौकोड़ी से 3 कि०मी० |
नवदुर्गा देवी | नैना देवी जोशीमठ |
पूर्णागिरि माता | टनकपुर |
पुश्ती माता | जागेश्वर |
सन्तला देवी | गढ़ी कैण्ट देहरादून |
श्रीकोट | डीडीहाट |
स्याली देवी | शीतलाखेत से 3 कि०मी० |
सुरकण्डा देवी | मसूरी से 24 कि०मी० |
त्रिपुरा देवी | अल्मोड़ा |
उमा देवी | कर्णप्रयाग |
वैष्णो देवी | चौखुटिया |
वैष्णो देवी | दूनागिरि (द्वाराहाट) को |
वाराही देवी | देवीधुरा |
नाग मंदिर
नाम | स्थान |
---|---|
शेषनाग | पाण्डुकेश्वर |
भीखनाग | कीरत गाँव |
माँगल नाग | कोतलारे |
बनया नाग | कीमर गाँव |
पुष्कर नाग | नागनाथ |
नाग देव | पौड़ी |
लोदिया नाग | नीती घाटी |
कालिंगा नाग | रवाई |
सुटियाँ नाग | टकनौर |
नागराजा | सेम-मुखेम |
महासर नाग | टकनौर |
हूँण नाग | भदूरा |
नाग | नाग ग्राम, टिहरी |
कर्माजीत नाग | पिल्लू |
शिव मंदिर
नाम | स्थान |
---|---|
अगस्तेश्वर महादेव | अगस्त्यमुनि |
बैजनाथ | कौसानी से 16 कि०मी० |
बाघनाथ | बागेश्वर |
बालेश्वर मन्दिर | चम्पावत |
बिनसर महादेव | रानीखेत के निकट |
बूढ़ा केदार | महासर ताल के निकट |
द्वाराहाट मन्दिर समूह | द्वाराहाट |
जागेश्वर ज्योतिर्लिंग | जागेश्वर |
कल्पेश्वर | कल्पनाथ |
कमलेश्वर महादेव | जरमोला से 2 कि०मी० |
कमलेश्वर महादेव | श्रीनगर |
कपिलेश्वर महादेव | पिथौरागढ़ से 3 कि०मी० |
केदारनाथ | रुद्रप्रयाग जनपद |
कोटेश्वर महादेव | रुद्रप्रयाग से 3 कि०मी० |
क्रान्तश्वर महादेव | चम्पावत की पूर्व दिशा में |
मदमहेश्वर | रुद्रप्रयाग जनपद |
मुक्तश्वर | नैनीताल से 51 कि०मी० |
नीलकण्ठ महादेव | लक्ष्मणझूला से 22 कि०मी० |
आकारेश्वर | ऊखीमठ |
पचश्वर | लोहाघाट से 37 कि०मी० |
पाताल भुवनेश्वर | गंगोलीहाट से 13 कि०मी० |
रामश्वर | घाट से 10 कि०मी० |
रुद्रनाथ | मण्डल से 17 कि०मी० |
सल्ट महादेव | अल्मोड़ा जनपद |
शिव (रुद्र) मन्दिर | रुद्रप्रयाग |
शिव मन्दिर | गोपेश्वर |
शिवलिंग तथा गुफा | कोटद्वार से 3 कि०मी० |
सोमेश्वर | कौसानी से 11 कि०मी० |
जलमग्न शिवलिंग | गंगोत्तरी |
टपकेश्वर महादेव | देहरादून |
त्रियुगी नारायण | सोनप्रयाग से 14 कि०मी० |
तुंगनाथ | चोपता से 4 कि०मी० |
बीरणेश्वर (शिव) मन्दिर | बिनसर |
विश्वनाथ मन्दिर | गुप्तकाशी |
विश्वनाथ मन्दिर | उत्तरकाशी |
वृद्ध जागेश्वर | (बड़ा जागेश्वर) |
नारायण मंदिर
नाम | स्थान |
---|---|
गोपाल मन्दिर | काँडी चट्टी |
साक्षी गोपाल मन्दिर | व्यासघाट के निकट |
श्री रघुनाथ मन्दिर | देवप्रयाग |
विष्णु मन्दिर (ठाकुर द्वारा) | विदाकोटी |
विष्णु मन्दिर | शंकरमठ, बिल्वकेदार से 2 कि०मी० आर्ग |
विष्णु मन्दिर | गैरोलामठ, श्रीनगर |
