जानिए बद्रीनाथ के तप्त कुंड का रहस्य!!
सनातन धर्म में चारधाम यात्रा का अपना एक विशेष महत्व है। इनमें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम शामिल हैं। इस अलौकिक धाम की यात्रा देश का हर सनातनी करना चाहता है। भगवान विष्णु का यह पवित्र मंदिर हिमालय पर्वत की श्रेणी में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। लगभग 3133 मीटर की ऊंचाई पर बने इस मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है।

बद्रीनाथ मंदिर की विशेषता
यह मंदिर नर और नारायण पर्वत के बीच बना हुआ है और इसका निर्माण कस्तूरी शैली में हुआ है। यह मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है और यहां नर और नारायण की पूजा की जाती है। मंदिर तीन भागों में विभाजित है:
गर्भगृह – जहां भगवान का विग्रह स्थित है।
दर्शन मंडप – जहां भक्त भगवान के दर्शन करते हैं।
सभामंडप – जहां श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।
तप्त कुंड का रहस्य
यह अपने आप में एक अद्भुत चमत्कार है कि जहां चारों ओर बर्फीली पहाड़ियां हैं, वहां स्थित तप्त कुंड में 54 डिग्री सेल्सियस तक गर्म पानी रहता है। यह कुंड बद्रीनाथ धाम के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

क्या है तप्त कुंड की महिमा?
इस कुंड में स्नान करने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं।
स्नान के दौरान पानी का तापमान शरीर के अनुकूल हो जाता है।
पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नान कुंड बनाए गए हैं।
मान्यता है कि नीलकंठ पर्वत से इस जल का उद्गम होता है।
पौराणिक मान्यता
कहा जाता है कि भगवान बद्रीनाथ ने इसी स्थान पर घोर तपस्या की थी। मान्यता यह भी है कि इस कुंड में सूर्य देव का वास है।
सूर्य देव और तप्त कुंड का संबंध
एक कथा के अनुसार, सूर्य देव को भक्षा-भक्षी के वध का पाप लगा था। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान नारायण के निर्देश पर उन्होंने बद्रीनाथ में तपस्या की। तपस्या के फलस्वरूप भगवान विष्णु ने उन्हें जल रूप में स्थापित किया, जिससे यह कुंड हमेशा गर्म रहता है।
माना गांव – धरती का अंतिम गांव
मंदिर से मात्र 4 किमी की दूरी पर स्थित है भारत का अंतिम गांव - माना।
कहा जाता है कि यहीं से स्वर्ग जाने का मार्ग निकलता है।
यहाँ स्थित गणेश गुफा, व्यास गुफा और भीम पुल कई पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए हैं।
मान्यता है कि इस स्थान पर आने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
तप्त कुंड में स्नान का लाभ
तप्त कुंड में स्नान करने से भक्तों को शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह कुंड न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि चिकित्सीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
“बदरी सदृशं तीर्थ, न भूतं न भविष्यति” – अर्थात् बद्रीनाथ के समान कोई तीर्थ न था, न है और न होगा।
🙏 जय श्री बद्रीनारायण 🚩
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