देहरादून का वो प्राचीन मंदिर, जहां ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति के लिए लक्ष्मण ने किया कठोर तप (Where Lakshman did rigorous penance to get rid of the guilt of killing Brahma)
देहरादून का वो प्राचीन मंदिर, जहां ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति के लिए लक्ष्मण ने किया कठोर तप
देहरादून: उत्तराखंड के पौराणिक मंदिरों की बात की जाए तो यह प्रदेश धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से भरपूर है। यहां के मंदिर न केवल अपनी वास्तुकला और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि इनके पीछे की कहानियां भी उतनी ही रहस्यमयी और दिलचस्प हैं। आज हम आपको देहरादून के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसका संबंध सीधे रामायण से है। हम बात कर रहे हैं लक्ष्मण सिद्ध मंदिर की, जो देहरादून के प्रमुख सिद्ध पीठों में से एक है और आज भी श्रद्धालुओं के बीच बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का संक्षिप्त इतिहास
उत्तराखंड के विभिन्न मंदिरों में एक विशेष स्थान रखने वाला लक्ष्मण सिद्ध मंदिर देहरादून शहर से लगभग 13 किलोमीटर दूर, हरिद्वार-ऋषिकेश रोड पर स्थित है। यह मंदिर विशेष रूप से भगवान लक्ष्मण के तपस्या स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब लक्ष्मण ने रावण का वध किया था, तो उन पर ब्रह्महत्या का दोष लग गया था। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने लक्ष्मण सिद्ध मंदिर के पास कठोर तपस्या की थी।
यह मंदिर ऋषि दत्तात्रेय के 84 सिद्धों में से एक सिद्धपीठ है। भगवान दत्तात्रेय ने लोककल्याण के लिए 84 शिष्य बनाए थे और उन्हें अपनी दिव्य शक्तियां दी थीं। समय के साथ ये शिष्य सिद्धों के रूप में जाने गए और उनके समाधि स्थल सिद्धपीठ या सिद्ध मंदिर बन गए। लक्ष्मण सिद्ध मंदिर भी इन्हीं सिद्धों में से एक है, जहां भगवान लक्ष्मण ने अपनी तपस्या पूरी की और ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाई।
कैसे पहुंचे लक्ष्मण सिद्ध मंदिर?
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर देहरादून शहर से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित है और हरिद्वार-ऋषिकेश रोड पर स्थित है। आप देहरादून ISBT से 12 किलोमीटर दूर हर्रावाला तक बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं। इसके बाद मंदिर तक एक किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह मंदिर घने जंगलों और शांत वातावरण के बीच स्थित है, जो यात्रियों को एक विशेष अनुभव प्रदान करता है।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर के धार्मिक महत्व और परंपराएं
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर के विशेष धार्मिक महत्व के अलावा, यहां की कुछ परंपराएं भी भक्तों को आकर्षित करती हैं। यहां पर निरंतर अखंड धूनी जलती रहती है। इस धूनी की विशेष बात यह है कि कभी भी इसे मुंह से फूंक नहीं मारी जाती। इसके अलावा, मंदिर में बनाए गए भोजन को ही भोग के रूप में चढ़ाया जाता है और धूनी की राख को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है।
मंदिर में विशेष रूप से गुड़, घी और दही चढ़ाए जाते हैं, क्योंकि पुराने समय में ये सामग्री मिठाई के रूप में प्रयोग होती थीं। इन सामग्रियों को चढ़ाने की परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है, और भक्तों का विश्वास है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थना जरूर पूरी होती है।
कौन-कौन से सिद्ध मंदिर हैं देहरादून में?
देहरादून में कुल चार सिद्ध मंदिर (या सिद्ध पीठ) स्थित हैं, जो शहर के चारों कोनों में फैले हुए हैं:
- लक्ष्मण सिद्ध
- कालू सिद्ध
- मानक सिद्ध
- मांडू सिद्ध
इन चारों सिद्ध मंदिरों में लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का विशेष स्थान है। यह केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
देहरादून का लक्ष्मण सिद्ध मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जहां भगवान लक्ष्मण ने ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यह मंदिर न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी सुंदरता और शांति भी भक्तों को आकर्षित करती है। यदि आप देहरादून में रहते हैं या आसपास यात्रा पर जा रहे हैं, तो इस मंदिर की यात्रा अवश्य करें और इस पवित्र स्थान पर जाकर मन की शांति प्राप्त करें।
हर रविवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है, और यह माना जाता है कि यहां की गई सच्ची प्रार्थना जरूर पूरी होती है।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर - FAQs
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर कहां स्थित है?
- लक्ष्मण सिद्ध मंदिर देहरादून शहर से लगभग 13 किलोमीटर दूर हरिद्वार-ऋषिकेश रोड पर स्थित है। इसे हर्रावाला से 1 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
- यह मंदिर भगवान लक्ष्मण द्वारा ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए की गई तपस्या के कारण प्रसिद्ध है। यह मंदिर ऋषि दत्तात्रेय के 84 सिद्धों में से एक सिद्ध पीठ है।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर तक कैसे पहुंचें?
- आप देहरादून ISBT से हर्रावाला तक बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं, इसके बाद आपको मंदिर तक 1 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर में कौन सी विशेष परंपराएं हैं?
- मंदिर में अखंड धूनी जलती रहती है, और धूनी की राख को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। यहां गुड़, घी, और दही चढ़ाने की परंपरा है, क्योंकि पुराने समय में ये मिठाई के रूप में होते थे।
क्या लक्ष्मण सिद्ध मंदिर में सभी इच्छाएं पूरी होती हैं?
- मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं अवश्य पूरी होती हैं। भक्त यहां आकर अपनी मनोकामनाओं के लिए पूजा करते हैं।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का इतिहास क्या है?
- लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का संबंध रामायण से है। रावण के वध के बाद भगवान लक्ष्मण ने ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां तपस्या की थी, जिसे बाद में सिद्धपीठ के रूप में माना गया।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर में कौन-कौन सी धार्मिक गतिविधियां होती हैं?
- मंदिर में नियमित पूजा अर्चना होती है, विशेष रूप से रविवार को भक्तों की भारी भीड़ होती है। भक्त यहां धूनी के पास बैठकर पूजा करते हैं और भोग चढ़ाते हैं।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर के आसपास क्या दर्शनीय स्थल हैं?
- मंदिर के आसपास घने जंगल और शांत वातावरण है, जो यात्रियों के लिए एक अच्छा अनुभव प्रदान करते हैं। देहरादून शहर के अन्य धार्मिक स्थल और प्राकृतिक स्थल भी पास में स्थित हैं।
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर में क्या प्रसाद मिलता है?
- यहां श्रद्धालुओं को धूनी की राख और गुड़, घी, दही का प्रसाद मिलता है, जो मंदिर की परंपराओं के अनुसार चढ़ाए जाते हैं।
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