वन पंचायतें एवं अन्य आयोग: एक गहन समीक्षा (Van Panchayats and Other Commissions: An In-Depth Review)

वन पंचायतें एवं अन्य आयोग: एक गहन समीक्षा

उत्तराखण्ड, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, ने विभिन्न प्रशासनिक और सामाजिक सुधारों के माध्यम से राज्य के संसाधनों का प्रबंधन और संरक्षण किया है। इन सुधारों में वन पंचायतों का गठन और विभिन्न आयोगों का स्थापना भी शामिल है। इस लेख में हम वन पंचायतों, आयोगों और राज्य की आरक्षण व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करेंगे।

वन पंचायतों का गठन और प्रबंधन

उत्तराखण्ड में वन पंचायतों का गठन वर्ष 1931 में किया गया था, जिसका उद्देश्य वनों के प्रबंधन और नियंत्रण को स्थानीय समुदायों के हाथों में सौंपना था। वन पंचायतों के तहत महिलाओं को 30% आरक्षण प्राप्त है। इसके माध्यम से न केवल वन संसाधनों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जाता है, बल्कि स्थानीय महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का भी अवसर मिलता है।

आयोगों का गठन

उत्तराखण्ड में विभिन्न आयोगों का गठन राज्य की प्रशासनिक और सामाजिक व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने के लिए किया गया। इन आयोगों में राज्य सूचना आयोग (3 अक्टूबर, 2005), मानवाधिकार आयोग (जुलाई 2011) और सेवा का अधिकार आयोग (2011) प्रमुख हैं। ये आयोग राज्य के नागरिकों को न्याय, सूचना और विभिन्न प्रशासनिक सेवाओं का अधिकार सुनिश्चित करते हैं।

आरक्षण व्यवस्था

उत्तराखण्ड में आरक्षण व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को समान अवसर प्रदान करना है। राज्य में महिलाओं को 30% क्षैतिज आरक्षण, अनुसूचित जातियों को 19%, अनुसूचित जनजातियों को 4%, और पिछड़े वर्गों को 14% आरक्षण प्राप्त है।

राज्य के जनपदों का विवरण

उत्तराखण्ड में कुल 13 जनपद हैं, जिनकी स्थापना अलग-अलग वर्षों में हुई। इनमें देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, टिहरी, और अल्मोड़ा प्रमुख हैं। प्रत्येक जनपद में तहसीलें, विकासखंड और विधानसभा क्षेत्र होते हैं, जो राज्य के प्रशासनिक कार्यों को व्यवस्थित रूप से संचालित करते हैं।

जनपदों की प्रमुख जानकारी

  1. देहरादून (स्थापना: 1817, क्षेत्रफल: 2088 वर्ग किमी)
  2. पौड़ी (स्थापना: 1840, क्षेत्रफल: 5329 वर्ग किमी)
  3. अल्मोड़ा (स्थापना: 1891, क्षेत्रफल: 3139 वर्ग किमी)
  4. नैनीताल (स्थापना: 1891, क्षेत्रफल: 4251 वर्ग किमी)

तहसीलें, विकासखंड और विधानसभा क्षेत्र

  1. देहरादून जनपद में 7 तहसीलें, 6 विकासखंड और 10 विधानसभा क्षेत्र हैं।
  2. पौड़ी जनपद में 12 तहसीलें, 6 विकासखंड और 6 विधानसभा क्षेत्र हैं।
  3. अल्मोड़ा जनपद में 12 तहसीलें, 11 विकासखंड और 6 विधानसभा क्षेत्र हैं।

जनपदों की तहसीलें और विकासखंड

  • देहरादून: रायपुर, डोईवाला, विकासनगर, चकराता, कालसी, सहसपुर।
  • नैनीताल: हल्द्वानी, रामनगर, भीमताल, रामगढ़, कोटाबाग।
  • पिथौरागढ़: मुनस्यारी, धारचूला, बेरीनाग, डीडीहाट।

विधानसभा क्षेत्र

  • देहरादून: विकासनगर, धरमपुर, देहरादून, राजपुर, मसूरी, ऋषिकेश, रायपुर, डोईवाला, सहसपुर, चकराता।
  • हरिद्वार: रुड़की, पिरान कलियर, मंगलौर, भेल, ज्वालापुर, लक्सर, खानपुर, हरिद्वार ग्रामीण, भगवानपुर।

निष्कर्ष

उत्तराखण्ड में वन पंचायतों और विभिन्न आयोगों के माध्यम से राज्य की सामाजिक, पर्यावरणीय और प्रशासनिक व्यवस्था को सशक्त किया गया है। राज्य के प्रशासनिक कार्यों की सहजता और सामाजिक न्याय की दिशा में यह सुधार महत्वपूर्ण कदम हैं। वन पंचायतों और आयोगों की यह व्यवस्था उत्तराखण्ड को एक आदर्श राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर कर रही है।

FQCs (Frequently Asked Questions) 


1. उत्तराखंड में वन पंचायतों का गठन कब हुआ था?

