शिव-पूजन की श्रेष्ठ विधि
ब्रह्माजी का कथन
ब्रह्माजी कहते हैं - हे नारद! अब मैं शिव पूजन की सर्वोत्तम विधि बताता हूं। यह विधि समस्त अभीष्ट तथा सुखों को प्रदान करने वाली है। उपासक ब्रह्ममुहूर्त में उठकर जगदंबा पार्वती और भगवान शिव का स्मरण करे। दोनों हाथ जोड़कर उनके सामने सिर झुकाकर भक्तिपूर्वक प्रार्थना करे -

"हे देवेश ! उठिए, हे त्रिलोकीनाथ! उठिए, मेरे हृदय में निवास करने वाले देव उठिए और पूरे ब्रह्माण्ड का मंगल करिए। हे प्रभु! मैं धर्म-अधर्म को नहीं जानता हूं। आपकी प्रेरणा से ही मैं कार्य करता हूं।"
स्नान और शुद्धि
गुरु चरणों का ध्यान करते हुए शौच आदि से निवृत्त होकर मिट्टी और जल से देह को शुद्ध करें। हाथ-पैर धोकर दातुन करें तथा सोलह बार जल की अंजलियों से मुंह धोएं। ये कार्य सूर्योदय से पूर्व ही करें।
निषेध
षष्ठी, प्रतिपदा, अमावस्या, नवमी और रविवार के दिन दातुन न करें।
रविवार, श्राद्ध, संक्रांति, ग्रहण, महादान और उपवास वाले दिन गरम जल में स्नान न करें।
सरसों के तेल को ग्रहण के दिन प्रयोग में न लाएं।
वस्त्र और तर्पण
स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
रात में सोते समय पहने वस्त्रों को बिना धुले न पहनें।
पितरों एवं देवताओं को प्रसन्न करने हेतु तर्पण करें।
पूजा स्थल की तैयारी
पूजा हेतु स्थान को गोबर आदि से लीपकर शुद्ध करें। वहां लकड़ी के आसन की व्यवस्था करें और उस पर मृग चर्म बिछाएं।
त्रिपुंड और रुद्राक्ष धारण
भस्म से त्रिपुंड लगाएं। यह जप-तप तथा दान को सफल बनाता है। रुद्राक्ष धारण करें।
पूजन की विधि
जल, गंध और अक्षत को पूजन स्थल पर रखें।
गुरु का ध्यान कर शिव पूजन करें।
विघ्नविनाशक गणेश जी का पूजन करें - 'ॐ गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें।
कार्तिकेय एवं गणेश जी का पूजन करें।
भगवती देवी की पूजा करें।
चंदन, कुमकुम, धूप, दीप और नैवेद्य से शिवजी का पूजन करें।
घर में मिट्टी, सोना, चांदी, धातु आदि से बनी शिव प्रतिमा बनाएं और भक्तिपूर्वक पूजन करें।
मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसकी स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा करें।
शिवजी का आह्वान
शिवजी का ध्यान इस प्रकार करें:
"जो कैलाश पर निवास करते हैं, पार्वती के पति हैं, जिनके पांच मुख, दस हाथ तथा प्रत्येक मुख पर तीन-तीन नेत्र हैं, जो चंद्रमुकुट और जटा धारण किए हुए हैं, ऐसे भगवान शिव का मैं आह्वान करता हूं।"
पूजन क्रम
आसन स्थापित करें।
पाद्य और अर्घ्य अर्पित करें।
पंचामृत से अभिषेक करें।
सुगंधित चंदन का लेप करें।
तिल, जौ, गेहूं, मूंग, उड़द अर्पित करें।
बेलपत्र समर्पित करें।
गुग्गुल और अगरु की धूप जलाएं।
घी का दीपक जलाएं।
अर्घ्य अर्पित करें।
नैवेद्य व तांबूल अर्पित करें।
पांच बत्ती की आरती करें।
शिवजी की परिक्रमा करें।
प्रार्थना और विसर्जन
"हे प्रभु शिव शंकर ! मैंने अज्ञान से अथवा जान-बूझकर जो पूजन किया है, वह आपकी कृपा से सफल हो। हे गौरीनाथ! भूतनाथ! आप मुझ पर प्रसन्न होइए।"
फिर शिवजी को परिवार सहित अपने स्थान पर पधारने की प्रार्थना करें और जल को अपने हृदय और मस्तक पर लगाएं।
निष्कर्ष
ब्रह्माजी कहते हैं - "यह शिवपूजन की सर्वोत्तम विधि भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है।" ऋषिगण ब्रह्माजी की स्तुति कर इस विधि को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।
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