यमुनोत्री: यमुना नदी का उद्गम स्थल
ऋषिकेश से प्रारंभिक यात्रा:
ऋषिकेश से लगभग 2 किमी दूर मुनि की रेती नामक स्थान पर यात्रा शुरू होती है। यहाँ से एक मार्ग गंगोत्री और यमुनोत्री की ओर जाता है, जबकि दूसरा केदारनाथ और बद्रीनाथ की ओर।
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महत्वपूर्ण पड़ाव:
- नरेंद्र नगर (16 किमी): इसे राजा नरेंद्र शाह ने बसाया।
- चंबा (46 किमी): यहाँ से 21 किमी दूर टिहरी स्थित है।
- धरासु (37 किमी): यहाँ से उत्तरकाशी और हनुमान चट्टी की ओर मार्ग विभाजित होता है।
- स्याना चट्टी (84 किमी): यहाँ से यमुनोत्री की पैदल यात्रा प्रारंभ होती है।
यमुनोत्री पहुँचने का मार्ग:
हनुमान चट्टी से 7 किमी की दूरी पर जमुनाबाई कुंड है, जहाँ गर्म पानी के कुंड में स्नान का विशेष महत्व है। यहाँ से 6 किमी का पैदल रास्ता यमुनोत्री तक जाता है।
यमुनोत्री का धार्मिक महत्व:
यह यमुना नदी का उद्गम स्थल है, जो कालिंदी पर्वत से निकलती है। यहाँ गर्म जल के स्रोत और बर्फीले ग्लेशियर यात्रियों को अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं।
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गंगोत्री: गंगा का पवित्र उद्गम स्थल
यमुनोत्री से गंगोत्री की यात्रा:
यमुनोत्री से वापस धरासु तक लौटकर उत्तरकाशी होते हुए गंगोत्री की ओर बढ़ते हैं।
उत्तरकाशी:
गंगा के किनारे बसा यह सुंदर नगर धार्मिक और प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहाँ नाथजी का मंदिर दर्शनीय है।
गंगोत्री:
यहाँ गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए यहाँ तपस्या की थी। गंगा का वास्तविक उद्गम गोमुख (गंगोत्री ग्लेशियर) है, जो गंगोत्री से 18 किमी दूर स्थित है।
अन्य दर्शनीय स्थल
- गोपेश्वर:शिव मंदिर और अष्टधातु का फरसा यहाँ की प्रमुख विशेषता है।
- जोशीमठ:भगवान शंकर के चार मठों में से एक। यहाँ बद्रीनाथ की चल मूर्ति की पूजा होती है।
- विष्णुप्रयाग:अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम।
- कर्णप्रयाग:पिंडर और अलकनंदा नदियों का संगम।
- नंदप्रयाग:अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम।
- देवप्रयाग:भागीरथी और अलकनंदा का संगम, जहाँ से गंगा का नाम मिलता है।
- रुद्रप्रयाग:मन्दाकिनी और अलकनंदा का संगम। यहाँ रुद्रनाथ और कोटेश्वर महादेव मंदिर दर्शनीय हैं।
प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व
यह यात्रा प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था का संगम है। यमुनोत्री और गंगोत्री के अलावा, हर पड़ाव अपने अद्वितीय महत्व और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह यात्रा न केवल आत्मिक शांति प्रदान करती है बल्कि हिमालय के अद्भुत दृश्यों का आनंद भी देती है।
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