ठाकुरद्वारा | कालीकमली के समीप, श्रीनगर |
वैष्णवी शिला | धनुषक्षेत्र, श्रीयंत्र के पास |
परशुराम आश्रम | विष्णु मन्दिर फरासू |
विष्णु मन्दिर | शिवानन्दी रुद्रप्रयाग |
लक्ष्मी नारायण मन्दिर | पुनाड़ |
विष्णु मन्दिर | पुष्कराश्रम नागनाथ |
गोपालजी मन्दिर | हाटगाँव |
नारायण मन्दिर | हाटगाँव |
नृसिंह मन्दिर | पाखी |
ठाकुरद्वारा | गुलाबकोटि |
वासुदेव मन्दिर | जोशीमठ |
विष्णु मन्दिर | विष्णु प्रयाग |
वासुदेव मन्दिर | पाण्डुकेश्वर |
लक्ष्मीनारायण मन्दिर | ठाकुरद्वारा, पौड़ी |
लक्ष्मी नारायण मन्दिर | नारायण कोटि |
लक्ष्मी नारायण मन्दिर | त्रियुगीनारायण |
श्रीरामचन्द्र मन्दिर | भोट |
लक्ष्मी नारायण मन्दिर | माली देवल |
नृसिंह मन्दिर | नीलकंठ तीर्थ के पास |
नारायण मन्दिर | नारायण बगड़ |
नारायण मन्दिर | सिमली |
विष्णु मन्दिर | चन्द्रापुरी |
नारायण मन्दिर | देवाल |
नारायण मन्दिर | पिण्डवार |
प्रमुख शक्तिपीठ
नाम | स्थान |
---|---|
उर्वशी (श्रीविद्या) | बदरीनाथ |
नन्दादेवी | कुरूड़, नौटी, देवलगढ़ |
पर्णखण्डासना | मैखण्डा |
ललिता | नाला ग्राम |
काली | कालीमठ |
शाकम्भरी | त्रियुगीनारायण के पास |
गौरी | गौरीकुण्ड |
सन्मार्गदायिनी | केदारनाथ |
बगलामुखी | विनायक खाल |
कामेश्वरी | कामेश्वर पर्वत |
कूर्मासना | मैठाणा |
इन्द्रासना | कण्डाली ग्राम |
छिन्नमस्ता | भणना ग्राम |
पवनेश्वरी | योनिपर्वत |
अन्नपूर्णा | उत्तरकाशी |
भुवनेश्वरी | चन्द्रकूट पर्वत |
रमणा | देवप्रयाग |
विकृताख्या | मुन्नाखाल (चमराड़ा) |
रण मण्डना | पावकी देवी |
सुन्दरीदेवी | ब्रह्मपुरी |
कंसमर्दनी | श्रीनगर |
चामुण्डा | श्रीनगर |
राजेश्वरी | रणिहाट |
काली | कालीमठ, कालीशिला |
धारी देवी | कालियासौड़ |
हरियाली देवी | हरियाली डाँडा |
ज्वाल्पा देवी | ज्वालपाधाम |
सुरकण्डा देवी | सुरकण्डा |
चन्द्रबदनी | चन्द्रबदनी पर्वत |
उमा देवी | कर्णप्रयाग |
दक्षिण काली | दशमद्वार |
चण्डिका देवी | सिमली |
राजराजेश्वरी | कण्डारा |
महिषमर्दनी | देवलगढ़ |
गुह्येश्वरी | पारखाल |
नन्द भद्रेश्वरी | भवान ग्राम |
दीप्त ज्वालेश्वरी | नवालका का तट |
सुरेश्वरी | नीलकंठ का तट |
महत्कुमारिका | नरेंद्रनगर के पीछे |
अनगा | ऋषिकेश |
मुण्डमालेश्वरी | वीरभद्राश्रम |
मनसादेवी | हरिद्वार |
माया देवी | मायापुर, हरिद्वार |
काली मन्दिर | सिल्ला (बेंजी) |
रति प्रिया | चण्डीघाट, हरिद्वार |
चण्डीदेवी | हरिद्वार |
गौरजा | देवलगढ़ कनखल |
नन्दा भगवती | लाता |
पार्वती (दुर्गा) | देवस्थान |
अनसूया | मंडल |
राकेश्वरी | रांसी-गोंडार |
उत्तराखंड के धार्मिक स्थल FAQs
1. केदारनाथ धाम FAQs
Q1: केदारनाथ मंदिर कहाँ स्थित है?
