झंगोरे की खीर: उत्तराखंडी परंपरा और पौष्टिकता का प्रतीक (Jhangore ki Kheer: A Symbol of Uttarakhandi Tradition and Nutrition)
झंगोरे की खीर: उत्तराखंडी परंपरा और पौष्टिकता का प्रतीक
झंगोरे की खीर उत्तराखंड के पारंपरिक खानपान की खास पहचान है। यह स्वादिष्ट मिठाई व्रत-त्योहारों और विशेष अवसरों का अभिन्न हिस्सा है। वासंतिक और शारदीय नवरात्र के दौरान इसे विशेष रूप से पसंद किया जाता है। यही नहीं, अब यह देहरादून, मसूरी, हल्द्वानी, नैनीताल जैसे शहरों के होटलों के मेन्यू में भी शामिल हो गई है। शादी और अन्य समारोहों में भी झंगोरे की खीर का स्वाद बढ़ते प्रचलन का गवाह है।
झंगोरे की खीर बनाने की विधि
झंगोरे की खीर को पारंपरिक ढंग से बनाने का तरीका इसे और भी खास बनाता है। इसकी तैयारी में धैर्य और सावधानी की जरूरत होती है।
आवश्यक सामग्री:
झंगोरा: 250 ग्राम
दूध: 1 लीटर
चीनी या गुड़: 250 ग्राम
कद्दूकस किया हुआ नारियल
किशमिश
इलायची पाउडर
विधि:
दूध तैयार करें: एक बर्तन में दूध को उबाल लें और अलग रख दें।
झंगोरा पकाएं: एक बड़े बर्तन में झंगोरा डालकर पकाएं। झंगोरे को लगातार करछी से चलाते रहें ताकि वह बर्तन की तली पर न लगे।
दूध और चीनी मिलाएं: झंगोरा जब आधा पक जाए तो उसमें दूध और चीनी डालें।
स्वाद बढ़ाएं: कद्दूकस किया हुआ नारियल, किशमिश और इलायची पाउडर डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
पकने दें: खीर को धीमी आंच पर पकने दें। बीच-बीच में करछी चलाते रहें ताकि झंगोरे की गुठलियां न बनें।
परोसें: खीर जब लसपसी हो जाए तो उतार लें। इसे न ज्यादा गर्म और न ज्यादा ठंडा परोसें।
खीर में छेंती (छ्यूंती) के बीज से बने मावे का इस्तेमाल करें तो इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
झंगोरा: एक पौष्टिक अनाज
झंगोरा उत्तराखंड की असिंचित भूमि पर उगाई जाने वाली एक परंपरागत फसल है। इसे ‘बिलियन डॉलर ग्रास’ का भी नाम दिया गया है। यह न केवल भारत बल्कि चीन, नेपाल, जापान, पाकिस्तान और अफ्रीका में भी उगाई जाती है।
झंगोरा की खासियतें:
तेजी से उगने वाली फसल: यह सभी मिलेट्स में सबसे तेज उगने वाली फसल है।
पोषण से भरपूर: झंगोरा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त: धीमी पाचन प्रक्रिया और ग्लूटन फ्री होने के कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए आदर्श है।
पशुचारे का विकल्प: इसके चारे का उपयोग पशुओं के लिए भी किया जाता है, जो आपातकालीन चारे के रूप में सुरक्षित रखा जाता है।
झंगोरे की खेती का महत्व
झंगोरा की खेती कम लागत में असिंचित भूमि पर की जा सकती है। यह विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती है। उत्तराखंड में यह फसल अनाज और पशुचारे दोनों के लिए उपयोगी है। इसका अनाज लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
झंगोरे की खीर का स्वाद और परंपरा
उत्तराखंड के हर घर में झंगोरे की खीर एक प्रिय व्यंजन है। इसका स्वाद न केवल भूख को तृप्त करता है, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर से भी जोड़ता है। चाहे व्रत-त्योहार हों या शादी-ब्याह, झंगोरे की खीर हर अवसर पर अपनी मिठास घोलती है।
तो अगली बार जब आप उत्तराखंड जाएं, तो झंगोरे की खीर का स्वाद लेना न भूलें और इस पारंपरिक व्यंजन का आनंद उठाएं।
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