चंपावत: उत्तराखंड की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर (Champawat: Historical and Religious Heritage of Uttarakhand)

चंपावत: उत्तराखंड की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर

पिथौरागढ़ मुख्यालय से 76 किलोमीटर दूर स्थित चंपावत, 1615 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक खूबसूरत स्थान है। यह उत्तराखंड का एक जिला है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व, और प्रसिद्ध मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। चंपावत कभी चंद वंश के शासकों की राजधानी थी और आज भी उनके द्वारा निर्मित प्राचीन किले और वास्तुकला के अवशेष देखने को मिलते हैं। वर्तमान में राजा का प्राचीन किला तहसील कार्यालय के रूप में कार्यरत है।

चंपावत एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यहाँ स्थित बालेश्वर मंदिर, नागनाथ मंदिर, और अन्य धार्मिक स्थलों की वास्तुकला अद्भुत है। चंपावत का प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहर इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाती हैं।

चंपावत में घूमने की जगहें

1. पूर्णागिरि मंदिर | Purnagiri Temple

पूर्णागिरि मंदिर चंपावत से लगभग 92 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर अन्नपूर्णा पर्वत पर स्थित है। टनकपुर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर काली नदी (शारदा) के दाएं ओर है। यह 108 शक्तिपीठों में से एक है और यहाँ माँ की पूजा महाकाली के रूप में की जाती है।

2. लोहाघाट | Lohaghat

चंपावत मुख्यालय से 14 किलोमीटर और पिथौरागढ़ से 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लोहाघाट, 1706 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। लोहवती नदी के किनारे बसा यह स्थान ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व रखता है। गर्मियों में यह बुरांस के फूलों से सज जाता है और पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान बनता है।

3. गोलू देवता मंदिर | Golu Devta Temple

चंपावत जिले के कनलगांव में स्थित गोलू देवता का मंदिर, इस क्षेत्र में गोल्ज्यू देवता का जन्म स्थान माना जाता है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।

4. गुरुद्वारा रीठा साहिब | Gurudwara Reetha Sahib

रीठा साहिब गुरुद्वारा चंपावत जिले में लांदिया और रतिया नदियों के संगम पर स्थित है। कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी ने यहाँ रीठे के पेड़ से फल तोड़ा, जो उनके दिव्य स्पर्श से मीठा हो गया। यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

5. बालेश्वर मंदिर | Baleshwar Temple

बालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण चंद वंश के शासकों ने 13वीं सदी में किया था। यहाँ भगवान शिव, रत्नेश्वर, और चंपावती दुर्गा को समर्पित मंदिर हैं। इस मंदिर की अद्भुत पत्थर की नक्काशी इसे स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण बनाती है।

6. आदित्य मंदिर | Aditya Temple

रमक गाँव में स्थित आदित्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। इस मंदिर की वास्तुकला कोनार्क के सूर्य मंदिर से मिलती-जुलती है। यहाँ पांडवों के अज्ञातवास के समय के प्रमाण भी मिलते हैं।

7. पंचेश्वर महादेव मंदिर | Pancheshwar Mahadev Temple

काली और सरयू नदियों के संगम पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। स्थानीय लोग इसे "चैमु" कहते हैं। यह स्थान मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित मेले के लिए भी प्रसिद्ध है।

8. एबॉट माउंट | Abbott Mount

एबॉट माउंट, लोहाघाट से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। 20वीं शताब्दी में जॉन हेरॉल्ड एबॉट द्वारा स्थापित यह स्थान कुमाऊं हिमालय की गोद में बसा है और यहाँ से हिमालय का मनमोहक दृश्य देखा जा सकता है।

9. मायावती आश्रम | Mayawati Ashram

लोहाघाट से 9 किलोमीटर दूर मायावती आश्रम, अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित इस आश्रम में आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया जा सकता है।

चंपावत का ऐतिहासिक महत्व

चंपावत का उल्लेख भगवान विष्णु के कूर्म अवतार के रूप में भी होता है। इसे "कुर्मांचल पर्वत" के नाम से जाना जाता है। जिम कॉर्बेट ने अपनी पहली किताब "मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं" की कहानी चंपावत के बाघों पर आधारित लिखी थी।

चंपावत का शांत वातावरण, ऐतिहासिक महत्व, और धार्मिक धरोहर इसे एक अद्भुत पर्यटन स्थल बनाते हैं। यह स्थान न केवल पर्यटकों बल्कि धार्मिक आस्थावानों के लिए भी बेहद खास है।

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