शिव के प्रतीक चिन्ह: आध्यात्मिक रहस्य और दिव्य संकेत
भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। वे अजन्मे और अनंत माने जाते हैं, इसलिए उन्हें साक्षात ईश्वर कहा जाता है। भगवान शिव के प्रतीकों और उनके आभूषणों के पीछे गहरी आध्यात्मिक और पौराणिक मान्यताएँ छिपी हुई हैं। आइए जानते हैं, भगवान शिव से जुड़े विभिन्न प्रतीकों का महत्व:

1. गले में सर्प
भगवान शिव के गले में सर्प तीन बार लिपटा रहता है, जो भूत, वर्तमान एवं भविष्य का प्रतीक है। यह इस बात का संकेत है कि शिव तमोगुण, दोष और विकारों के संहारक हैं। सर्प को कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक भी माना गया है।
2. तीसरी आंख
शिव के माथे पर स्थित तीसरी आंख ज्ञान, चेतना और दिव्य दृष्टि का प्रतीक है। जब यह नेत्र खुलता है, तो प्रलय होती है। यह सांसारिक मायाजाल से परे देखने की क्षमता का प्रतीक है।
3. त्रिशूल
त्रिशूल तीन गुणों - सत्व, रजस और तमस का प्रतीक है। यह इच्छा, ज्ञान और कर्म का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संतुलन को भी दर्शाता है।
4. अर्धचन्द्र
शिव के मस्तक पर अर्धचन्द्र समय और चक्र का प्रतीक है। यह शिव के शीतल स्वभाव और उनके कालातीत स्वरूप को दर्शाता है।
5. जटा (उलझे हुए बाल)
शिव की जटा वायु तत्व का प्रतीक है, जो समस्त जीवों के प्राणों का आधार है। यह शिव के पशुपतिनाथ रूप को दर्शाती है।
6. नीला कंठ
समुद्र मंथन के समय शिव ने विषपान किया और उसे अपने कंठ में रोक लिया। इससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए।
7. रुद्राक्ष
शिव के गले में रुद्राक्ष की माला रहती है। यह भगवान शिव के ध्यान और तपस्या के प्रभाव से उत्पन्न हुआ माना जाता है।
8. डमरू
डमरू ब्रह्मांडीय ध्वनि ‘नाद’ का प्रतीक है, जिससे सृष्टि की उत्पत्ति हुई। यह ‘अव्यक्त’ और ‘प्रकट’ के बीच संतुलन को भी दर्शाता है।
9. कमंडल
कमंडल योगियों का प्रमुख चिन्ह है, जो सांसारिक मोह का त्याग करने का प्रतीक है। यह आत्मिक शुद्धि का द्योतक भी है।
10. विभूति
शिव के मस्तक पर लगी विभूति सांसारिक मोह-माया के नाश का प्रतीक है। यह जीवन की नश्वरता को दर्शाती है।
11. कुंडल
शिव के कानों में अलग-अलग आकार के कुंडल सृष्टि में पुरुष और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक हैं।
12. बाघ की खाल
शिव का वस्त्र बाघ की खाल शक्ति और सत्ता का प्रतीक है। यह ब्रह्मांड की ऊर्जा और शिव के संहारक स्वरूप को दर्शाता है।
13. गंगा
शिव की जटा से बहने वाली गंगा शुद्धता, ज्ञान और जीवनदायिनी ऊर्जा का प्रतीक है। यह शिव के कृपालु और करुणामयी रूप को दर्शाती है।
14. शिवलिंग
शिवलिंग सृष्टि, पालन और संहार का प्रतीक है। यह शिव के निराकार और साकार दोनों रूपों को दर्शाता है।
15. नंदी (सांड)
नंदी शिव के वाहन और उनके प्रमुख भक्त हैं। भक्त शिव तक अपनी प्रार्थनाएँ नंदी के कान में कहते हैं, जो शिव तक पहुँचती हैं।
भगवान शिव के ये प्रतीक न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक अर्थ भी रखते हैं। शिव की पूजा से व्यक्ति अपने भीतर की नकारात्मकता को समाप्त कर आत्मसाक्षात्कार की ओर अग्रसर हो सकता है।
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