A: केदारनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 3,553 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
Q2: केदारनाथ मंदिर के प्रमुख दर्शनीय स्थल कौन-कौन से हैं?
A: भैरव मंदिर, आदि शंकराचार्य की समाधि, गांधी सरोवर, वासुकी ताल।
Q3: केदारनाथ धाम कब खुलता और बंद होता है?
A: मंदिर अप्रैल से नवंबर तक खुला रहता है।
Q4: केदारनाथ कैसे पहुंच सकते हैं?
A: गौरीकुंड से 14 किमी की ट्रैकिंग करनी पड़ती है।
2. बद्रीनाथ धाम FAQs
Q1: बद्रीनाथ धाम किस देवता को समर्पित है?
A: बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है।
Q2: बद्रीनाथ मंदिर के प्रमुख दर्शनीय स्थल कौन से हैं?
A: पंचधारा, पंचशिला, तप्तकुंड, नारदकुंड, मातामूर्ति मंदिर।
Q3: बद्रीनाथ मंदिर कहाँ स्थित है?
A: यह चमोली जिले में समुद्र तल से 3,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
Q4: बद्रीनाथ धाम के पुजारियों को क्या कहा जाता है?
A: इन्हें ‘रावल’ कहा जाता है।
3. गंगोत्री धाम FAQs
Q1: गंगोत्री धाम का धार्मिक महत्व क्या है?
A: यह गंगा नदी का उद्गम स्थल है और राजा भगीरथ की तपस्या का स्थान है।
Q2: गंगोत्री धाम किस जिले में स्थित है?
A: यह उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
Q3: गंगोत्री मंदिर के प्रमुख दर्शनीय स्थल क्या हैं?
A: गंगोत्री मंदिर, डूबा हुआ शिवलिंग, गोमुख, नंदन वन।
Q4: गंगोत्री मंदिर की स्थापना किसने की थी?
A: गोरखा सेनानी अमर सिंह थापा ने इसका पुनर्निर्माण कराया।
4. यमुनोत्री धाम FAQs
Q1: यमुनोत्री धाम किस देवता को समर्पित है?
A: यह देवी यमुना को समर्पित है।
Q2: यमुनोत्री के प्रमुख दर्शनीय स्थल कौन से हैं?
A: यमुना देवी मंदिर, सूर्य कुंड, दिव्य शिला।
Q3: यमुनोत्री कहाँ स्थित है?
A: यह उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3,235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
Q4: यमुनोत्री मंदिर का निर्माण किसने कराया था?
A: जयपुर की महारानी गुलेरिया ने इसका निर्माण कराया।
5. पंच केदार FAQs
Q1: पंच केदार में कौन-कौन से मंदिर आते हैं?
A: केदारनाथ, कल्पेश्वर, मदमहेश्वर, रुद्रनाथ, तुंगनाथ।
Q2: सबसे ऊंचाई पर स्थित पंच केदार मंदिर कौन सा है?
A: तुंगनाथ मंदिर (लगभग 3,680 मीटर)।
Q3: केदारनाथ में भगवान शिव के किस अंग की पूजा होती है?
A: पृष्ठ भाग की।
Q4: कल्पेश्वर मंदिर में किस अंग की पूजा होती है?
A: भगवान शिव की जटाओं की पूजा होती है।
6. पंच बद्री FAQs
Q1: पंच बद्री के मंदिर कौन-कौन से हैं?
A: श्री बद्रीनाथ, आदि बद्री, वृद्ध बद्री, योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री।
Q2: योगध्यान बद्री कहाँ स्थित है?
A: पांडुकेश्वर में।
Q3: भविष्य बद्री मंदिर किस मार्ग पर स्थित है?
A: जोशीमठ-मलारी मार्ग पर।
Q4: श्री बद्रीनाथ मंदिर किस नदी के किनारे है?
A: अलकनंदा नदी।
7. पंच प्रयाग FAQs
Q1: उत्तराखंड के पंच प्रयाग कौन-कौन से हैं?
A: देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग।
Q2: देवप्रयाग में कौन-कौन सी नदियाँ मिलती हैं?
A: अलकनंदा और भागीरथी।
Q3: रुद्रप्रयाग में कौन सी नदियाँ संगम करती हैं?
A: मंदाकिनी और अलकनंदा।
Q4: विष्णुप्रयाग में कौन सी नदियाँ मिलती हैं?
A: धौलीगंगा और अलकनंदा।
टिप्पणियाँ