प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़: कुमाऊनी गीत के बोल
उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत में लोकगीतों का विशेष स्थान है। ये गीत न केवल यहां की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करते हैं, बल्कि इस भूमि की पवित्रता और धार्मिक महत्व को भी उजागर करते हैं। प्रस्तुत गीत "प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़" कुमाऊं क्षेत्र के प्रति गहरे प्रेम और सम्मान को व्यक्त करता है।
प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़: कुमाऊनी गीत लिरिक्स
प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़।
गंगा जमुना या छो, बद्री केदार।।
प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़।
फूल फुलनी यां, फूलों की घाटी।
हौंस जगुनी यां, ह्युं पड़ी डानी।।
फूल फुलनि यां, फूलों की घाटी।
हौंस जगुनि यां, ह्युं पड़ी डानी।।
नंदादेवी छाया …ओह…..जागेश्वर धाम……
नंदा देवी छाया …ओह..जागेश्वर धाम।।
पंचप्रयाग या हिमकुण्ड धाम।
औली, गोमुख यां भै हरिद्वार।।
प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़।
प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़।।
गंगा जमुना या छो, बद्री केदार।।
गीत का भावार्थ और महत्व
यह गीत उत्तराखंड की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
प्राकृतिक सुंदरता:
गीत में फूलों की घाटी, हिमालय की चोटियां, और औली जैसे स्थानों का जिक्र है, जो इस क्षेत्र की अलौकिक सुंदरता का प्रमाण हैं।धार्मिक स्थल:
बद्रीनाथ, केदारनाथ, जागेश्वर धाम, और पंचप्रयाग जैसे धार्मिक स्थलों का उल्लेख उत्तराखंड को "देवभूमि" के रूप में स्थापित करता है।भावनात्मक जुड़ाव:
यह गीत प्रवासी उत्तराखंडियों और यहां के निवासियों को अपनी जड़ों से जोड़े रखता है। यह अपने पहाड़, वहां की संस्कृति, और परंपराओं के प्रति प्रेम का प्रतीक है।
गीत को संरक्षित और प्रचारित करने की आवश्यकता
उत्तराखंड के लोकगीतों को संरक्षित करना बेहद जरूरी है। ये गीत हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं।
प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़ जैसे गीतों को सोशल मीडिया, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अन्य मंचों के जरिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
जय उत्तराखंड!
जय कुमाऊं!
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