उत्तराखंड में वन पंचायतों का गठन वर्ष 1931 में वनों के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए किया गया था।

2. उत्तराखंड में महिलाओं को वन पंचायतों में कितने प्रतिशत आरक्षण मिलता है?

उत्तराखंड में महिलाओं को वन पंचायतों में 30% आरक्षण प्राप्त है।

3. उत्तराखंड में सर्वप्रथम वन कानून कब बनाए गए थे?

उत्तराखंड में सर्वप्रथम वन कानून वर्ष 1931 में कुमाऊं क्षेत्र में बनाए गए थे।

4. उत्तराखंड में कुल वन क्षेत्र का कितना प्रतिशत भाग वन पंचायतों के नियंत्रण में है?

उत्तराखंड में कुल वन क्षेत्र का 32% भाग वन पंचायतों के नियंत्रण में है।

5. उत्तराखंड में राज्य सूचना आयोग का गठन कब हुआ था?

उत्तराखंड में राज्य सूचना आयोग का गठन 3 अक्टूबर, 2005 को किया गया था।

6. उत्तराखंड में राज्य विधानसभा द्वारा सेवा का अधिकार कानून कब बनाया गया था?

उत्तराखंड राज्य विधानसभा द्वारा सेवा का अधिकार कानून वर्ष 2011 में बनाया गया था।

7. उत्तराखंड में राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन कब हुआ था?

उत्तराखंड में राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन जुलाई 2011 में किया गया था।

8. उत्तराखंड में सेवा का अधिकार कानून के तहत कितनी सेवाएँ शामिल हैं?

उत्तराखंड में सेवा का अधिकार कानून के तहत कुल 10 सेवाएँ शामिल हैं।

9. उत्तराखंड में महिलाओं को सरकारी सेवाओं में कितना प्रतिशत आरक्षण मिलता है?

उत्तराखंड में महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30% आरक्षण मिलता है।

10. उत्तराखंड में अनुसूचित जातियों को कितने प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है?

उत्तराखंड में अनुसूचित जातियों को 19% आरक्षण प्राप्त है।

11. उत्तराखंड में अनुसूचित जनजातियों को कितने प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है?

उत्तराखंड में अनुसूचित जनजातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है।

12. उत्तराखंड में राज्य के पिछड़े वर्ग को कितना आरक्षण मिलता है?

उत्तराखंड में राज्य के पिछड़े वर्ग को 14% आरक्षण प्राप्त है।


उत्तराखंड के जनपद (Districts) एवं उनकी जानकारी

  1. देहरादून:

    • स्थापना वर्ष: 1817
    • क्षेत्रफल: 2088 वर्ग किमी
    • मुख्यालय: देहरादून
  2. पौड़ी:

    • स्थापना वर्ष: 1840
    • क्षेत्रफल: 5329 वर्ग किमी
    • मुख्यालय: पौड़ी
  3. अल्मोड़ा:

    • स्थापना वर्ष: 1891
    • क्षेत्रफल: 3139 वर्ग किमी
    • मुख्यालय: अल्मोड़ा
  4. नैनीताल:

    • स्थापना वर्ष: 1891
    • क्षेत्रफल: 4251 वर्ग किमी
    • मुख्यालय: नैनीताल
  5. टिहरी:

    • स्थापना वर्ष: 1949
    • क्षेत्रफल: 3642 वर्ग किमी
    • मुख्यालय: नई टिहरी
  6. पिथौरागढ़:

    • स्थापना वर्ष: 1960
    • क्षेत्रफल: 7090 वर्ग किमी
    • मुख्यालय: पिथौरागढ़

उत्तराखंड में राज्य के जनपदों की तहसीलें और विधानसभा क्षेत्र

देहरादून:

  • तहसीलें: 7
  • विधानसभा क्षेत्र: 10

पौड़ी:

  • तहसीलें: 12
  • विधानसभा क्षेत्र: 6

अल्मोड़ा:

  • तहसीलें: 12
  • विधानसभा क्षेत्र: 6

नैनीताल:

  • तहसीलें: 9
  • विधानसभा क्षेत्र: 6

हरिद्वार:

  • तहसीलें: 5
  • विधानसभा क्षेत्र: 11

उत्तराखंड के कुछ प्रमुख तहसीलें

अल्मोड़ा:

  • सल्ट, भिकियासैंण, रानीखेत, द्वाराहाट

उत्तरकाशी:

  • मोरी, पुरोला, भटवाड़ी

उधम सिंह नगर:

  • जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, बाजपुर

चंपावत:

  • चंपावत, लोहाघाट, बाराकोट

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