हनुमान जी का अद्भुत स्तोत्र | शक्ति और भक्ति का अद्वितीय मंत्र (The amazing hymn of Lord Hanuman | A unique mantra of power and devotion.)
हनुमान जी का अद्भुत स्तोत्र | शक्ति और भक्ति का अद्वितीय मंत्र
हनुमान स्तुति मंत्र
दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रसुखाय।
वररोग्णे वज्रनेत्राय वज्रदंताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय।
सर्वरोगनाशनाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
जप विधि:
- दिन: मंगलवार और शनिवार को इस मंत्र का जप शुभ माना जाता है।
- माला: रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला का प्रयोग करें।
- स्थान: स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठें, हनुमान जी के चित्र या मूर्ति के सामने।
- गिनती: 11, 21, या 108 बार मंत्र जप करें।
- आरंभ: जप से पहले घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी को गुड़ और चने का भोग लगाएं।
यह मंत्र आपकी भक्ति को शक्ति प्रदान करेगा और हनुमान जी की कृपा से सभी समस्याएं दूर होंगी। जय श्री हनुमान! 🙏
पहला भाग:
दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
इसका अर्थ है:
हनुमान जी दैत्यों के वन को भस्म करने वाली अग्नि हैं और ज्ञानियों में अग्रणी हैं।
दूसरा भाग:
ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रसुखाय वररोग्णे वज्रनेत्राय वज्रदंताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
इसका अर्थ है:
हनुमान जी को नमस्कार है, जो भगवान रुद्र (शिव) के अवतार हैं। आपकी देह वज्र (अत्यंत कठोर और अजेय) के समान है। आपके नाखून, सुख, नेत्र, दांत, और हाथ भी वज्र जैसे शक्तिशाली हैं। आप भक्तों को वज्र जैसा अडिग और मजबूत आश्रय देते हैं। आप श्री राम के दूत हैं।
तीसरा भाग:
ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोगाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
इसका अर्थ है:
हनुमान जी को प्रणाम है, जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं। आप सभी शत्रुओं का नाश करने वाले, समस्त रोगों को हरने वाले और सभी को वशीभूत करने की शक्ति रखने वाले हैं। आप श्री राम के दूत हैं।
यह मंत्र कब और कैसे जपें?
- समय: मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से।
- आसन: पीले या लाल वस्त्र पहनकर कुश के आसन पर बैठें।
- माला: लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
- संख्या: 108 बार जप करें।
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